मकसूद अली, ब्यूरो चीफ, यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT:
प्रेमासाई महाराज जी को बदनाम करणे के लिये यावतमाल जिले के नेर पुलिस स्टेशन के थानेदार जितना प्रयत्न कर रहे है उतने ही दिल से यदि सट्टा मटका बंद करने में रुचि दिखाते तो शायद आज नेर के किसान, मजदूर और युवा आज सट्टा मटका मुक्त वातावरण में जीते थे। लेकिन यहां अवैध धंधे के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों की मदत करने के बजाये उनकी आवाज को दाबाने का काम नेर के थानेदार कर रहे हैं जो की बहुत ही निंदनीय है। रक्षक ही भक्षक बन गया की कहावत यहां पर सटीक बैठती है।
पेश है प्रेमासाई महाराज जी से बातचीत…
महाराज जी न्युज पेपर में जो न्युज आई है उसके बारे में आपकी क्या राय है?
मैंने जब से नेर के सट्टा मटका बंद करने की बात कही है तभी से मेरी बदनामी करने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसमें नेर के थानेदार और सट्टा मटका किंग दोनों मिलकर मुझ पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकी मैं यह सट्टा-मटका मुद्दा छोड दूं।
अब आप आगे सट्टा मटका बंद करने के लिये क्या करेंगे?
मैं आंदोलक हूँ, मैं ना जेल जाने से ना बदनामी से ना मरने से डरता हूं। समाज की सुधारणा के लिये मुझे आंदोलन करना पड़े तो मैं आंदोलन भी करुंगा। बहुत सारे सामाजिक संघटन तथा जेष्ठ समाज सेवक तथा अण्णा हजारे जी को भी इस आंदोलन में शामिल करुंगा। दारू बंदी के सारे संघटनों से भी हमारी बात चल रही है और कुछ ही दिनों में हमारा आंदोलन शुरू हो जायेग।
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