अशफाक कायमखानी, सीकर(राजस्थान), NIT; राजस्थान भर की तरह सीकर जिले के साथ साथ अब सीकर नगर परिषद क्षेत्र का भी भूजल स्तर तेजी के साथ निचे जाने के साथ साथ जमीन का पानी खत्म हो रहा है। वहीं इसके विपरित पानी की खपत रोजाना तेजी के साथ बढते जाने से अनेक कुओं में तो पानी पुरी तरह सूख भी गया है। लेकिन इससे निपटने के लिये कोई ठोस योजना जो कम से कम अगले पच्चीस साल तक तो फायदे वाला सोदा बन सके उसका पुरी तरह अभाव नजर आ रहा है।
एक जानकारी के अनुसार करीब तीन लाख आबादी वाले सीकर नगर परिषद क्षेत्र में 375 लाख लीटर पानी रोजाना यूज होता है। वही जलदाय विभाग के करीब 225 ट्यूबवेल के मार्फत जमा पानी क्षेत्र में सप्लाई होता है। इन 225 ट्यूबवेल को चलाने के लिये सालाना 9 करोड़ का बिजली का बिल भूगतान करना होता है। इन कुएं- टयूबवेल के रखरखाव में ढेड करोड़ रुपये खर्च आता है। वही मरम्मत का अलग से पच्चास लाख सालाना खर्च आता है। दूसरी तरफ साढे आठ करोड तनख्वाह के भुगतान के लिये खर्च होता है।
इसी तरह नगर परिषद क्षेत्र में कुल साठ हजार परिवार निवास करते हैं। लेकिन जलदाय विभाग के रिकार्ड मुताबिक जायज तीस हजार पानी कनेक्शन नगर परिषद क्षेत्र में है। इन तीस हजार कनेक्शनों से केवल एक करोड़ रुपये सालाना आय विभाग को हो रहा है। इसी तरह एक एक्सप्रट इंजिनियर चिरंजीलाल महरिया के मुताबिक अगरनइन 225 कुओं की जगह केवल 100 कुएं फाईफ स्टार दस एच पी पंप वाले बना दिया जाये तो उनसे चार लाख लीटर पानी प्रतिदिन निकाला जा सकता है। जिनका तीन करोड़ केवल बिजली वगैरह खर्चा आयेगा। व पैंतीस लाख का खर्च इन पंपों पर आयेगा। जबकि सीकर जलदाय विभाग अगले एक साल में परिषद क्षेत्र में एकसो पच्चास कुएं और खोदने जा रहा है।कुला मिलाकर यह है कि जमीन में पानी सूखता जा रहा है और सीकर का जलदाय विभाग कुएं पर कुएं खोद कर लोगों की प्यास बूझाने का दावा कर रहा है। जबकि एक्सप्रट कहते हैं कि नहर का पानी सीकर लाकर उस पानी से लोगों की प्यास बूझाने पर सोचकर ठीक से प्लान बनाकर उस पर अमल करना होगा। एक एक्सप्रट का तो यहां तक कहना है कि जो फतेहपुर–लक्ष्मनगढ तक नहर का मिठ्ठा पानी डालने के लिये पाईप डाले गये हैं उनकी चोड़ाई एक मीटर और अधिक होती तो उसी खर्चे में जो अब डालने में खर्च हुआ है उसी में डाल देते तो अगले कुछ सालों तक आराम होता एवं वो पानी सीकर नगर परिषद तक लाकर एक बडा कदम साबित हो सकता था।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.