अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
अशोक गहलोत सरकार ने पत्रकारिता पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर ली है, सरकार ने इसको लेकर राज्य विधानसभा में कल शुक्रवार को कानून पारित कर दिया है।
इस कानून के पारित होने के बाद अब कोई भी महज 25 हज़ार देकर किसी भी पत्रकार के खिलाफ किसी भी खबर को लेकर मानहानि का दावा कर सकता है। हालांकि यह कानून केवल पत्रकारों के लिए ही नहीं है अपितु सभी नागरिकों के लिए है। किंतु विशेष तौर से देखा जाता है कि खबरों को लेकर सरकार की नजर हमेशा उन पत्रकारों पर रहती है जो सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करते रहते हैं। मूल्यांकन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया है। संख्या बल के आधार पर कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में इस विधेयक को पारित करके कानून का रूप दे दिया है।
जबकि इस विधेयक के खिलाफ बोलते हुए राज्य विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ और भाजपा के विधायक रामलाल ने इसको सीधे तौर पर पत्रकारों की स्वतंत्र लेखनी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करने का सरकारी कुचक्र बताया है।गौरतलब है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अबे महज 25 हज़ार की फीस देकर मानहानि का दावा कर सकता है। इसके लिए पहले कुल मानहानि के दावे की 10% राशि जमा कराने का प्रावधान था।
आपको यह भी बता दें कि मोदी सरकार के 2014 से 2019 के कार्यकाल और उसके बाद में भी कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने पत्रकारों पर लगाम लगाने और उनकी खरीद-फरोख्त करने के आरोप लगाए हैं।ध्यान देने वाली बात यह भी है कि दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने का वादा किया था, जो अब तक जमीन पर नहीं उतर पाया है।
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