पीयूष मिश्रा, सिवनी ( मप्र ), NIT;
सचिव ने निकाल लिया हितग्राही के खाते का पैसा
सिवनी जिले की हमेशा सुर्खियों में रहने वाली छपारा,, इसी जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में ऐसे- ऐसे मामले सामने आते हैं जिससे शासन की सारी योजनाओं की सच्चाई उजागर हो जाती है। ऐसा ही एक मामला छपारा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत जोगीवाडा का है जो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत हुए मकानों को लेकर सुर्खियां बटोर रही है, जिसमें ग्राम पंचायत के सचिव ने सारे नियमों को दरकिनार करते हुए हितग्राहियों के खाते का पैसा स्वयं ही निकाल लिया एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत हितग्राहियों की बैंक पासबुक और आधार कार्ड भी अपने पास रख लिया जिससे ग्राम पंचायत जोगीवाला के जामुन पानी, सालेगढ़ के हितग्राही भी परेशान हो रहे हैं।
बताया जाता है कि जनपद पंचायत छपारा के अंतर्गत आने वाली जोगीवाडा ग्राम पंचायत में लगभग 40 प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुए हैं, जिसमें सचिव के द्वारा जमकर चांदी काटी जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत में महिला सचिव अर्चना विश्वकर्मा पदस्थ है जिन्होंने ग्राम पंचायत के प्रधानमंत्री आवास के हितग्राहियों की पासबुक, आधार कार्ड अपने पास रख लिया है जो अपनी मनमर्जी चलाते हुए हितग्राहियों के खाते की रकम निकाल रही है। इसका खुलासा उस समय हुआ जब ग्राम पंचायत जोगीवाडा के ग्रामीणों ने छपारा थाने में और जनपद में सचिव अर्चना विश्वकर्मा के विरुद्ध शिकायत की। शिकायत में बताया गया कि जोगी वाडा ग्राम पंचायत के जामुन पानी ग्राम के हितग्राही राजाराम का प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भवन स्वीकृत किया गया था जिसमें हितग्राही राजाराम के खाते में 5 मार्च को 40,000 रुपये की प्रथम क़िस्त की राशि भी आ गई थी, जिसके बाद वह अपनी राशि निकालने बैंक में गया तो बैंक के द्वारा हीला हवाला दिया जाता रहा। बताया जाता है कि राजाराम ने ग्राम पंचायत के सचिव से अपनी पासबुक और आधार कार्ड जो उनसे लेकर सचिव मेडम ने रख लिया था मांगी। कई दिनों तक जब राजाराम की किस्त नहीं निकली तब वह पुनः बैंक गया और पता चला कि 11 मई को उसके खाते से प्रधानमंत्री आवास की पहली किस्त 40,000 रुपए निकाली जा चुकी है, जबकि राजाराम का कहना है उन्होंने राशि निकाली ही नहीं है। पीड़ित राजाराम ने सीधे तौर पर ग्राम पंचायत की सचिव अर्चना विश्वकर्मा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बैंक से पहली किस्त की राशि निकाली है, क्योंकि सभी हितग्राहियों के पासबुक आधार कार्ड अपने पास उन्होंने रख लिया था।इस मामले की जानकारी जब स्थानीय मीडिया कर्मियों को लगी तो जमीनी हकीकत जानने के लिए ग्राम पंचायत जोगीवाडा की जामुनपानी ग्राम में रविवार को पहुंचे जहां पर उन्होंने पीड़ित राजाराम पिता छेदीलाल से मुलाकात की और साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत लगभग ग्राम के 10 हितग्राहियों में से रियाजा बी पति अब्दुल, सकरलाल धुर्वे, गुलाब सिंह धुर्वे, बृजलाल, गिरानी भोई, इत्यादि लोगों से जो गांव में मौजूद थे उनसे मुलाकात की तो सभी लोगों ने कैमरे के सामने अपना बयान दिया की सचिव अर्चना विश्वकर्मा ने प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम स्वीकृत हो गया है इसलिए दो -दो हजार रुपये सभी हितग्राहियों से लिया है। लोगों के पूछने पर उन्होंने कहा कि यह हमें अपने अधिकारियों को देना है साथ ही सभी हितग्राहियों के आधार कार्ड और बैंक पासबुक अपने पास रख लिया गया। कुछ के मकान बनने शुरू हो गए हैं और किसी का अभी तक काम भी चालू नहीं हुआ है।
इस मामले को लेकर जब ग्राम पंचायत के सरपंच धनीराम उईके से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि मैं 15 वर्षों से निर्वाचित होते आ रहा हूं लेकिन ऐसे सचिव से अभी तक हमारा पाला नहीं पड़ा जिनका रवैया पूर्ण रूप से असहयोगात्मक है। जब उनसे हमने पूछा कि सचिव मैडम आपका सहयोग क्यों नहीं करती हैं और आपकी ग्राम पंचायत क्षेत्र के ग्रामों में प्रधानमंत्री आवास योजना से स्वीकृत हितग्राहियों से पैसे लिया जाना साथ ही आधार कार्ड, बैंक पासबुक को सचिव ने अपने पास रख लिया है, इस बात में कहां तक सच्चाई है? तो उन्होंने बताया कि मेरी जानकारी में काफी हितग्राहियों ने आकर शिकायत बताई की आधार कार्ड, पासबुक सचिव मैडम अपने पास रख ली है और कुछ लोगों ने दो- दो हजार रुपए देने की बात भी कही इसकी जानकारी मैंने मौखिक रुप से जनपद पंचायत छपारा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आर के सतनामी जी को दी साथ ही समन्वयक बघेल जी को भी दी थी तो दोनों अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि हम इस मामले को देखते हैं।
हितग्राही के खाते से सचिव के द्वारा पैसे निकाले जाने का मामला उजागर होने के बाद यह तय हो गया कि भले ही प्रधानमंत्री आवास योजना सरकार की महत्वपूर्ण योजना हो लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही निकल कर सामने आ रही है। ऐसा लगता है कि इसके लिए अधिकारी भी गंभीर नहीं हैं, तभी तो अधिकारियों का इस तरफ ध्यान नहीं जाता कि कितने हितग्राहियों ने आवास योजना के तहत मकान बनवाया और कितने हितग्राहियों को पैसे मिले। जबकि जानकारों की मानें तो जनपद में पीसीओ, सीईओ की जिम्मेदारी है कि वह उक्त योजना की मॉनिटरिंग करें और यह जाकर देखें की हितग्राहियों को कोई परेशानी तो नहीं हो रही है। लेकिन अधिकांश अधिकारी सिर्फ सचिव के ऊपर ही निर्भर रहते हैं, यही कारण है कि कई ग्राम पंचायतों में सचिव मनमर्जी से इस योजना का संचालन कर रहे हैं।
- इनका कहना है :-
1. ग्राम पंचायत जोगी वाडा का मामला मेरी जानकारी में अभी आया है। इसकी जांच पीसीओ से कराई जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने पर जो भी दोषी होगा उसके ऊपर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी: आर.के.सतनामी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत छपार
2. क्षेत्र के आदिवासी भोले-भाले हितग्राहियों के साथ इस तरह का कृत करना ठीक नहीं है। मैं भी इस मामले को जनपद में उठाकर कार्यवाही किए जाने की मांग करता हूँ। यह एक मामला सामने आया है ऐसे कई मामले सामने आ सकते हैं। मैं वरिष्ठ अधिकारी से इस संबंध में चर्चा करुंगा: संतराम भलावी, क्षेत्रीय जनपद सदस्य
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