Edited by Arshad Aabdi, NIT:
लेखक: सैयद शहंशाह हैदर आब्दी
आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के संस्थापक, परन्तु समाजवादी राजनीतिक व्यवस्था, धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव के अनुयायी स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती है। इसीलिए पूरे देश में अटल जी को श्रृद्धांजली दी जा रही है। हम भी दिल की गहराइयों से अटल जी को नमन करते हैं।
यह विशेषताएं संभवतय: वर्तमान किसी भाजपा नेता में नहीं।
एक कवि पत्रकार, सियासतदां के तौर पर लगातार विजय पथ पर बढ़ रहे वाजपेयी जी पहली बार 1957 के लोकसभा चुनाव में बलरामपुर से जीतकर संसद पहुंचे। वे 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। वह उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और गुजरात से सांसद रहे। उन्होंने साल 1991 से अपने आखिरी चुनाव तक यानि 2004 तक लखनऊ लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया।
अटल बिहारी वाजपेयी देश में एक अच्छे कवि के रूप में जाने जाते हैं। एक बार उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह एक राजनेता के रूप में नहीं बल्कि एक कवि के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। वाजयेपी ऐसे अकेले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहें जिन्होंने पूरा 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया।
पहली बार साल 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने और फिर साल 1998 से 1999 तक यानि 13 महीने के लिए दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। फिर आखिरी और तीसरी बार साल 1999 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहें। उन्होंने साल 2009 में राजनीति से संन्यास ले लिया।
वहीं 25 दिसंबर, 2014 को वाजपेयी को उनके जन्मदिन पर देश का सबसे बड़ा पुरस्कार भारत रत्न देने का ऐलान किया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी की मशहूर कविता:-
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर,
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,
झरे सब पीले पात,
कोयल की कूक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा,
रार नई ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं।
एक अच्छे इंसान, धर्म निरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव में विश्वास करने वाले एक दक्षिण पंथी राजनितिज्ञ को 95वीं जयंती पर शत शत नमन।
सैयद शहंशाह हैदर आब्दी,
समाजवादी चिंतक – झांसी।
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