जर्जरता के कारण गिराया जा रहा है शास्त्री मार्केट, नगर परिषद शॉपिंग की दुकानों की नीलामी में घपला का आरोप | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

जर्जरता के कारण गिराया जा रहा है शास्त्री मार्केट, नगर परिषद शॉपिंग की दुकानों की नीलामी में घपला का आरोप | New India Times

1970 में जामनेर शहर के बीचोबीच T Point पर बने लालबहादुर शास्त्री मार्केट को आज 43 सालों बाद जर्जरता का कारण देकर गिराया जा रहा है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाम से बने इस इमारत को शास्त्री जी के नाम से पहचाना नहीं जाना चाहिए इस लिए प्रशासन ने आज तक उन के नाम का बोर्ड या तख़्ती को इस मार्केट पर नहीं लगाया। 1990 के बाद शहर की राजनीति में उभार पर आई दक्षिणपंथी सोच ने आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम से शहर में बने एक सरकारी मार्केट की पहचान को भी निगल लिया है। जनता मार्केट को मंत्री जी के आवास तक बनने जा रहे कॉरिडोर के नाम पर उजाड़ दिया जाना है। शास्त्री मार्केट की इस जगह पर भविष्य में कौनसा उद्देश्य साध्य करना है इसके बारे में नगर परिषद की ओर से किसी भी योजना को सार्वजनिक नहीं किया गया है। इस जमीन के ठीक सामने सब्जी मंडी के बगल में नगर परिषद का चार मंजिला भव्य शॉपिंग मार्केट बन रहा है जिसमें कुल 400 दुकानें बतायी जा रही हैं। अब आम लोगों में यह सवाल उठ रहा है कि कहीं सब्जी मंडी के बगल वाले मार्केट की दुकानों की बुकिंग तेज करने के लिए शास्त्री मार्केट को गिराया तो नहीं जा रहा है। कन्या स्कूल में बन रहे चार मंजिला मार्केट को लेकर प्रशासन कह चुका है कि दुकानों की नीलामी सार्वजनिक रूप से होनी है लेकिन सूत्रों से पता चल रहा है कि निगम की ओर से दुकानों की नीलामी के बाद भी पुनः नीलामी के खेल से करोड़ों रुपयों के आर्थिक घपले को अंजाम दिया जा रहा है। इसके पहले BOT के नाम पर बने तमाम मार्केटों के शॉप वितरण में क्या क्या हुआ यह जनता को याद है। विपक्ष इसमें 200 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाता रहा है। ज्ञात हो कि शहर में जितनी भी जमीनें हैं जिनपर आज BOT के तहत मार्केट बन रहे हैं वह जिला परिषद की हैं। शास्त्री मार्केट की जमीन पर विस्थापित अतिक्रमण धारकों के लिए एक मार्केट बनाया जाना चाहिए ऐसी मांग की जा रही है।


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