रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
झाबुआ जिले में इस समय अतिक्रमण हटाओ मुहिम चल रही है लेकिन इस कार्रवाई में स्थायी और बड़े अतिक्रमणों को न हटा कर प्रशासन गरीबों की गुमटियों, टीन शेड, होर्डिंग्स, बोर्ड आदि हटवाने में व्यस्त है और प्रशासन सरकारी तालाबों की ओर भी नहीं देख पा रहा है जो आम जनता के जीवन से सीधे तौर पर जुड़ा है। तालाब पर इस तरह कब्जा लगातार बढ़ता गया तो वह दिन दूर नहीं जब शहर की जमीन का पानी का लेवल इतना कम हो जाएगा कि गर्मियों में पानी के लिए तरसना पड़ेगा।
बहादुर सागर तालाब अपनी उपेक्षा के चलते चारों तरफ से हो रहे अतिक्रमण से अपना आकार खोता जा रहा है। दोनों सरकारों ने अपने चुनावी एजेंडे में बहादुर सागर तालाब के सौंदर्यीकरण की बात कही लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं किया। विचारणीय है कि जो तालाब नगर पालिका को करोड़ों का राजस्व दे सकता हो उस तालाब पर नगर पालिका जनता को संतोषजनक परिणाम देने में नाकाम रही है। यह तालाब रियासतकाल में 68 बीघा में फैला था जो अब सिमटकर 63 बीघा का हो गया। तालाब एक समय शहर की जलापूर्ति का प्रमुख स्रोत रहा है जो अब 5 बीघा सिकुड़ गया।
टापू पर लाइटिंग फाउंटेन और ट्री लगाए थे, तालाब के चारों ओर बने दर्जनों घाट में अब दो ही अस्तित्व में हैं और तालाब से सटे सार्वजनिक कुएं निजी सम्पत्ति में बदल गए हैं। कुछ का भराव कर मकान तान दिए गए। पीपली नाका से लेकर मारुति नगर के सैकड़ों घरों की गंदगी सीधे मिलने से खुले सेफ्टी टैंक में तब्दील हो चुके तालाब में बीमारी फैलने का खतरा है। जलकुंभी से पटे तालाब में कमल की अवैध खेती की जा रही है। बहादुर सागर तालाब में अवैध मछली पालन किया जा रहा है। यहां रात दिन मछलियां पकडऩे वालों का जमघट लगता है जहां विवाद भी होते हैं। नगर के मछली मार्केट में तालाब की मछलियों को बेचा जा रहा है। प्रशासन ने कभी किसी पर जुर्माना नहीं लगाया है।
तत्कालीन सीएमओ सीपी राय ने बहादुर सागर तालाब के टापू पर लाइटिंग फाउंटेन और ट्री लगाए थे जिस पर लाखों खर्च किया गया, आज टापू वीरान है।
31 बीघा का राणा तालाब रह गया आधा, 11 जगहों पर हुआ अतिक्रमण चिह्नित
प्रशासन की लेटलतीफी इस बात पर भी दिखाती है कि करीब 5 वर्ष पूर्व 1 सितम्बर 2014 को जिले से संयुक्त टीम बनाकर राणा तालाब का सीमांकन भी हुआ और
करीब 11 जगहों पर अतिक्रमण चिह्नित किया गया लेकिन आज तक उन चिह्नित 11 जगहों से अतिक्रमण हटाया नहीं गया। उस समय हुए सीमांकन की रिपोर्ट आज तक जनता के सामने सार्वजनिक नहीं की गई। राणा तालाब पर रसूखदार नेताओं एवं अन्य लोगों ने स्थाई अतिक्रमण कर रखा है। इसी तरह झाबुआ जिले के मेघनगर में भी सरकारी जमीनों पर भुमाफिया कुंडली मारकर बैठे हैं जिन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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