राजस्थान में मुस्लिम समुदाय के पास अनेक अनमोल रत्न, फिर भी अंधेरे में हाथ मारे जा रहे हैं: अशफाक कायमखानी | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान ), NIT; ​राजस्थान में मुस्लिम समुदाय के पास अनेक अनमोल रत्न, फिर भी अंधेरे में हाथ मारे जा रहे हैं: अशफाक कायमखानी | New India Times

राजस्थान के मुस्लिम समुदाय में बढते शैक्षणिक बेदारी के बावजूद बढते आबादी अनुपात की तुलना के मुताबिक युवाओं को उचित मार्गदर्शन न मिलने के अभाव में सिविल सेवा सहित अन्य समानांतर सेवाओं में हमारी भागीदारी का ग्राफ उतना बढ नहीं पा रहा है, जितना समय व प्राप्त सुविधाओं के मुताबिक बढना जरुरी माना जा रहा है। जबकि हमारे युवाओं के मार्गदर्शन के लिये समुदाय के पास अनुभव रखने वाले दो रिटायर्ड जस्टिस, दो रिटायर्ड भारतीय प्रशासनिक सेवा के व चार आई जी पुलिस सेवा स्तर के रिटायर्ड अधिकारी, एक लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष व फौज के रिटायर्ड अनेक आला अधिकारी सहित अनेक भारतीय व स्टेट सर्विस के रिटायर्ड अनमोल रत्न मौजूद हैं, फिर भी इन सबकी योग्यताओं, अनुभव व विशाल ज्ञान का फायदा समाज को नहीं मिल पाने के पिछे समाज के जागरुक लोगों की कहीं ना कहीं कमी व इन रत्नों में मुश्किल व विपरित हालात में भी कुछ कर गुजरने के जज्बे का अभाव ही माना व समझा जायेगा।​राजस्थान में मुस्लिम समुदाय के पास अनेक अनमोल रत्न, फिर भी अंधेरे में हाथ मारे जा रहे हैं: अशफाक कायमखानी | New India Timesराजस्थान के मुस्लिम समुदाय मे आठ-दस सालों में भारतीय प्रशासनिक व पुलिस सेवा में एक दो लोग कभी कभार सलेक्ट होते रहे हैं। वहीं इनमें से इनकी ऐलाइड सेवा में अक्सर कोई ना कोई सलेक्ट होते आना जरुर है। दुसरी तरफ स्टेट सेवा में कामयाबी की भी यही हालत पिछले कुछ सालों से जस की तस बनी हुई है। कभी कभार एक दो लोग प्रशासनिक सेवा में चयनित हो रहे हैं। बाकी तो इनकी ऐलाइड सेवाओं तक ही पहुंच पा रहे हैं।

राजस्थान में नब्बे के दशक के आस-पास मोती डुंगरी रोड़ स्थित नानाजी की हवेली में विभिन्न तरह की परिक्षाओं की तैयारी के लिये कौम के जागरुक व खिदमतगुजार लोगों की इच्छा शक्ति के बल पर रेजिडेन्शियल क्लासेज चलती थी। उन्हीं क्लासेज की ताकत के बल पर निकले ज्यादातर अधिकारी ही आज राजस्थान की सिविल सेवा में नजर आ रहे हैं। जिनमें से कुछ तो रिटायर हो चुके हैं एवं कुछ रिटायरमेंट के करीब बताये जा रहे हैं। इन अधिकारियों के रिटायरमेंट के बाद तो खाली बोतल-खाली डब्बा वाली हालत ही समुदाय की बनकर उभर आयेगी। अगर एक दो लोग कही नजर भी आये तो भी तो वो इतने बडे समुदाय को क्या नसीहत देने में कामयाब हो पायेंगे जिसका आंकलन सभी आराम से आज लगा सकते हैं। साथ ही नब्बे के दशक वाले नानाजी की हवेली जैसा माहौल वाले इदारे एक भी प्रदेश भर में समुदाय की तरफ से चलता कहीं नजर नहीं आ रहा है।

 राजस्थान के मुस्लिम समुदाय में चालू सदी के शुरु होने के साथ-साथ एक अजीब तरह का माहौल बनने लगा था। इस तरह की तैयारी कराने के लिये समुदाय अपने में मौजूद फिल्ड के माहिरीन को आगे लाने के बजाये उन सियासी लोगों का मुहं इस उम्मीद से ताकता रहा कि वही अब इस फिल्ड में कुछ करेंगे। जबकि सियासी लोगों का अलग मैदान व अंदाज होता है, जहाँ वो अपने दांव पेच लगाकर अपने आपकी सियासत चमकाने के अलावा अन्य तरफ समय निकाल ही नहीं पाते हैं। इस तरह का काम तो फिल्ड माहिरीन ही अंजाम दे सकते हैं। लेकिन हाथी से हल बुवाने वाली तरकीब से वो नानाजी की हवेली वाला इदारा भी अनेकों के सपनों को चकनाचूर करते हुये अपना अस्तित्व ही खो चला है।

