अली अब्बास, मथुरा (यूपी), NIT:
कलेक्ट्रेट परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम में जिलाधिकारी पुलकित खरे, अपर जिलाधिकारी प्रशासन विजय शंकर दूबे, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व योगानंद पांडेय, नगर मजिस्ट्रेट सौरभ दुबे ने भाग लिया l जिलाधिकारी ने सर्वप्रथम ध्वजारोहण किया। जिलाधिकारी ने कलेक्ट्रेट परिसर में बना नवनिर्मित स्वच्छता वाटिका का उद्घाटन किया और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रतिमा का अनावरण करते हुए महात्मा गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के छायाचित्र का पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए। इसके पश्चात गांधी जी की प्रिय रामधुन का उपस्थित सभी लोगों ने गान किया। इसके उपरांत समस्त वक्ताओं ने अपने अपने विचारों से महात्मा गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन परिचय एवं उनसे संबंधित विभिन्न विचारों एवं उनके इतिहास पर प्रकाश डाला।
श्री खरे ने गांधी जी के विचारों को आत्मसात करने के लिए लोगों को प्रेरित किया तथा उन्होंने गांधी जी के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए उनके इतिहास के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने उपनिवेशवाद के दौर में गांधीजी की महत्वता को दर्शाया l उन्होंने बताया कि गांधी जी लोगों में जन जागृति एवं आत्म बल पैदा करते थे। महात्मा गांधी अंग्रेजी शासन के वास्तविक चरित्र से लोगों को अवगत कराते थे तथा उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में लोगों को भाग लेने के लिए प्रेरित किया। वह लगातार देश की यात्रा करते हुए देश में एकता का संदेश देते थे। उन्होंने आजादी से पूर्व गांधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन आदि के विषय में संक्षिप्त में प्रकाश डाला और दोनों महान विभूतियों के इतिहास पर प्रकाश डाला एवं उन्होंने कहा कि शास्त्री जी सादगी, संघर्ष एवं नैतिकता के पुजारी थे। वह सभी लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं। कई शताब्दियों में ऐसे महान व्यक्तित्व पैदा होते हैं। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी जी की विचारधारा प्रेरणादायक है। चरखा आंदोलन, छुआछूत उद्धार संघ आदि पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।
महात्मा गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्म दिवस के अवसर पर उनके इतिहास को बताते हुए कहा कि गांधी जी अध्ययन शीलता में विशेष विश्वास रखते थे। उन्होंने सांप्रदायिकता एवं जातिवाद पर प्रहार किया था। वह लोगों को एकता के सूत्र में पिरोना चाहते थे. उन्होंने खादी चरखे एवं श्रम की महत्ता को भी बढ़ावा दिया।
गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा गांव में निवास करती हैं। उनका संकल्प स्वच्छता एवं कुटीर उद्योगों एवं गांव के विकास को बढ़ावा देना था।
कार्यक्रम के अंत में जिलाधिकारी ने स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों एवं स्वच्छता ग्राहियो को सम्मानित किया।
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