रहीम शेरानी, भोपाल (मप्र), NIT:
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ 2019 का बीमा क्लेम किसानों की उम्मीदों से बहुत कम ही आया है। सोशल मीडिया पर कई किसान इसका विरोध कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में सोयाबीन की फसल अतिवृष्टि की वजह से बर्बाद हो गई थी। कई स्थानों पर तो पूरी फसल ही तबाह हो गई थी और उस समय 50 से लेकर 100 प्रतिशत तक नुकसान माना गया था।
लेकिन बीमा कंपनियों ने फसल का जो बीमा क्लेम जारी किया है वह बहुत ही कम है। कई किसानों को तो ₹100 से भी कम का क्लेम मिला है। कई इलाकों में तो गांव के गांव क्लेम राशि से वंचित कर दिए गए। सोशल मीडिया पर किसान मुखर होकर इस बात को रख रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बीमा कंपनियां प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत कुछ अंश किसानों से और एक बड़ी राशि सरकार से वसूलती है। किसानों को अपने क्लेम के लिए इनके द्वारा किए गए सर्वे पर ही आश्रित होना पड़ता है।
क्लेम की गई राशि पर किसान दावा आपत्ति भी नहीं कर पाता जो बीमा कंपनियां दे दे उसी पर उसे संतुष्ट होना होता है।
उल्लेखनीय है कि सहकारी सोसायटीओं से ऋण लेने वाले किसानों का बीमा अंशदान काटा जाता है, इसके अलावा अऋणी किसान अलग से अपना बीमा इस योजना के तहत करवा सकता है। लेकिन बीमा के तहत क्लेम किस प्रकार से दिया जाता है इसकी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। इस बीमा क्लेम पर भी पहले सोसाइटी का कर्ज भरना होता है। ऐसे में प्रधानमंत्री फसल बीमा किसानों फसल नुकसानी की बजाए बैंकों के ऋण का प्रोटेक्शन बनकर रह गया है।
खरीफ 2019 में 37 लाख किसानों द्वारा फसल बीमा कराया गया था, जिसका बीमित क्षेत्र 61.09 लाख हेक्टेयर था तथा किसानों से कुल राशि 343.81 करोड़ रूपये कृषक अंश लिया गया। राज्यांश 1072.44 करोड़ एवं केन्द्रांश 1072.44 करोड़ रूपये, इस प्रकार कुल 2488.69 करोड़ रूपये प्रीमियम बीमा कंपनियों को भुगतान किया गया है। प्रदेश के 22 लाख 51 हजार 188 किसानों को खरीफ 2019 की फसल बीमा दावा की कुल राशि 4 हजार 688 करोड़ 83 लाख का ई-अंतरण के माध्यम से भुगतान किया गया है।
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