 राजस्थान में जस्टीस असगगर अली चौधरी व जस्टीस भंवरु खान, भारतीय प्रशानिक सेवा के एआर खान व एम एस खान जैसे एवं पुलिस सेवा के रिटायर्ड आई जी स्तर के मुराद अली अब्रा, निसार अहमद फारुकी, लियाकत अली खान व कुवर सरवर खान मौजूद हैं। लोकसेवा आयोग के हबीब खान गोरान व आर्मी रिक्रूटमेंट बोर्ड के सदस्य कर्नल इब्राहीम खान जैसे अनेक स्टेट व आर्मी सेवा के अनगिनत रिटायर्ड अधिकारी अनमोल रत्न के रुप में हमारे मध्य मौजूद हैं। फिर भी हम अंधेरे में हाथ मारे-मारे फिर रहे हैं।​राजस्थान में मुस्लिम समुदाय के पास अनेक अनमोल रत्न, फिर भी अंधेरे में हाथ मारे जा रहे हैं: अशफाक कायमखानी | New India Timesहालांकि यह सभी रत्न व्यक्तिगत तौर पर इनके पास जाने वाले हर शख्स की भरपूर रहनुमाई व मार्गदर्शन करते आ रहे हैं लेकिन सामुहिक तौर पर इनके ज्ञान व अनुभवों का दोहन करने में हम अभी पुरी तरह कामयाब नहीं हो पाये हैं। इन सब बातों व हालात के लिये मेरे जेहन से एक टकराव ही आज तक वजह बनता आ रहा है। समुदाय तो इन अधिकारियों के रिटायर्ड होते ही इनसे उम्मीद करता है कि यह अपने स्तर पर सभी साधन जुटाकर वो सब करे जो आज समाज की जरुरत है। जबकि यह रत्न अपने सेवाकाल के अनुभवों के मुताबिक यह चाहत रखते है कि उनके सेवाकाल में सरकारी स्तर सभी साधन जुटाने की तरह अब भी सभी तरह के साधन समाज का कोई सामाजिक वर्कर जुटाकर इनके ज्ञान व अनुभवों का दोहन समुदाय हित में चाहे भरपूर करे। यह मेरे अनुभव व इन रत्नों से कभी कभार बात होते रहने से मैं यह कह सकता हूं कि यह सभी के सभी रत्न इस तरफ काम करने का पुरा दर्द दिल में रखते है एवं अपने स्तर पर समय-समय पर सेवा अंजाम भी देते आ रहे हैं। लेकिन पुरे सेवा काल में सरकार की तरफ से जुटाये उपलब्ध साधनों के बल ही उचित सेवा करते रहे हैं जबकि रिटायर होने के बाद हम इनसे उम्मीद यह करते है कि A से Z तक के सारे काम यही रत्न करें। जबकि होना तो यह चाहिये था कि ढांचागत इदारे हम पहले से कायम करके रखें एवं फिर इनके रिटायर होते ही समुदाय हित में इनके ज्ञान व अनुभवों का ज्यादा से ज्यादा दोहन हम करें।

 राजस्थान में मौजूदा समय में डायरेक्ट भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित होकर राजस्थान केडर अलाट होने के बाद यहां आये कमरुल जमा चौधरी उदयपुर के उपखंड में उपखंड अधिकारी हैं, वही अतर अमीर को राजस्थान केडर अलाट अभी हुवा है। राजस्थान प्रशासनिक सेवा से तरक्की पाकर भारतीय सेवा के अधिकारी बनने वाले अशफाक हुसैन भारतीय माध्यमीक शिक्षा अभियान, जयपुर व मोहम्मद हनीफ रेवेन्यू बोर्ड अजमेर में सदस्य के पद पर पोस्टेड हैं। राजस्थान पुलिस सेवा से तरक्की पाकर भारतीय पुलिस सेवा में आने वाले हैदर अली जैदी यातायात विभाग जयपुर में डिप्टी कमिश्नर व तारिक आलम गुप्तचर विभाग में पोस्टेड हैं। आर्मी सेवा के कर्नल मंसूर अली खान नाजिम दरगाह अजमेर के पद पर फाइज हैं।राजस्थान हाई कोर्ट में जस्टिस एम.रफीक भी कार्यरत हैं।

कुल मिलाकर यह है कि हमारे मध्य मौजूद सैंकड़ों रत्नों व समुदाय की सोच में एक सामंजस्य का अभाव दिखाई देता है। जिसके चलते जो सफलता हमें मिलनी चाहिये थी वो अभी तक मिल नहीं पाई है। जिस दिन समुदाय में कोई ना कोई मर्दे ए  मुजाहिद खड़ा होकर इनके मध्य सामंजस्य बना देगा, उसी दिन से इन रत्नों का दोहन होना शुरु होकर समाज में रोज नये रत्न पेदा होने शुरु हो जायेंगे।


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