यूसुफ खान, ब्यूरो चीफ, धौलपुर (राजस्थान), NIT:
मौसमी बीमारियों एवं डेंगू के बढ़ते प्रकोप के चलते जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने जिले के शहरी क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने शहर में कच्ची कुई, मिश्रा गली, कुमारपाड़ा, इटायपाड़ा, पुराना शहर सहित कई अन्य क्षेत्रों का दौरा कर आमजन का हालचाल जाना। उन्होंने मिश्रा गली में डेंगू से पीड़ित बच्चे अंश मिश्रा से मुलाकात की और हालचाल जाना। उन्होंने बच्चे से कहा कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है आपको हमारे चिकित्सक अच्छे से उपचार देकर स्वास्थ्य लाभ प्रदान करेंगे। ऐसा सुनकर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उन्होंने जिले के लोगों से अपील की कि घरों के आसपास गंदगी न फैलाएं। डेंगू 1 किलोमीटर के दायरे में अपना प्रभाव रखता है। इसलिए कूलर, छत पर रखे सामान में पानी ना भरने दें, कूलर में पानी ना भरें, अपने घर की सुरक्षा के साथ साथ अपने मौहल्ले की भी सुरक्षा हेतु मौहल्लावार समितियों के माध्यम से डेंगू के बचाव के संबंध में जागरूकता पैदा करने में सहभागिता निभाएं। उन्होंने बताया कि 20 से अधिक रेपिड रेस्पॉन्स टीम का गठन किया है जो घर -घर डेंगू की जागरूकता एवं बचाव के लिए क्षेत्रों का भ्रमण करें।
इस संबंध में उन्होंने आमजन से अपील की है कि अभियान चलाकर मौहल्लावार टीम बनायें, बुखार के रोगी को तुरंत उपचार दिलाएं। कूलर में गंदे पानी का प्रयोग न करें। अप्रशिक्षित डॉक्टरों से उपचार न लें। टूटे बर्तन और टायरों में पानी जमा न होने दें। खुले में सोने से बचें। खून की जांच सरकारी अस्पताल व पंजीकृत पैथोलॉजी पर ही कराएं। उन्होंने लोगों से कहा कि कोरोना से हम लोग जंग जीत चुके हैं, अब डेंगू और वायरल से भी जंग जीतनी है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ गोपाल प्रसाद गोयल एवं अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ चेतराम मीणा ने बताया कि डेंगू एक प्रकार का बुखार है। जिसके फैलने के कारण जानें और बचाव के उपाय अपनाएँ।
डेंगू चार वायरसों के कारण होता है, जो इस प्रकार हैं – डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4। जब यह पहले से संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है और बीमारी तब फैलती है जब वह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है और वायरस व्यक्ति के रक्तप्रवाह के जरिये फैलता है।
जानें -डेंगू कैसे होता है?
डेंगू मच्छर वर्षा ऋतु के दौरान बहुतायत से पाये जाते हैं। यह मच्छर प्रायः घरों स्कूलों और अन्य भवनों में तथा इनके आस-पास एकत्रित खुले एवं साफ पानी में अण्डे देते हैं। इनके शरीर पर सफेद और काली पट्टी होती है इसलिए इनको टाइग्र (चीता मच्छर) भी कहते हैं। यह मच्छर निडर होता है और ज्यादातर दिन के समय ही काटता है। डेंगू एक विषाणुसे होने वाली बीमारी है जो एडीज एजिप्टी नामक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से फेलती है। डेंगू एक तरह का वायरल बुखार है।
डेंगू बुखार से बचाव के उपाय-
छोटे डिब्बों व ऐसे स्थानों से पानी निकालें जहॉं पानी बराबर भरा रहता है। कूलरों का पानी सप्ताह में एक बार अवश्य बदलें। घर में कीट नाशक दवायें छिडकें। बच्चों को ऐसे कपडे पहनायें जिससे उनके हाथ पांव पूरी तरह से ढके रहें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। मच्छर भगाने वाली दवाईयों, वस्तुओं का प्रयोग करें।
टंकियों तथा बर्तनों को ढककर रखें। सरकार के स्तर पर किये जाने वाले कीटनाशक छिडकाव में सहयोग करें। आवश्यकता होने पर जले हूये तेल या मिट्टी के तेल को नालियों में तथा इक्कट्ठे हुये पानी पर डालें। रोगी को उपचार हेतु तुरन्त निकट के अस्पताल व स्वास्थ्य केन्द्र में ले जाएँ। डेंगू बुखार की रोकथाम हेतु निम्न कार्यवाही करें। रोगी की रोकथाम हेतु सर्वे, जांच, उपचार तथा रोकथाम की कार्यवाही रोगियों के निवास के 5 किमी के दायरे में करवाएं। क्षेत्र से सम्बन्धित नगर परिषद एवं नगरपालिका के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित कर रोग की रोकथाम हेतु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा नगर परिषद के कर्मचारियों का संयुक्त दल बनाकर एन्टी लार्वा कार्यवाही करा सुनिश्चित करें। जिले में पानी एकत्रित होने वाले सभी स्थानों (जहां पर मच्छर प्रजनन की सम्भावना है) पर एन्टी लार्वा की कार्यवाही की जाएँ । प्रचार-प्रसार द्वारा आम लोगों को रोग से बचाव तथा मच्छरों के प्रजनन स्थानों पर एन्टी लार्वा कार्यवाही के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएँ। इस दौरान एसडीएम भारती भारद्वाज, तहसीलदार भगवत शरण त्यागी, डीआरसीएचओ डॉ शिवकुमार शर्मा सहित अन्य चिकित्सा विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
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