आदिवासियों के हक की लड़ाई के लिए एवं गुमराह करने वालों के खिलाफ समाज ने भरी हुंकार, सर्व आदिवासी समाज के आंदोलन में उमड़ा आदिवासियों का जन सैलाब | New India Times

मो. मुजम्मिल, तामिया/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:

आदिवासियों के हक की लड़ाई के लिए एवं गुमराह करने वालों के खिलाफ समाज ने भरी हुंकार, सर्व आदिवासी समाज के आंदोलन में उमड़ा आदिवासियों का जन सैलाब | New India Times

तामिया विकासखण्ड की लहगड़ुआ पंचायत के मलाल ढाना में आदिवासी परिवार के विवाह समारोह में पुलिस एवं राजस्व प्रशासन के द्वारा ज्यादती एवं 18 निर्दोष आदिवासियों को षड्यंत्रपूर्वक केस में फंसाकर जेल भेजने की घटना के खिलाफ एवं समाज को गुमराह कर रहे कुछ चंदाचोरों एवं बहरूपियों के असली चेहरे को बेनकाब करने के लिए सर्व आदिवासी समाज ने आज तामिया में सड़क पर आकर समाज के हक की लड़ाई के लिए जबरदस्त हुंकार भरी। सर्व आदिवासी समाज का यह जंगी प्रदर्शन आदिवासियों के हक की लड़ाई के साथ ही साथ पिछले कई दिनों से तामिया में मलाल ढाना कांड की आड़ में कुछ तथाकथित स्वयंभू आदिवासी हितैषी होने का ढोंग करने वाले चंदाखोर बहरूपियों के चेहरे को बेनकाब करने लिए भी हुआ। आंदोलन में सम्मिलित हुए लोगों का कहना था कि कुछ लोग भाजपा की बी टीम बनकर समाज को बहकाने का काम कर रहे हैं। ये लोग कभी भी समाज के भोले भाले लोगों को वरगलाकर उनसे चंदा वसूली करके अपनी राजनीति चमकाने के काम करते हैं। आदिवासियों के द्वारा सर्वप्रथम भोलेनाथ, बड़ादेव एवं वीरांगना रानी दुर्गावती का पूजन कर आंदोलन में शामिल हुए समाज के वरिष्ठजनों एवं जनप्रतिनिधियों का पीला गमछा पहनाकर प्रारम्भ किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय विधायक सुनील उइके ने कहा कि हमें सच्चाई को पहचानना है। मलाल ढाना की घटना घटित होने के बाद पीड़ित परिवार से मिलने वाला अगर कोई जनप्रतिनिधि था तो वह मैं था। मैंने ही पीड़ित परिवार से मिलने के पश्चात जिले के पुलिस कप्तान सहित आला अधिकारियों से चर्चा कर तत्काल ही तामिया टीआई को हटाने एवं घटना की जांच किसी आदिवासी अधिकारी से कराने की मांग की थी। फिर मैंने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी एवं छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ जी के निर्देश पर कांग्रेस के आदिवासी विधायकों के साथ पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की थी। जो लोग आज तामिया में आदिवासियों के हितैषी होने का ढोंग कर चंदाखोरी कर रहे हैं, वे गुलसी हत्या कांड पर आंदोलन क्यो नहीं कर रहे है, वे नेमावर की घटना पर क्यों चुप्पी साधे बैठे है? आदिवासी नेता मनमोहनशा बट्टी की भोपाल में संदिग्ध मौत की जांच कराने के लिए आंदोलन क्यों नहीं कर रहे हैं? कमलनाथ जी की पूर्ववर्ती सरकार ने आदिवासियों के लिए परिवार में संतान के जन्म पर 50 किग्रा अनाज एवं मृत्यु पर 100 किलो अनाज देने की व्यवस्था करते हुए हजारों क्विंटल अनाज शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में भेजा था जो आज तक इस सरकार में आदिवासियों को नहीं मिला। आदिवासियों के हिस्से का अनाज कौन डकार गया? ये तथा कथित आदिवासी नेता इस पर कोई आंदोलन क्यों नही करते? इससे यह साफ साबित होता है कि ये आदिवासियों के हितैषी नहीं बल्कि भाजपा की बी टीम हैं। बिछुआ की जनता ने जमानत जप्त कराकर इनकी दुकान बंद करा दी है इसलिए ये अब तामिया की भोलीभाली जनता को गुमराह कर यहां अपनी दुकान चलाने आए हैं। मुझे पूरा यकीन है कि तामिया के लोग इन्हें उल्टे पैर यहां से खदेड़ेंगे। पांढुर्णा विधायक नीलेश उइके ने कहा कि जब समाज की बात आए तो हमें एकजुट हो जाना चाहिए। कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए समाज को गुमराह कर रहे हैं। हमारे नेता कमलनाथ जी कभी भी नौटंकी नही करते बल्कि पीड़ितों की मदद करते हैं। आदिवासी नेता रमेश उइके ने कहा कि आज जो कार्यवाही तत्कालीन टीआई पर हुई है यह आदिवासी विधायको के पुलिस महानिदेशक से मुलाकात के कारण ही हुई है।

कार्यक्रम का संचालन आदिवासिनेता राजेन्द्र ठाकुर ने किया। धरना के उपरांत उपस्थित आदिवासियों ने विशाल रैली के रूप में थाने पहुंचकर एसडीएम मधुवन्त राव धुर्वे एवं एसडीओपी एस के सिंह को महामहिम राज्यपाल के नाम का ज्ञापन सौंपा।
धरना आंदोलन में लोकसभा चुनाव में बैतूल से काँग्रेस प्रत्याशी रहे रामु टेकाम, जुन्नारदेव विधायक सुनील उइके, पांढुर्णा विधायक नीलेश उइके, जबलपुर की आदिवासी नेता जमना मरावी, अनूपपुर के रेवासिंह धुर्वे, पूर्व विधायक जतन उइके, सांसद प्रतिनिधि जमील खान, छिंदी पर्यवेक्षक कमल राय, मनमोहन साहू, रमेश उइके, सुंदर पटेल, अग्घनशा उइके, राजेन्द्र ठाकुर, उमरावशा उइके, सोहन सरेआम, उजरसिंग भारती, महेश धुर्वे, बालाराम परतेती, संजय परतेती, संगीता परतेती, ब्रजकुमारी सरयाम, सिरसु उइके, जीतेन्द्रशा, संतोष भारती, अनिल गांधी, समेत उइके, प्रेमशा भलावी, जगदीश उइके, फूलवती परतेती, लौकेश धुर्वे सहित हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।


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