वी.के.त्रिवेदी, लखीमपुर खीरी (मप्र), NIT; उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी की तहसील गोला गोकर्णनाथ जोकि छोटी काशी के नाम से भी विख्यात है सावन के चौथे सोमवार को बाबा भूतनाथ के मेले में दर्शन करने के लिए लाखों भक्त पूजा करने के लिए आए और पूजा अर्चना करके भक्तों ने बाबा भूतनाथ के दर्शन कर अपने जीवन को सफल बनाया।बाबा भूतनाथ मंदिर के पुजारी से मिली जानकारी के अनुसार गोला गोकर्णनाथ में भोले बाबा के दर्शन करने के बाद भूतनाथ बाबा के दर्शन करने पर भक्तों की पूजा सफल मानी जाती है क्योंकि यह ग्वाला के नाम से जाना जाता था तथा तीर्थ स्थल भी बोला जाता है, तभी से ग्वाला का नाम गोला गोकर्णनाथ के नाम से जाना जाने लगा है। गोला गोकर्णनाथ छोटी काशी भूत नाथ मंदिर में एक कुआं भी है जिसमें भक्त अपने मुख से हूं की आवाज निकालकर बोलता है, तो उस वक्त भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रावण शिव भगवान को जब लंका लिए जा रहा था तब रावण को लघुशंका लगी जब उसने देखा कि घनघोर जंगल में कोई नहीं है तो उसे एक गाय चराता हुआ ग्वाला नजर आया तब रावण ने उसको बुलाया और कहा कि मेरी यह शिवलिंग पकड़ लो और मैं लघुशंका हो आता हूं तभी भोले बाबा की महिमा ऐसी हुई कि ग्वाला के हाथ में पकड़ी हुई शिवलिंग का वजन बढ़ने लगा और उधर रावण लघुशंका करने के लिए गया और उसकी लघुशंका भगवान शिव ने बढ़ा दी जब ग्वाला शिवलिंग का वजन न सह पाया तो उसने शिवलिंग को वहीं पर रख दिया जब रावण लघुशंका करके आया तो देखा कि शिवलिंग पृथ्वी पर रखी हुई है तथा रावण ने उस शिवलिंग को उठाने का बहुत प्रयास किया परंतु वह शिवलिंग को नहीं उठा पाया तभी रावण ने क्रोध में आकर शिवलिंग को अपने अंगूठे से नीचे को दाब दिया और रावण ने कहा की पाताल लोक चले जाओ इसलिए शिवलिंग के ऊपर जो अंगूठे का निशान है वह यही दर्शाता है फिर रावण ने ग्वाला को दौड़ा लिया ग्वाला अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग निकला और रास्ते में उसे एक कुआं दिखाई पड़ा ग्वाले ने उस कुएं में कूद कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली जब ग्वाला भूत योनि में भोले बाबा से मिला और कहने लगा भोले बाबा हम तो भूत बन गए हैं तो भोले बाबा ने कहा आपका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा आपको भूतनाथ बाबा के नाम से जाना जाएगा।और सम्पूर्ण सावन में नागपंचमी के बाद जो सोमवार आयेगा,उस दिन आपके नाम एक दिन का मेला लगेगा। इसी दौरान पत्रकारों ने दूर दराज से जल भरकर भोले बाबा पर चढ़ाने के लिए आए भक्तों को प्रसाद के रूप में केले खिलाएं।और गोला नगर में जगह जगह श्रद्धालुओं ने भण्डरें भी करायें।
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