अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजस्थान के दिग्गज़ व मजबूत जनाधार वाले जाट नेताओं को साइड लाईन करके अपने सामने चुनौतियों को कम से कम करने के लिये मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत ने अचानक होटल में गोविंद डोटासरा को कांग्रेस का प्रदेश अध्य्क्ष बना कर उसे लगातार जाट नेता के तौर पर उभारने की भरपूर कोशिश करने के बावजूद जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस जाट बेल्ट में पूरी तरह पिछड़ती नजर आने के बाद जनता में आम चर्चा चल पड़ी है कि इससे पहले भी गहलोत ने डाॅ चंद्रभान को अध्य्क्ष बनाकर अन्य दिग्गज जाट नेताओं को साइड लाईन करने की कोशिश की थी। तब भी परिणाम यह आया था कि जब अध्य्क्ष रहते चंद्रभान मंडावा से कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव लङे तो वो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये थे। अभी विधानसभा चुनाव में समय है लेकिन वर्तमान स्थानीय स्थिती पर नजर डालें तो लक्ष्मनगढ भी वही इतिहास दोहराता नजर आयेगा।
प्रदेश अध्यक्ष व शिक्षामंत्री डोटासरा के निर्वाचन क्षेत्र लक्ष्मनगढ की नेछवा व लक्ष्मनगढ पंचायंत समिति के चुनाव परिणाम मे जनता ने कांग्रेस को बहुमत से दूर रखा। लक्ष्मनगढ में पच्चीस में कांग्रेस को 11 व भाजपा को 13 एवं एक निर्दलीय को सीट थी। जिस तरह ऐनकेन प्रकरण व सत्ता के दुरुप्रयोग करके जनता के फैसले का अपहरण हुवा है उसकी आम जनता मे भारी नाराजगी देखी जा रही है। भाजपा नेता भागीरथ गोदारा ने कङी मेहनत करके कांग्रेस को काफी पीछे धकेल कर जनता का दिल जीता है। चाहे वो अभी प्रधान ही बन पाये हो।
डोटासरा के स्वयं के सीकर जिले की जिला परिषद मे कांग्रेस बूरी तरह हारी ही बल्कि कांग्रेस के चार मत भाजपा की तरफ भी चले गये ओर भाजपा का जिला प्रमुख बन गया। इससे बूरा यहा तक हुवा की डोटासरा उप जिला प्रमुख पद पर कांग्रेस का उम्मीदवार का पर्चा तक भरा नही पाये। इसी तरह पंचायंत राज इतिहास में झूंझूनू में पहली दफा भाजपा का जिला प्रमुख बना एवं चूरु में भी भाजपा का परचम लहराता रहा। जाट बेल्ट की जिला परिषद पर पूरी तरह भाजपा का कब्जा हो गया। बीकानेर में अन्य दिग्गज़ जाट नेता रामेश्वर डूडी अपने दम पर अपनी साख बचाने में कामयाब जरुर रहे। जिनको बीकानेर पर्यवेक्षक सुभाष महरिया का भरपूर सहयोग मिला।
सीकर में सुभाष महरिया की निष्क्रियता से कांग्रेस को बड़ा झटका लगना माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव मे भाजपा को जिले से पूरी तरह आऊट करके भाजपा को जीरो पर आऊट करने मे अहम किरदार अदा करने वाले सुभाष महरिया की जिला परिषद चुनाव में सक्रिता नजर नहीं आये। विधायक अपने अपने स्तर पर भागदौड़ करते रहे। महरिया की किसी भी तरह के विज्ञापन मे भी फोटो नजर तक नही आई। जिसके चलते उनके समर्थक उदासीन से नजर आये ओर इसके चलते जिले में कांग्रेस की लूटीया डूबती चली गई।
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