गहलोत सरकार अल्पसंख्यक बालिकाओं के शैक्षणिक उत्थान के लिये राज्य भर में जवाहर नवोदय विघालय के तर्ज पर आवासीय विधालय खोलना किया शूरु | New India Times

अशफाक कायमखानी, ब्यूरो चीफ, जयपुर (राजस्थान), NIT:

गहलोत सरकार अल्पसंख्यक बालिकाओं के शैक्षणिक उत्थान के लिये राज्य भर में जवाहर नवोदय विघालय के तर्ज पर आवासीय विधालय खोलना किया शूरु | New India Times

अल्पसंख्यक विभाग के निदेशक जमील अहमद व अतिरिक्त निदेशक महमूद खान की कड़ी मेहनत व सकारात्मक अप्रोच से कार्य आगे बढने लगे हैं। गहलोत सरकार ने अल्पसंख्यक बालिकाओं के शैक्षणिक उत्थान के लिये राज्य भर में जवाहर नवोदय विधालय के तर्ज पर आवासीय विधालय खोलना शुरू किया है।

राजस्थान सरकार की तरफ से अल्पसंख्यक समुदाय में शैक्षणिक माहौल बनाकर उनको तरक्की की राह पर सरपट दौड़ाने की मंशा से 2012-13 में तत्कालीन अशोक गहलौत ने शहरों में शिक्षा के लिये आने वाले बच्चों को आवास सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराने की शूरुआत करने के सकारात्मक परिणाम आने के बाद अब सरकार ने आवासीय बालिका विघालय शुरु करने की तरफ कदम आगे बढाये है। पहली दफा प्रदेश में तीन आवासीय विधालयों के निर्माण करने के लिये बजट आवंटित करके की जानकारी मुख्यमंत्री गहलौत स्वयं ने अपने ट्विटर सहित सोशल मीडिया के अन्य जरायों के मार्फत दी है। दक्षिणी भारत में शिक्षा का हब कहलाने वाले सीकर शहर सहित राज्य में कुछ जगह अल्पसंख्यक बालिका आवासीय विघालय की शुरुआत चालू शिक्षा सत्र से किराये के भवन में हो चुकी है।
राज्य सरकार ने अपने बजट में जवाहर नवोदय विघालय की तर्ज पर प्रदेश में अल्पसंख्यक के लिये तीन बालक व पांच बालिका आवासीय विघालय खोलने की घोषणा करके इसी शिक्षा सत्र से शुरू करने की घोषणा की थी। जैसलमेर के भणियाणा, अलवर के रामगढ़, बाडमेर से चोहटन, भरतपुर के पहाड़ी, अजमेर के मसूदा, उदयपुर व सीकर में खुलने हैं। जिनमें से सीकर सहित कुछ जगह पर विघालय संचालित हो चुके हैं।

गहलोत सरकार अल्पसंख्यक बालिकाओं के शैक्षणिक उत्थान के लिये राज्य भर में जवाहर नवोदय विघालय के तर्ज पर आवासीय विधालय खोलना किया शूरु | New India Times

राज्य सरकार की तरफ से अल्पसंख्यक समुदाय में शैक्षणिक माहौल में तेजी लाने की मंशा को लेकर राजधानी जयपुर सहित अन्य शहरों में उच्च शिक्षा के लिये आने वाले अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को निःशुल्क आवास उपलब्ध करवाने के लिये सरकार की तरफ से सबसे पहले 2012-13 में राज्य में पांच हास्टल शुरू करके उनमें निःशुल्क आवास व भोजन का इंतेजाम किया। जिनसे 180 बच्चों को लाभ मिला। फिर 2013-14 में पच्चीस हास्टल शुरू किये जिनसे 1121 बच्चों को लाभ मिला। अनेक जगह सामाजिक संस्थाओं द्वारा संचालित उक्त हास्टल में सुविधा में कुछ कटौती होने के चलते 2014-15 में घटकर 14 हास्टल ही रहने से मात्र 673 बच्चों को ही लाभ मिल पाया। पर अगले साल सरकार की कोशिश व समुदाय में आई जागृति के कारण 2015-16 में 35 हास्टल शुरू हो गये जिससे 1418 बच्चों को फायदा पहुंचा। इनमें से मात्र एक सरकारी स्तर पर व बाकी 34 हास्टल विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा संचालित किये गये। फिर 2016-17 में 57 हास्टल संचालित किये गये जिनसे 2401 बच्चों को फायदा पहुंचा। इनमें मात्र दो सरकारी स्तर पर बाकी 55 सरकारी मदद से विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा संचालित किये गये।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में 200 बेड के तीन अल्पसंख्यक बालिका आवासीय विद्यालयों के निर्माण की स्वीकृति इसी हफ्ते दी है। जिसके तहत प्रत्येक आवासीय विद्यालय के निर्माण के लिए 15 करोड़ 10 लाख रूपये का अतिरिक्त बजट प्रावधान करने की भी मंजूरी दी है।
राजस्थान में अल्पसंख्यक बालिका शिक्षा में अग्रणी माने जाने वाले शेखावाटी जनपद के दिल कहलाने वाले सीकर जिले के जिला मुख्यालय सहित मारवाड़ के बाड़मेर जिले की सेड़वा तहसील के गांव बुरहान का तला तथा भरतपुर जिले की अल्पसंख्यक बहुल तहसील पहाड़ी में अल्पसंख्यक बालिका आवासीय विद्यालय के निर्माण तथा इसके लिए कुल 45 करोड़ 30 लाख रूपये का अतिरिक्त प्रावधान करने की स्वीकृति दी है। इस निर्णय से इन क्षेत्रों में अल्पसंख्यक बालिकाओं को शिक्षा ग्रहण करने के बेहतर अवसर मिल सकेंगे।
नमूने के तौर पर सरकार द्वारा जयपुर के मानसरोवर स्थित बेहतरीन सुविधाओं सहित आधुनिक सुविधाओं युक्त बने सरकारी भवन में संचालित अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास को लिया जा सकता है। जहां पर अल्पसंख्यक समुदाय की सभी वर्ग की बालिकाऐ रहकर विभिन्न शेक्षणिक संस्थानों से उच्च शिक्षा पाकर समाज का गौरव बढा चुकी है एवं बढा रही है। उक्त जयपुर स्थित बालिका छात्रावास मे रहकर हाल ही में चिकित्सक बन चुकी छात्रा जुलफैन खान ने बताया कि घर जैसा माहौल छात्रावास में मिलने से वहाँ रहकर बालिकाएं शेक्षणिक क्षेत्र में काफी आगे बढ सकती हैं। इसी तरह उसी छात्रावास में रहकर चार साल पहले चिकित्सक बनी परवीन कायमखानी बताती हैं कि सरकार के इस कदम से बालिकाओं को उच्च शिक्षा के लिये जयपुर भेजने का चलन समुदाय में बढने लगा है। हास्टल में रहने से बच्चियों की सुरक्षा की चिंता से पेरेंट्स को छूटकारा मिल जाता है। उक्त हास्टल में सरकारी स्तर पर निःशुल्क आवास व भोजन की सुविधा मिलने के अलावा सरकारी स्तर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने से सरकार के प्रति समुदाय का विश्वास जमा है।


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