हिन्दुस्तानी अनूठी परम्परा गंगा-जमुनी तहज़ीब और इंसानी रिश्तों की हिफाज़त का पर्व रक्षाबंधन हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न | New India Times

अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ झांसी (यूपी), NIT; ​हिन्दुस्तानी अनूठी परम्परा गंगा-जमुनी तहज़ीब और इंसानी रिश्तों की हिफाज़त का पर्व रक्षाबंधन हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न | New India Timesहम सभी सामाजिक प्राणी है, जो एक-दूसरे से जुड़े रहने के लिए अपनी मर्ज़ी से रिश्तों के बंधन में बंधते है। ये बंधन हमारी आज़ादी का हनन करने वाले बंधन नहीं अपितु प्यार और स्नेह के बंधन होते हैं, जिन्हें हम जिंदादिली से जीते और स्वीकारते हैं। 

रक्षाबंधन, सात्विक प्रेम का त्योहार है। तीन नदियों के संगम की तरह यह दिन तीन उत्सवों का दिन है। श्रावणी पूर्णिमा, नारियल पूर्णिमा और रक्षाबंधन। श्रावण व श्रावक के बंधन का दिन है रक्षाबंधन। सावन के महीने में मनुष्य पावन होता है । उसकी आत्मा ही उसका भाई है और उसकी वृत्तियां ही उसकी बहन हैं। प्रेम वासना के रूप में प्रदर्शित हो तो इंसान को रावण और प्रेम प्रार्थना के रूप में प्रदर्शित होने पर इंसान को राम बना देता है।
वैसे तो यह त्योहार, मुख्यत: हिन्दुओं में प्रचलित है पर इसे हिन्दुस्तान के सभी धर्मों के लोग समान उत्साह और भाव से मनाते हैं। पूरे हिन्दुस्तान में इस दिन का माहौल देखने लायक होता है और हो भी क्यूं ना, यही तो एक ऐसा ख़ास दिन है जो भाई-बहनों के लिए बना है।  
इस तरह यह त्योहार साम्प्रदायिक सौहार्द और आपसी विश्वास का भी प्रतीक बन जाता है। यह प्रथा आज भी जीवित है। विभिन्न धर्मों के मानने वाले अपनी मुंह बोली बहनों से राखी बंधवा कर अपने वचन और धर्म दोनों का पालन करते हैं। यह सिर्फ हमारे अज़ीम मुल्क हिन्दुस्तान में ही संभव है।   
भाई-बहन का रिश्ता अद्भुत स्नेह व आकर्षण का प्रतीक है।
इस रिश्ते को दशकों से निभा रहे हैं, समाजवादी चिंतक सैय्यद शहनशाह हैदर आब्दी जो भेल झांसी निवासी अपनी प्यारी छोटी बहन श्रीमती गीता यादव से राखी बंधवाते हैं। वो कहते हैं,”हमारी प्यारी बहन गीता, श्रीमद् भागवत गीता की तरह मुश्किलों में हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है। हमारा तो मानना है कि सरकार को इस प्यार, मोहब्बत, साम्प्रादायिक सौहार्द, आपसी विश्वास और भाईचारे के महत्वपूर्ण त्योहार को ”राष्ट्रीय पर्व” घोषित कर इसे मनाना अनिवार्य कर देना चाहिऐ। इससे सामान्यतय: महिलाओं और विशेषकर युवतियों के प्रति अत्याचार कम करने भी मदद मिलेगी और साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ेगा, जो देश को विश्व गुरु बनाने में सहायक होगा।”​हिन्दुस्तानी अनूठी परम्परा गंगा-जमुनी तहज़ीब और इंसानी रिश्तों की हिफाज़त का पर्व रक्षाबंधन हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न | New India Times
वहीं श्रीमती गीता यादव कहती हैं,” आब्दी भैय्या की उपस्थिति हमारे हर दु:ख हर लेती है। वे हमारे परिवार के लिये ईश्वरीय वरदान हैं।” 
यह साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाने वाली प्यारी परम्परा यहां ही नहीं रूकी है। इसे अगली पीढ़ी में हस्तांतरित कर दिया गया है। श्री छोटे लाल यादव और श्रीमती गीता यादव की इकलौती बेटी कोकिला यादव बचपन से अपने भाईयों इंजीनियर सैय्यद अज़ीज़ हैदर आब्दी और सैय्यद निसार हैदर आब्दी को राखी बांधती हैं। जो सैय्यदशहनशाह हैदर आब्दी के पुत्र हैं और कहती हैं कि हमें भाईयों की कमी कभी महसूस ही नहीं हुई।
आज के तनावपूर्ण माहौल में जहां ज़रा ज़रा सी बात पर साम्प्रदायिक दंगे हो जाते हों, नफरत की सियासत अपने शबाब पर हो, ऐसे में यह रिश्ते न सिर्फ सुकून पहुंचाते हैं बल्कि आश्वस्त भी करते हैं कि हिन्दुस्तान में गंगा-जमुनी तहज़ीब और सर्वधर्म-समभाव हमेशा सुरक्षित रहेगा और देश के राष्ट्रीय ध्वज का रंग तिरंगा ही रहेगा। इसे एक रंगा करने की हर कोशिश आम हिन्दुस्तानी नाकामयाब कर देगा।


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