टोपी पहनकर मंत्री गिरीश महाजन ने कहा "मैं सावरकर", दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित गौरव यात्रा में शामिल हुए 300 बाइक सवार | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

टोपी पहनकर मंत्री गिरीश महाजन ने कहा "मैं सावरकर", दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित गौरव यात्रा में शामिल हुए 300 बाइक सवार | New India Times

दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा आज अपनी 43 वीं वर्षगांठ मना रही है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने हनुमान जयंती के महत्व को रेखांकित कर कार्यकर्ताओं को संगठन के नए मंत्र दिए और जनता के लिए उनकी सरकार द्वारा की गई उपलब्धियां गिनाई। आवाम को आशा थी प्रधानमंत्री अपने विस्तारित प्रदीर्घ संबोधन में कुछ चंद अल्फ़ाज़ बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी इन समस्याओं के समाधान को लेकर सरकार की भूमिका पर खर्च करते लेकिन ऐसा नहीं हो सका। भाजपा के स्थापना दिवस पर जलगांव जिले के सभी ब्लॉक्स में सावरकर गौरव यात्रा निकाली गई। अपने गृह नगर जामनेर में मंत्री गिरीश महाजन इस यात्रा में शामिल हुए। पिक अप वैन की बॉडी के दोनों तरफ़ विनायक दामोदर सावरकर की प्रतिमा लगाकर उसके आगे 300 बाइक सवार सिर पर मैं सावरकर लिखी टोपी पहनकर अपने आप में अद्भुत वीरता का अनुभव करते नजर आए। इस यात्रा में महिलाओं ने अपने सिर पर भगवा मुरैठा धारण कर मोपेड का हैंडल थामा। 8 करोड़ रुपए के सरकारी फंड से बनी भव्य दिव्य फोरलेन सड़क पर 500 मीटर तक संचालित की गई इस यात्रा का महज एक घंटे के अंदर समापन किया गया। महाजन के बंगले से निकली यात्रा शिवाजी महाराज नगर के गेट से यू टर्न लेकर फ़िर महाजन के बंगले पर ख़त्म कर दी गई।

टोपी पहनकर मंत्री गिरीश महाजन ने कहा "मैं सावरकर", दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित गौरव यात्रा में शामिल हुए 300 बाइक सवार | New India Times

इस अप्रतिम अवसर पर इतिहास की विस्तृत जानकारी रखने वाले और भाजपा के कोटे से बतौर टीवी प्रवक्ता बनने की अतीव चाह रखने वाले किसी भी कार्यकर्ता ने सावरकर की जीवनी पर अपने अनमोल विचार सार्वजनिक नहीं किए। ज्ञात हो कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कई बार ऑन रेकॉर्ड विथ फैक्ट्स सावरकर को माफीवीर कहे जाने पर भाजपा तिलमिला उठी थी। इसे सावरकर का अपमान करार देकर भाजपा ने महाराष्ट्र में सावरकर गौरव यात्रा शुरू की है। राहुल के हमलों के बाद सावरकर को लेकर समाज में एक किस्म की बहस छिड़ गई है उसके कारण पाठकों में सावरकर से जुड़ी कई किताबों की मांग में वृद्धि देखी गई है। उनमें से विनायक सावरकर द्वारा लिखी गई एक मराठी किताब है “भारतीय इतिहासातील सहा सोनेरी पाने” (भारत के इतिहास के छह स्वर्ण पत्र) जो महाराष्ट्र के साहित्य विश्व में काफ़ी परिचित है।


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