ओवैस सिद्दीकी, अकोला (महाराष्ट्र), NIT;
अकोला जिला के अकोट शहर के अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र प्रभाग क्रमांक 1 अकबरी प्लाट के रास्ते, दिवार और नालियों को बनाने के लिए शासन द्वारा करीब 90 लाख रुपयों की निधि मंज़ूर की गयी थी और इस कार्य का ठराव वर्ष 2013 में नगर परिषद द्वारा लिया गया था। तत्कालीन नगराध्यक्ष, सीईओ, तीन नगर सेवक, शासकीय अभियंता, ख़ज़गी कांट्रेक्टर, द्वारा अंजनगांव सुर्जी रोड से लगकर मौलाना आज़ाद स्कूल तक और दिग़र रस्ते, नालियों के काम को आरम्भ किया था, परंतु यह काम शासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन न करते हुए किया गया, जिसमें लाखों रुपयों का भ्रष्टाचार किया गया । केवल 30 दिनों में ही नगर परिषद द्वारा बनाई गयी सड़क उखड गयी। जिस के बाद अकोट के प्रभाग क्रमांक 1 के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गैर कानूनी काम के खिलाफ आवाज़ उठाई और सम्बंधित अधिकारियों को इस की शिकायत दर्ज करवाई ,जिस के बाद तत्कालीन जिला अधिकारी आकोला द्वारा इस पूरे मामले की जांच गुण मूल्यांकण समित्ति से करवाने के आदेश पारित किए गए। जिस के बाद अमरावती के शासकिय्य तंत्रिकी महाविद्यलाय की एक जांच समित्ति द्वा रा इस पुरे मामले की जांच कर अपना अहवाल जिल्लाधिकारी अकोला को सौंपा गया जिस में जनता के साथ किये गए भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। जिस के बाद इस मुद्दे पर जनहित में आवाज़ उठाने वाले सामाजिक कार्येकर्ता अब्दुल ज़मीर ने इस पुरे मामले में दोषी लोगों के खिलाफ पुलिस स्टेशन अकोट में एक लिखित शिकायत दर्ज कर तत्कालीन नगराध्यक्ष, 3 नगर सेवक सीईओ, शासकिय्य अभियंता और कांट्रेक्टर के खिलाफ भा,दा, वि, की धरा, 405, 406, 409, 415,425, 426, 431, 432, 120 बी,149 के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी परंतु पुलिस द्वारा कार्यवाही न करने के बाद जिला पुलिस अधीक्षक अकोला को शिकायत दर्ज करवाई गयी लेकिन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने पर शिकायत कर्ता ने प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी के न्यायालय में C.R.P.C की धरा 156(3) के अंतर्गत गुन्हा दर्ज करने की मांग अकोला के फौजदारी मामलों के अधिवक्ता नजीब शेख़ के माध्यम से दायर की, जिसमें में सुनवाई के बाद न्यायालय ने सभी लोगों के खिलाफ गुनाह दर्ज करने के आदेश दिए। जिस के बाद तत्कालीन नगराध्यक्ष, तीन नगर सेवक और कांट्रेक्टर द्वारा अकोट जिल्ला व सत्र न्यायाधीश के कोर्ट में अग्रिम जमानत हेतु और C.R.P.C की धारा 397 के तहत पुनरलोकन याचिका दायर की गयी, जिस की सुनवाई 5/4/18 को अकोट सत्र न्यायाधीश सुब्रमनयम इनके कोर्ट में राखी गयी थी।जिस में शिकायत कर्ता की तरफ से अधिवक्ता नजीब शेख़ हाज़िर हुए थे। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को एक ऐतेहासिक सुझाव दिया की आरोपियों की जमानत और दिग़र याचिकाओं को सुनने से पहले इस मामले में ज़िम्मेदार लोगों ने रास्ते ,दिवार और नालियों को सरकार द्वारा निर्देशित किये गए शर्तो के अनुसार जनता को दोबारा से बनाकर देना चाहिए जिस पर शिकायत कर्ता के वकील नजीब शेख़ ने अपनी सम्मति यह कहकर दार्शयी के उनके पक्षकार ने जनहित में न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है। जिस के बाद न्यायाधीश सुब्रमण्यम ने संबंधितों को तुरंत लेखी आदेश दिया की एक महीने के भीतर शिकायत में दर्ज रस्ते, नालियां और दिवार को बनाना चाहिए और इस की रिपोर्ट 21/4/18 को न्यायालय में पेश कर के अवगत करना चाहिए इतना ही नहीं न्यायधिश ने मौजूदा अकोट नगर परिषद की C.E.O गीता ठाकुर मैडम को तुरंत कोर्ट में बुलाया और उन्हें निर्देश दिए की रास्तों का कार्ये उनकी देखभाल में करवाये और कोर्ट में अपना अहवाल सादर करे। इस आदेश के बाद अकोट शहर वासियों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी है। लोगों को न्यायालय के इस आदेश के बाद अब भ्रष्टाचार के कारण टूटी हुई सड़कें फिरसे बनवाकर मिलने वाली है। लोगों में ऐसी चर्चा है कि इस तरह का यह पहला आदेश है जिस में कोर्ट ने भ्रष्टाचारियों को जनता की सड़क और दीवार निर्माण कार्यो को दोबारा से करने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश के बाद जनता का विश्वास न्याय प्रकिर्या पर अधिक मज़बूत हुआ है। इस मामले में शिकायत कर्ता अब्दुल ज़मीर की और से अधिवक्ता नजीब शेख़ ने पैरवी की और तत्कालीन नगराध्यक्ष ,तीनों नगर सेवकों और कॉन्ट्रेक्टर की ओर से बृजमोहन मोहन गांधी, सत्य नारायण जोशी और जी.जी. अग्रवाल ने पैरवी की।
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