त्रिवेंद्र जाट, देवरी/सागर (मप्र), NIT:
संकुल केंद्र उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य और बीईओ की मिली भगत का जो खेल सामने आया है उसने शिक्षा विभाग पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यहाँ संकुल प्राचार्य का मौखिक निर्देश राज्य शिक्षा केंद्र के आदेश से भी बड़ा माना जाता है। नतीजन 5 स्थानांतरित शिक्षकों में से 4 को मुक्त किया जाता है तो 1 यथावत रहते हुए सभी सुविधाओं का सुख भोग रहा है।
बीते 4 माह पूर्व विभाग ने शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय संकुल के अंतर्गत सेवाएं दे रहे शिक्षक श्रीहरिपचौरी को घाना से बरोदिया घाट बीना मुकेश चतुर्वेदी का चौका से भोजपुर बीना राजकुमार बंसल का पटैलाटोला से भिलैया राजपुर मालथौन कन्हैयालाल सेन का उत्कृष्ट केसली से दुगाहकला मालथौन व कन्हैयालाल अहिरवार का उत्कृष्ट केसली से दुगाहकला मालथौन स्थानांतरण हो गया था। जिसमें कन्हैयालाल सेन को छोडकर शेष 4 शिक्षकों को सझकुल से मुक्त कर दिया गया वहीं कन्हैयालाल सेन अब भी उत्कृष्ट विद्यालय में सेवा दे रहा हैं। मुक्त किए गये शिक्षकों ने न्यायलय की शरण ली और मूल शाला में रहे। नतीजन इन शिक्षकों को बीते 4 माह से वेतन ही नहीं मिला। दूसरी तरफ कन्हैयालाल सेन विभाग के आदेश को ठेंगा दिखाकर जहाँ यथावत हैं तो वहीं वेतन भी लगातार पा रहा है। इसके पीछे संकुल प्राचार्य केशर ठाकुर की विशेष कृपा बताई जा रही है। दूसरी तरफ बीईओ पीके जैन कहते हैं कि संकुल प्राचार्य के मौखिक निर्देश के चलते कन्हैयालाल सेन यथावत है। यह सब बताता है कि विभागीय आदेश संकुल प्राचार्य के मौखिक निर्देश के आगे बौने हैं। चर्चा तो यह भी है कि कन्हैयालाल सेन एक बड़ा शिक्षा माफिया है जो शासकीय शिक्षक होने के बाद भी बड़े पैमाने पर कोचिंग का व्यवसाय चलाता है जिसका टर्न ओवर लाखों में है। जिसको चलाते रहने के लिए कन्हैयालाल सेन ऐडी चोटी का दम लगा रहा है और सुविधा शुल्क देकर केसली छोडकर नहीं जा रहा। वजह चाहे जो भी हो संकुल प्राचार्य, बीईओ व डीईओ की तिकडी ने स्थानांतरण में जो कारनामा किया है उसके सामने जहाँ शिक्षा विभाग बौना साबित हुआ है तो वहीं समाज के सम्मानजनक पद शिक्षक पर सवाल खड़ा करने का काम किया है।
मामला उच्च अधिकारियो से लेकर मानव अधिकार आयोग तक पहुंच चुका है। शिक्षक श्रीहरि का पुत्र साहित्य जिसका दिमागी इलाज चल रहा है उसने वेतन ना मिलने से परेशान पिता की तंगहाली का हवाला देते हुए मानव अधिकार सहित सभी उच्च अधिकारियों, कलेक्टर, कमिशनर से भी गुहार लगाई है, पिता का वेतन ना मिलने से उसका उपचार बाधित हो रहा है। इसके बाद भी संकुल प्राचार्य अपने रवैऐ पर बरकरार हैं और आज दिनांक तक कन्हैयालाल सेन को संकुल से मुक्त नहीं किया है।
संकुल प्राचार्य के मौखिक निर्देश के चलते कन्हैयालाल सेन को मुक्त नहीं किया गया। मैंने प्राचार्य को पत्र लिखा है और मुक्त ना करने का कारण पूछा है पर अभी तक कोई जबाब नहीं मिला है: पीके जैन, बीईओ केसली।
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