बारिश से जर्जर हुआ औरंगाबाद राजमार्ग, सड़क दलदल में तब्दील | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:बारिश से जर्जर हुआ औरंगाबाद राजमार्ग, सड़क दलदल में तब्दील | New India Times

महाराष्ट्र में मानसून की वापसी वाली बारिश द्वारा राज्य में बरपाया कहर खेत-खलिहानों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसकी चपेट सड़कें भी आ गई हैं। सड़कें बह जाने के कारण राज्य के हजारों गांव मुख्यालयों से कट चुके हैं। पूरे राज्य में केंद्र सरकार के अधीन जीन सिमेंट राजमार्गो का निर्माण कार्य सालभर पहले सूखे के बीच आरंभ कराए गए थे उन्हीं राजमार्गों के लेटलतीफी कामों ने इस भारी बारिश के आगे लोगों का दम निकाल दिया है। खोदी गयी सड़कें मूसलाधार बारिश के कारण इस तरह दलदल बन चुकी है कि सार्वजनिक और निजी यातायात करने वाले निगमों ने अपने वाहनों को सड़कों पर दौड़ाना लगभग बंद कर दिया है। जलगांव-औरंगाबाद राजमार्ग की हालत शब्दों में बयान करना मुश्किल है। 130 किमी दूरी का यह निर्माणाधीन फ़ोरलेन रोड फुलंब्री से हर्सूल 25 किमी तक ही सीमेंट का बन सका है यानी 105 किमी की सड़क जो कभी पक्की डामरी सडक थी उसे फ़ोरलेन के नाम पर उखाड़ दिया गया है। ठेकेदार की इस मनमानी से आम लोगों को कितना कुछ सहना पड़ रहा है यह अंदाजा लगाया जा सकता है। बारिश से हुई त्रासदी के मुआइना के नाम पर सरकारी तिजोरी के धन से उड़न खटालों में हवाई सपाटा लगाने वाले नेताओं को सड़कों के इन गड्ढों से कुछ लेना-देना नहीं है। कोल्हापुर-सांगली में आई बाढ़ के लिए जिस तरह फ़डणवीस सरकार जिम्मेदार है ठीक उसी तरह राजमार्गों के निर्माण कार्यों की लेटलतीफी से बिगड़े हालात के लिए केंद्र और राज्य की सरकार पूरी तरह से दोषी है।

बारिश से जर्जर हुआ औरंगाबाद राजमार्ग, सड़क दलदल में तब्दील | New India Times

केंद्रीय सड़क मंत्री नितीन गड़करी ने औरंगाबाद-जलगांव सड़क का हवाई निरीक्षण किया है। इस सड़क से यातायात करने वाली जनता की रोजमर्रा की यातनाओं को गड़करी कार से सैर करके भी महसूस कर सकते थे लेकिन शायद उनके पास उतना समय नहीं होगा। गड़करी के हवाई दौरे के बाद औरंगाबाद-बुरहानपुर राजमार्ग नं 8 पर के डामरी सड़क पर पड़े गड्ढों को सीमेंट कांक्रिट से भरा गया है। डामरी सड़क को कांक्रीट से पोतने की इस अजीब तकनीक का आविष्कार केवल मोदी सरकार में ही संभव है। सड़क समीक्षक किशोर तायडे ने कहा कि डामरी सड़क के गड्ढों को भरने के लिए इमर्जन डामर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए कांक्रिट से लितापोती कैसे की जा सकती है? इधर जलगांव जिले में सड़क किनारों स्थित खेतों का मुआयना करने के बाद नासिक पहुंचे प्रभारी मंत्री गिरीश महाजन को पीड़ित किसानों ने सरकारी सहायता देने में हो रही लापरवाही को लेकर जमकर खरी खोटी सुनायी है। राज्य में अब बारिश कुछ थम गयी है इसके बाद त्रासदी से हुयी बर्बादी का आंकलन करने के लिए राजस्व विभाग के कर्मियों को 36 जिलों के 310 तहसीलों में करीब 50 हजार गांवों तक पहुंचना किसी एडवेनचर से कम नहीं होगा। किसानों की सीधी मांग है कि पंचनामे होते रहेंगे अभी उन्हें तत्काल सहायता राशि मिलनी चाहिए ताकि वह रबी के बारे में प्रबंधन की सोच सकें।


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