पहले मंदी फिर कोराना ने खासतौर पर अरब में मजदूरी करने वालों की तोड़ दी कमर, शेखावाटी से दस लाख से अधिक लोग अरब देशों में रहकर लगे हुए थे दो जून की रोटी के इंतजाम में | New India Times

अशफाक कायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:

पहले मंदी फिर कोराना ने खासतौर पर अरब में मजदूरी करने वालों की तोड़ दी कमर, शेखावाटी से दस लाख से अधिक लोग अरब देशों में रहकर लगे हुए थे दो जून की रोटी के इंतजाम में | New India Times

शेखावाटी जनपद से लाखों मजदूर खासतौर पर अरब देशों में भवन निर्माण से जुड़ कर मजदूरी करके मुश्किल से अपने बच्चों के लिये दो जून की रोटी का इंतेजाम कर पाते थे। उन लाखों मजदूरों की पहले मंदी और अब कोराना महामारी से उपजे हालात ने पूरी तरह कमर तोड़ कर रख दी है। कतर के अलावा अरब के तमाम देशों में भवन निर्माण व उससे जुड़े काम बंद या फिर मंद पड़े चुके हैं। कोराना की शुरुआत व उसके बाद मजदूर अरब देशों से अपने वतन आ गये थे। वो मजदूर हवाई जहाज की सुविधा चालू नहीं रहने के कारण अभी तक वापस विदेश नहीं जा पाये हैं। घर पर रहते रहते अधीकांश की वीजा की अवधि भी खत्म हो चुकी है।
दुबई में पत्रकार रह चुके एक पत्रकार ने बताया कि अरब देशों में भवन निर्माण व उससे जुड़े काम पहले मंदी व अब कोराना महामारी के कारण बंद से हो चुके हैं। वहां भवनों पर टू-लेट के बोर्ड लगे हुये नजर आते हैं। उधर अरब में कोराना महामारी के कारण मजदूर कुछ दिन बिना काम के वहीं बैठकर अपना खर्च उठाकर जैसै तैसे थक हार कर वतन आ गये या फिर जो छुट्टी आया था वो वापस नहीं जा पाया। 2022 में कतर में फुटबॉल वर्ड कप होने के कारण अरब के मात्र कतर में भवन निर्माण व उससे जुड़े काम चल रहे हैं। जहां मजदूर को मजदूरी ठीक मिल रही है।
अरब में शेखावाटी से दस लाख से अधिक मजदूर रहते हैं जिनमें से अधिकांश भवन व उससे जुड़े काम से जुड़े हुये थे। सऊदी अरब में मजदूर कैम्पों में कुछ लोगों ने किराना- जनरल स्टोर भी कर रखे थे। मजदूरों के वापस वतन आने से उनकी दुकान (वकाला) भी बंद हो चुके या लागत अधिक व आमद कम के चलते बंद करने को उन्हें मजबूर होना पड़ा है।
अरब से कमाकर लाने वाले कुछ लोगों ने तो यहां छोटा-मोटा कारोबार जमा लिया तो वो विकट परिस्थिति में उसमे लगे हुये हैं लेकिन अधिकांश ने बच्चों की परवरिश व सामाजिक रीति रिवाज निभाने में आय से अधिक खर्च कर दिये। कुछ लोगों ने रहने के लिये मकान बनाये तो उनमें से अधीकांश मकानों के रंग रोगन नहीं हो पा रहे हैं।कुछ मकान के प्लास्टर व फर्श तक बाकी रहे वो पूरे नहीं हो पा रहे हैं। जिनके पूरे हुये उनका मेंटीनेंस नहीं हो पा रहे हैं। पहले सऊदी अरब में हुये क्रैन हादसे के चलते बिलादीन कम्पनी पर पाबंदी लगने से हजारों मजदूर बेरोजगार हो गये थे।
इस तरह बेरोजगार हुये काफी लोगों में से कुछ लोग नरेगा मजदूर बनने के लिये मजबूर हो गये हैं तो कुछ लोग मुर्गी व बकरा पालन का काम किया लेकिन एकसपिरियंस की कमी के कारण जमा पूंजी भी गवां बेठे हैं। जिनके बीघा दो पांच बीघा जमीन थी, उसमें फिर से खेती करने लगे व करने का मान बना रहे हैं।
कुल मिलाकर यह है कि पहले विश्वव्यापी मंदी फिर मंहगाई और पिछले साल से कोराना महामारी के भंयकर प्रकोप के चलते शेखावाटी जनपद से अरब देशों में रहने वाले लाखों मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं। विदेश में बेठै मजदूरों के पास काम नहीं है। जो यहाँ वतन आ गये वो कम्पनी या अपने अरबाब (मालिक) से हिसाब लेने तक नहीं जा पाये हैं। ऐसे लोगों की हालत बहुत दयनीय होती दिख रही है। पहले मंदी फिर कोराना व ऊपर से आसमान छूती महंगाई ने पूरी तरह कमर तोड़ कर रख दी है।


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