पीयूष मिश्रा/अश्वनी मिश्रा की खास पड़ताल
सिवनी/छपारा (मप्र), NIT; आज 5 जून को जब विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा था तब सिवनी जिले के आला अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों, सांसद और विधायक भी जिले की पवित्र बैनगंगा नदी के सीने में चल रही खेती और उसमें डाले जा रहे रासायनिक सहित कीटनाशक दवाइयों के असर को इस विश्व पर्यावरण दिवस पर ही भूल गए और सिर्फ पूरे सिवनी जिले में वृक्षारोपण के नाम पर जमकर सेल्फी सोशल मीडिया में वायरल होती रही लेकिन हैरानी की बात है कि मां बैनगंगा नदी के मामले में कोई शुध लेने को तैयार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि पट्टा माफिया विद्युत तथा इरीगेशन विभाग की मिलीभगत से बैनगंगा नदी के दोनों तटों पर बेतहाशा तरीके से कब्जा कर खेती करने का धंधा बदस्तूर जारी है। इस मामले में हमने पिछले जनवरी माह से लगातार खबरें भी प्रकाशित कर जिला प्रशासन के साथ-साथ शासन और प्रशासन का भी ध्यान इस ओर आकर्षित करवाया था लेकिन आज तक निकम्मे और भ्रष्टाचार में डूबे प्रशासनिक अमले ने मां बैनगंगा नदी के सीने में चल रही खेती और उससे हो रहे प्रदूषण तथा सिवनी जिले के साथ-साथ छपारा नगर और सैकड़ों ग्रामों में प्रभावित हो रही जल आपूर्ति के संबंध में कोई ध्यान नहीं दिया यह भी आश्चर्यजनक बात है।
हजारों एकड़ में कब्जा कर हो रही है सिंचाई
बैनगंगा नदी के सूखने और भीमगढ़ डैम में लगातार कम हो रहे जलस्तर का मुख्य कारण हमने जनवरी माह से ही अपनी खबरों के माध्यम से जिला प्रशासन के ध्यान में लाया था। दरअसल पूरा मामला पट्टा माफिया विद्युत और एरिगेशन के बीच चल रहे लाखों रुपए के लेन देन का है जहां इरीगेशन विभाग और डूब क्षेत्र की समिति पट्टा माफिया से मिलीभगत कर कई रसूखदार लोगों को पट्टा बांट रही है, यही नहीं अब तो बैनगंगा नदी के बीच मुख्यधारा के ऊपर ही पट्टा माफिया अपना कब्जा कर खेती-बाड़ी कर रहे हैं और इस पूरे मिलीभगत में विद्युत विभाग का भी अहम रोल है। TC कनेक्शन के नाम पर बैनगंगा नदी के बीचो-बीच आखिर क्यों और कैसे हजारों मोटर पंप लगे हुए हैं, यह जिला प्रशासन आज तक नहीं जान पाया है। हालात इतने गंभीर और भयावह हैं कि मां बेनगंगा नदी के उद्गम स्थल मुंडारा से लेकर छपारा तक बैनगंगा नदी का पानी पूरी तरह सूख चुका है और सिर्फ अगर कहीं पानी भी बचा है तो सिर्फ और सिर्फ डब्लू और नालियों की शक्ल में बावजूद इसके जिला प्रशासन आंख बंद कर आखिर तमाशा क्यों देख रहा है यह समझ से परे है। आज जबकि विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा था तब जिला प्रशासन के आला अधिकारियों सहित सांसद विधायकों और चुने हुए जनप्रतिनिधियों को मां बैनगंगा नदी के सूखने के कारणों पर विचार विमर्श जरूर करना चाहिए था लेकिन ये सभी लोग सिर्फ और सिर्फ वृक्षारोपण के नाम पर अपनी अपनी सेल्फी लेते रहे और सोशल मीडिया पर वायरल करने में ही व्यस्त नजर आते रहे।
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