मेहलका अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT;
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने कहा कि पोषण जागरूकता का विषय प्रदेश के स्कूलों तथा महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक घर-परिवार के स्तर तक पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना ही पोषण संवेदनशील कृषि तथा पोषण जागरूकता का उद्देश्य है। उन्होंने पोषण पर भोपाल घोषणा-पत्र भी जारी किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा सुश्री ललिता कुमार मंगलम, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ.ए.के.सिंह, प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास जे.एन.कांसोटिया, दीनदयाल शोध संस्थान दिल्ली के अभय महाजन तथा श्री अतुल जैन और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर के संचालक डॉ.अनुपम मिश्र, यूनिसेफ म.प्र. के प्रमुख माईकल जूमा तथा संचालनालय महिला एवं बाल विकास आयुक्त डॉ. अषोक कुमार भार्गव उपस्थित थे। कार्यशाला में यूनिसेफ, इन्टरनेशनल फण्ड फॉर एग्रीकल्चर डेव्हलपमेन्ट, जर्मनी की संस्था जी.आई.जेड., इन्टरनेशनल राईस रिसर्च इंस्टीट्यूट, ग्लोबल इन्वायरमेन्ट फेसिलिटेटर प्रोजेक्ट, इन्टरनेशनल इंस्टीट्यट फॉर मेज़ एण्ड व्हीट ने सहभागिता की। समापन के अवसर पर श्रीमती चिटनिस ने कहा कि पोषण की स्थिति में सुधार करना इस कालखण्ड की महत्वपूर्ण सामाजिक, स्वास्थ्यगत तथा नैतिक जिम्मेदारी है। इस ओर अनदेखी से अगली पीढ़ी का स्वास्थ्य प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आरम्भ किया गया राष्ट्रीय पोषण मिशन उनकी इस दिशा में चिन्ता को दर्शाता है। श्रीमती चिटनीस ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गदर्शन में महिला बाल विकास विभाग सहित स्वास्थ्य, कृषि, पशु पालन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा स्कूल शिक्षा विभाग समन्वित रूप से पोषण की स्थिति में सुधार के लिए निरंतर प्रयासरत है। श्रीमती चिटनीस ने कार्यशाला के छः तकनीकी सत्र में प्राप्त निष्कर्षों को क्रमशः कृषि, पोषण प्रबंधन, नीतिगत पहल, सामाजिक तथा व्यवहारिक नवाचार, और पोषण साक्षरता के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों को भोपाल घोषणा-पत्र के रूप में प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुश्री ललिता कुमार मंगलम ने कहा कि भारत में कृषि श्रमिकों में 67 प्रतिशत महिलाएं हैं। जबकि भूमि स्वामित्व केवल 2 प्रतिशत महिलाओं के पास है। कृषि श्रम में इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी के बाद भी कृषि तथा खाद्य उत्पादन के संबंध में नीति निर्धारण महिलाओं के दृष्टिकोण और उनकी सुविधा को ध्यान में रखकर नहीं होता। उन्होंने कृषि उपकरणों तथा कृषि मशीनरी की डिजाईनिंग महिलाओं के उपयोग के अनुसार करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि भारत सहित पुरी दुनिया में घर की रसोई की इंचार्ज महिला है। वह ही घर में खान-पान का निर्धारण करती है। अतः परिवार के पोषण को सुनिश्चित करने में महिला की महत्वपूर्ण भूमिका है। पोषण के संबंध में इस प्रकार से जानकारी देने और क्रियान्वित करने की आवश्यकता है, जो कि औसत परिवार की समझ और उनके संसाधनों के अनुकूल हो। समापन अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ. ए.के.सिंह ने कहा कि पोषण संवेदनशील कृषि और पोषण जागरूकता के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में हो रही पहल देश की कईं राज्यों के लिए अनुकरणीय है। देश में 692 कृषि विज्ञान केन्द्र इस दिशा में कार्यरत है। उन्होंने गेंहूं, चांवल तथा मक्के की उन्नत तथा गुणवत्ता पूर्ण प्रजातियां विकसित करने की आवश्यकता बताई। जिससे इन खाद्यानों से जिंक, प्रोटीन, आयरन तथा विटामिन ए की पूर्ति करने में मदद मिलेगी। श्री सिंह ने कहा कि तेजस्विनी जैसे अन्य समूह विकसित हो, और न्यूट्रीशन थाली, तिरंगा थाली, किचन गार्डन के विचार का घर-घर प्रचार हो और वह और वह व्यवहार में आए। इसके लिए सतत प्रयास की आवश्यकता है।
डॉ. मीरा मिश्रा ने कहा कि पोषण में कमी एक वैश्विक समस्या है। जिसके लक्षणों की पहचान प्रायः आसान नहीं रहती। उन्होंने पोषण में कमी की पहचान उसके निरंतर निगरानी और महिला समूहों के क्षमता विकास संबंधी विषयों पर अपने विचार रखें। समापन अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस ने सभी विषय विषेषज्ञगण का सम्मान किया।
आभार महिला एवं बाल विकास संचालनालय आयुक्त डॉ.अशोक भार्गव ने व्यक्त किया।
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