अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी के CAA व NRC के अलावा जामिया यूनिवर्सिटी के बेकसूर स्टुडेंट्स पर पुलिस बर्बरता को लेकर दिल्ली में खुलेआम धरना देने व सोनिया गांधी की अगुवाई में अधिकांश विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा राष्ट्रपति से मिलकर विरोध जताते हुये मेमोरेंडम देने के बावजूद राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के CAA व NRC का सीधे सीधे विरोध करने से बचते हुये अबतक पूरी तरह शांत प्रदेश राजस्थान में कल 22 दिसम्बर को जयपुर के अलबर्ट हाल से गांधी सर्किल तक शांति मार्च करने की घोषणा पर जनता में अलग-अलग तरह की चर्चाएं होने लगी हैं।
किसी भी कानून या सरकारी कार्य पर विचार व्यक्त करने व शांतिपूर्ण विरोध व्यक्त करने का हर भारतीय नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है। उसी के तहत भारत के आसाम में NRC लागू होकर करीब बीस लाख के करीब नागरिकों पर आई आफत व CAA को संविधान के खिलाफ मानकर भारतीय नागरिक अपने लोकतांत्रिक तरिके से अलग-आलग जगह विरोध दर्ज कराने में लगे हुये हैं। भारत भर की तरह राजस्थान में भी अधीकांश जगह उक्त कानून को संविधान पर चोट करने वाला कदम बताते हुये नागरिक अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं लेकिन राजस्थान प्रदेश भर में हो रहे उक्त विरोध प्रदर्शनों में कांग्रेस का चाहे पर्दे के पीछे हाथ कहीं पर अगर हो तो कह नहीं सकते लेकिन अभी तक कांग्रेस व कांग्रेस नेताओं का उक्त प्रदर्शनों में सीधा जुड़ाव अभी तक नजर नहीं आ रहा है। फिर भी कांग्रेस को जयपुर में शांति मार्च निकालने की जरुरत क्यों पड़ी है इसको लेकर अलग-अलग मत बताये जा रहे हैं।
हालांकि कांग्रेस सरकार के जयपुर में 22-दिसंबर को शांति मार्च निकालने की घोषणा के पहले अनेक संगठनों ने भी 22-दिसंबर को ही कर्बला में एकत्रित होकर उक्त कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराने की घोषणा कर रखी थी लेकिन अचानक कल उक्त संगठनों ने कर्बला की जगह बदलकर मोतीडूंगरी रोड़ पर विरोध दर्ज करने का ऐलान करने के पीछे कांग्रेस के दो अल्पसंख्यक विधायकों की कोशिश बता रहे हैं।
कुल मिलाकर यह है कि लोकतांत्रिक तरीके से किये जाने वाले विरोध को शांतिपूर्ण बनाये रखने की जिम्मेदारी आयोजकों व उसमें शिरकत करने वालों की होती है फिर भी कानून व्यवस्था बनाये रखने की सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है। प्रदेश में चल रहे शांतिपूर्ण विरोध के मध्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई मे 22-दिसंबर को जयपुर में निकाले जाने वाले राज्य सरकार के शांति-मार्च की चर्चा चारों तरफ है। पश्चिमी बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी CAA व NRC के विरोध में रोजाना मार्च निकाल रही हैं वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में 22 दिसंबर को जयपुर में अल्बर्ट हाल से गांधी सर्किल तक शांति मार्च निकालने की घोषणा की है।
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