रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
एक तरफ तो प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ मध्य प्रदेश से माफिया राज को जड़ से खत्म करना चाहते हैं लेकिन दूसरी ओर भू-माफिया उनके ही पार्टी के कुछ राजनेताओं से सेटिंग कर मुख्यमंत्री के कार्य को नया मोड़ देकर उनके कार्य में अड़चनें पैदा कर भोपाल में बैठे बड़े-बड़े नेताओं को हथेली में दिल्ली दिखाने का कार्य कर रहे हैं जिससे मुख्यमंत्री के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं।
झाबुआ जिले के एक मात्र शहर मेघनगर है जहां जिले का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन होने के कारण अक्सर स्टेशन रोड, एवं बस स्टैंड एरिया में टू वे रोड होने के बाद भी जाम की स्थिति बनी रहती है। इस मार्ग से दिल्ली, भोपाल, मुंबई जाने के लिए कई राजनेता जिले के एसपी, कलेक्टर प्रशासनिक अधिकारी सांसद, विधायक और प्रतिष्ठित धर्म प्रेमी जनता रेलवे स्टेशन की ओर जाने के लिए इन रास्तों से गुजरते हैं। यहाँ नगर में भूमाफिया करोड़ों की सरकारी जमीनों पर कुंडली मारकर बैठे हैं। भुमाफियाओं पर प्रशासनिक अधिकारी इतने मेहरबान क्यों है इसे लेकर तरह तरह की चर्चाएं शहर में होने लगी हैं। जो वास्तविक सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण है उसे हटाने के पक्ष में शायद प्रशासनिक अधिकारी नहीं हैं और मुख्यमंत्री की मंशा अनुसार कार्य करना नहीं चाहते हैं। इस लिए अतिक्रमण हटाओ मुहिम कछुआ चाल चल रहा है। यहां का प्रशासनिक अमला भूमाफियाओं के दबाव में है जो यहां अतिक्रमण मुहिम चलाने के पहले ही औद्योगिक क्षेत्र से बैरंग लौट गया। जबकि नगर में कई छोटे व्यापारियों ने अतिक्रमण मुनादी नोटिस मिलते से पहले ही स्वेच्छा से अपनी टीन से बनी दुकानें एवं बांस बलली व टीन शेड से बने अपने रोजगार के आशियाने अपने ही हाथों से बिखेर कर बेरोजगार होकर घर बैठ गए हैं। नगर के कुछ छूट भैया नेता एवं भूमाफिया गरीबों के आंसू पोंछने का ढोंग कर रहे हैं लेकिन ये तो पबिल्क है, ये सब जानती है।
मुहिम में गरीबों की तकलीफ और आफत के आंसूओ को मीडिया द्वारा वेब पोर्टल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया में बखूबी दिखाया जा रहा है।
लेकिन कुछ भूमाफिया और छूट भैइया नेता पत्रकारों को अतिक्रमण लाने की बात कहकर बदनाम करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।
इन सब के बीच एक सवाल सबसे बड़ा है कि चाहे शासन हो या प्रशासन, भूमाफिया की क्या परिभाषा है यह छोटे व्यापारियों से जरूर साझा करें कि गरीबों की गले पर नाखून रखकर अड़ाई चावल की खिचड़ी कहां पक रही है।
जब इस मामले में हमने प्रशासन के नुमाइंदों से बात करना चाहे तो मेघनगर नगर मुख्य कार्यपालन अधिकारी विकास डावर का कहना है कि पुलिस फोर्स नहीं मिलने की वजह से कार्रवाई प्रारंभ नहीं की जा सकी। जब पुलिस प्रशासन के अनुविभागीय अधिकारी थांदला मनोहर लाल गवली से हमने बात की तो उन्होंने फोर्स अवेलेबल ना होने की बात को स्वीकारा और कहा कि जिले में कई जगह एक साथ अतिक्रमण मुहिम चलने की वजह से शनिवार के दिन हम मेघनगर को पुलिस बल उपलब्ध नहीं करा पाए लेकिन माननीय राजस्व अनुभाग अधिकारी पराग जैन का लेटर हमें प्राप्त हुआ है, रविवार को जितना भी फोर्स उन्होंने मांगा है वह महिला पुलिस के साथ उन्हें अवेलेबल करवा दिया जाएगा।
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