अतिश दीपंकर, ब्यूरो चीफ पटना (बिहार), NIT:
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल बिहार सेक्टर, पटना और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना ने हमराही बनकर बिहार के नक्सल प्रभावित व सुदूर देहाती क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों को टेलीमेडिसिन प्रोग्राम के अंतर्गत निःशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करने का कवायद प्रारम्भ किया है। यह चिकित्सा सेवा विशेष रूप से उन क्षेत्रों में उपलब्ध कराया जाएगा जहाँ बुनियादी चिकित्सा सेवाएँ पूर्णरूपेण उपलब्ध नहीं है। इसका लाभ निश्चय ही सभी जरूरतमंदों तक पहुंचेगा।
इस कार्यक्रम का लाभ लेने के लिए लोगों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के नजदीकी कैम्प में किसी भी वृहस्पतिवार या शुक्रवार को पहुंचकर अपना पंजियन कराना होगा। तत्पश्चात उसी दिन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के चिकित्सक द्वारा उनका आवश्यक चिकित्सीय जाँच कर समुचित उपचार किया जाएगा।
इन रोगियों में से कुछ रोगियों के बेहतर उपचार के लिए विशेषज्ञों के परामर्श की आवश्यकता होती है। अब इस आवश्यकता को पूरा करेंगे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के अनुभवी व वरिष्ठ चिकित्सक। प्रत्येक सप्ताह मंगलवार को यह कार्य टेलीकांफ्रेंसिंग तथा विडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से पूरा होगा। इस सेवा के अंतर्गत रोगियों को एम्स, पटना आए बिना यहाँ के चिकित्सकों का निःशुल्क सेवा/परामर्श प्राप्त होगा।
उपचार के दौरान चिकित्सीय जाँच कराने, दवाइयां उपलब्ध कराने व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में आने वाला सम्पूर्ण खर्च का निर्वहन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल करेगी।
दो सप्ताह तक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाने के बाद मंगलवार को कार्यालयी व विधिवत रूप से इस कार्यक्रम के शुभारंभ की उद्घोषणा बिहार सेक्टर, के०रि०पु०बल की चारु सिन्हा, भा०पु०से०, आईजी, नीरज कुमार, डीआईजी, एच० एस०मल्ल, डीआईजी व अन्य अधिकारियों तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के निदेशक प्रभात कुमार सिंह व अन्य वरीय चिकित्सकों की गरिमामयी उपस्थिति में की गई।
इस कार्य को वास्तविक आकार देने में बिहार सेक्टर, के० रि० पु० बल के अनिल बिष्ट, कमांडेंट व जीतेन्द्र कुमार, सहा० कमांडेंट तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के अनिल कुमार, सर्जन व टेलीमेडिसिन चिकित्सा प्रभारी का विशेष योगदान रहा है।
यह कवायद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के निदेशक प्रभात कुमार सिंह, अनिल कुमार, सर्जन व टेलीमेडिसिन चिकित्सा प्रभारी के कुशल नेतृत्व तथा उनके टीम के विशेष सहभागिता, सहयोग व समन्वय से ही प्रारंभ हो पाया है।
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