फुटपाथ की फर्जी रजिस्ट्री करवा कर व दुकानें बनाकर किराए पर देने का मामला हुआ उजागर | New India Times

रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:फुटपाथ की फर्जी रजिस्ट्री करवा कर व दुकानें बनाकर किराए पर देने का मामला हुआ उजागर | New India Times

अफसरों ने नजूल की करोड़ों रुपए की भूमि को किस तरह निजी लोगों की जागीर बना दिया इसका नजारा पूरे जिले में देखा जा सकता है लेकिन झाबुआ शहर में तो फुटपाथ की भी रजिस्ट्री कर दी गई जबकि फुटपाथ पर किसी तरह का निर्माण यहां तक कि स्थाई बोर्ड तक नहीं रख सकते हैं, लेकिन उस पर दुकानें बना दी गईं और उनसे हजारों रुपए हर माह किराया वसूला जा रहा है।
फुटपाथ किसी गली या गांव में हो तो भी मान सकते हैं कि अधिकारियों को नहीं दिखा होगा लेकिन यह तो नगर की ह्रदय स्थली कहे जाने वाले बीच राजवाड़ा पर है।
राजवाड़ा चौक पर करीब 90 वर्ग फीट के फुटपाथ की रजिस्ट्री करवा कर उस पर दुकानें खोल दी गई। 90 वर्गफुट की रजिस्ट्री के बाद इन दुकानदारों ने सड़क पर बनी नालियों के बाहर तक पक्का निर्माण कर दोगुना अतिक्रमण किया।
यहां भूमि का बाजार भाव 14 से 15 हजार वर्गफुट है।
90 वर्गफीट की रजिस्ट्री के बाद 150 वर्गफीट जमीन पर अतिक्रमण हो चुका है। इस जमीन की कीमत आज के भाव से कम से कम 22 लाख रुपए कीमत है। खास बात यह भी है कि जिस भाग की रजिस्ट्री की गई है, उनके दोनों और का फुटपाथ नजूल का है मतलब एक हिस्सा निजी बाकी सरकारी। यह हिस्सा प्रशासन को नहीं दिखा, अतिक्रमण के नाम पर यहां सभी घुमटियों को हटा दिया जाता है लेकिन यह हिस्सा प्रशासन को नहीं दिखता।
शहर में यूं तो सभी फुटपाथ पर अस्थाई अतिक्रमण जिसे अपनी पीठ थपथपाने समय-समय पर दो-चार दिन के लिए हटा भी दिया जाता है पर रोचक बात है कि एक फुटपाथ की रजिस्ट्री कर दी गई। फुटपाथ भी शहर की गलियों या बाजारों में नहीं किया गया बल्कि यह अतिक्रमण तो सांस्कृतिक विरासत को भी छुपा रहा है इस पर किसी जिम्मेदार की नजर ही नहीं है।
प्रशासन कार्रवाई को दूसरी दिशा में लेकर जा चुका है
ऑपरेशन क्लीन के तहत प्रशासन को भू माफियाओं पर कार्रवाई करना है लेकिन प्रशासन कार्रवाई को दूसरी दिशा में लेकर जा चुका है। जहां पर गरीब लोगों के पट्टे की जमीन पर बनाए गए घर तोड़े जा रहे हैं। नगर में गलत लोगों पर कार्रवाई करने का विरोध भी हो रहा है। लोगों का कहना है कि नगर में लगभग 100 से ज्यादा स्थानों पर अतिक्रमण हैं इसमें 40 से अधिक स्थान ऐसे हैं जहाँ पक्के अतिक्रमण कर रसूखदार वर्षों से शासकीय भूमि का दुरुपयोग कर रहे हैं।
किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा सकता
शहर का मुख्य आकर्षण राजवाड़ा अपने अस्तित्व को खो रहा है। विभिन्न राजनीतिक आयोजनों के लिए राजवाड़े के बाहर पक्का स्टेज तैयार किया। इसका आम जनता के लिए कोई उपयोग नहीं है।
राजवाड़े से कॉलेज मार्ग जाने वाले रस्ते पर बने फुटपाथ पर पूर्णत अवैध दुकानों पर प्रशासन के सुस्त रवैये से राजवाड़ा पूर्व दिशा से पूरी तरह दब गया है। नियमानुसार हेरिटेज के बाह्य स्वरूप में किसी भी तरह परिवर्तन नहीं किया जा सकता। सिर्फ मरम्मत की जाती है। राजस्व व नगर पालिका दोनों ही विभाग अपनी जिम्मेदारियों से अनभिज्ञ होकर भूमाफियाओं से साठगांठ कर अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं।

फुटपाथ पर किसी तरह का निर्माण तक नहीं हो सकता फिर रजिस्ट्री कैसे हो गई? मैं इसे दिखवाता हूं। अतिक्रमण के स्थान चिह्नित हैं, पूरे नगर को साफ सुथरा अतिक्रमण मुक्त करेंगे: डॉ अभय खराड़ी, एसडीएम

झाबुआ जिले के मेघनगर में भी अतिक्रमणकारियों ने अपनी सीमाएं लांघ दी है। करोड़ों की शासकीय जमीनों पर भू माफियाओं का कब्जा है। भू माफियाओं ने कुएं, बावड़ी, धर्मशाला व गंदे नालों पर भी कांप्लेक्स बनाकर अलिशान बिल्डिंगे तान दी हैं।


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By nit

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