एक एक्सक्लूसिव स्टोरी: मिशन हज और उमराह के लिए समर्पित हैं पंधाना (मप्र) के हाजी सुल्तान | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, बुरहानपुर/खंडवा (मप्र), NIT:

एक एक्सक्लूसिव स्टोरी: मिशन हज और उमराह के लिए समर्पित हैं पंधाना (मप्र) के हाजी सुल्तान | New India Times

ऑल इंडिया हज वेल्फेयर सोसाइटी की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष मुकीत खान खंडवा ने बताया कि म.प्र. के खंडवा से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पंधाना तहसील के सुल्तान हाजी (72 वर्षीय) अपने आपमें एक ज़बरदस्त शख़्सियत के मालिक हैं, पढ़े-लिखे बिल्कुल भी नहीं होने के बावजूद ज़िन्दगी के अनुभवों (तजुर्बों) ने उनको जो कुछ सिखाया है वो आज लोगों के काम आ रहा है. हज कमेटी और प्राइवेट हज, उमराह टूर्स के जिम्मेदारों के शायद इल्म में भी ये बात न होगी कि लोगों को हज, उमराह पर भेजने के लिये तैयार करना और उनकी सभी तरह की तैयारियों में खुशी और इख्लास के साथ बढ़ चढकर कर हिस्सा लेने में खिदमतगार (सेवक) अपना किस-किस तरह से और कैसा सहयोग (तआवुन) देते हैं, उसका विश्लेषण किया जाए तो सुल्तान हाजी को उन सेवकों की सूची में प्रथम स्थान प्राप्त होगा। दरअसल अल्लाह को राजी करने के लिए हज और उमरा के लिए लोगों को प्रेरित करना एक बहुत बड़ा नेक काम और एक बहुत बड़ा मिशन है, जिसका सौभाग्य हर किसी को प्राप्त नहीं होता है। अल्लाह जिसके सौभाग्य में यह सेवा करना लिखता है सिर्फ उसी को इसकी प्रेरणा मिलती है और वही यह काम कर सकता है क्योंकि यह काम सिर्फ अल्लाह का है और अल्लाह को ही समर्पित है और इसका पुण्य सिर्फ अल्लाह ही देने वाला है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सन 2006 में जब सुल्तान हाजी ने अपनी धर्म पत्नी के साथ हज का सौभाग्य प्राप्त किया था तो उसके पूर्व वो हम्माली का काम करके अपनी आजीविका चलाते थे। एक दूसरे का सामान ढोकर अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरियात में से पैसा बचाकर पाई-पाई हज के लिये जोड़ी, उनकी अहलिया बारदान की सिलाई कर और उसे बेच हज के पैसे जोड़ने में मदद करती रहीं। इस्लाम धर्म शास्त्रों के अनुसार अल्लाह ने उनकी इस अदा को पसन्द किया और इतना पसंद किया कि बाद में वे हर साल उमराह पर जाने लगे, सुल्तान हाजी ने साल 2018 तक अपनी अहलिया के साथ 6 उमराह भी किये, यही नहीं अपने साथ-साथ घर के बेटे बहुओं, पोता-पोती के साथ पंधाना तहसील से लगे गांव के बहुत से लोगों को भी वो साथ ले जाते रहे, इससे पहले वो लोगों को उमराह के लिये तैयार करते, उनके पासपोर्ट बनवाते।
2006 में हज पर से आने के बाद उन्होंने पंधाना और आस-पास के 4-5 गांवों जा-जाकर जो हज की इस्तेताअत (आर्थिक रूप से सक्षम) रखते थे, उनको हज पर जाने के लिए मानसिक रूप से प्रेरित किया, उनके हज के फार्म भरवाए और अल्लाह का शुक्र है कि उन्हें हज का सौभाग्य प्राप्त हुआ. यही कोशिश उनकी उमराह के लिये भी रही, अपनी जेब से खर्च कर गाँव-गाँव भटकते और लोगों को हज, उमराह के लिये जीरो ग्राउंड पर जाकर मुस्लिम धर्मावलंबियों को इस कार्य के लिए तैयार करते । सुल्तान हाजी ने 2008 से लेकर अब तक पंधाना और आस पड़ोस के गाँव के तकरीबन 150 लोगों के पासपोर्ट भी बनवा दिए, वे जब-जब उमराह पर जाते उनके साथ उनके एरिये के 4,6,8 लोग तो साथ जाते ही थे।
सुल्तान हाजी पढ़े नही हैं लेकिन हज पर जब गए थे कौनसी बिल्डिंग में ठहरे थे उसका नाम, सऊदी के मुक़ामातों के नाम, उमराह पर कब-कब, किस-किस टूर्स के ज़रिए गए थे और कब-कब कौनसी बिल्डिंग में रुके, सब उनको याद है जो भी उनसे बात करता उनको देखता ही रह जाता है, यहाँ तक कि सऊदी में मक्का-मदीना के अलावा अलग-अलग स्थानों की दूरी कितने किलोमीटर है यह भी सब उन्हें भली-भांति पता है।
पिछले साल अचानक अपनी धर्मपत्नी (अहलिया) को खो चुके सुल्तान हाजी गमज़दा ज़रूर हैं लेकिन अपने मिशन में वे अब भी जुटे हैं और भविष्य में भी उमराह (लघु हज यात्रा) पर खासकर रमज़ान के उमराह पर जाने के इच्छुक (ख्वाहिशमंद) हैं साथ ही जो लोग हज-उमराह की उम्मीद लगाए हैं उनके पासपोर्ट की तैयारी करवाने में और उनको हज उमराह की तफ़सील बताने में लगे रहते हैं ।
सुल्तान हाजी अब हम्माली तो नहीं करते लेकिन पुराना कबाड़ा खरीद उनको बेचने का काम चलता रहता है, मकसद मेहनत की हलाल कमाई को जोड़ फिर उमराह पर जाना है. सुल्तान हाजी ने हज पर से आने के बाद हर साल बगैर नागा किये उमराह तो किये ही अपने तीन लड़कों और दो लड़कियों को सभी को अलग-अलग मकान बनाकर भी दिए, बच्चे दिन-रात मेहनत मज़दूरी कर खुश हाल ज़िन्दगी बसर कर रहै हैं, वे इसे सब अल्लाह का करम मानते हैं. उनका कहना है उन्हें जो भी मिला उनकी मेहनत और ईमानदारी का सिला है, उन्होंने हज पर जाने से पहले भी और बाद में भी आज तक इस डर से बैंक में खाता नहीं खुलवाए कि कहीं मेरी मेहनत की कमाई में ब्याज का पैसा न मिल जाए। पंधाना ज़िला खण्डवा के सुल्तान हाजी की लोगों को हज और उमराह के लिये तैयार करने की कोशिश बेशक़ एक बहुत बड़ा मिशन है जिसमें वो हर बार खरे उतरते रहे और लोग उनकी सलाहियतों से फायदा हासिल करते हैं, ये हकीकत है कि अल्लाह अपना काम करवाने के लिये दुनिया में लोगों को चुन लेता है, सुल्तान हाजी की मेहनतों को देख ऐसा ही लगता है, अल्लाह उनको दुनिया और आख़िरत में इसका बेहतर बदल अता करे और उनकी अहलिया को जन्नतुल फिरदौस में आला मकाम अता करे – आमीन।


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