अब्दूल वहीद काकर, धुलिया (महाराष्ट्र), NIT;
90 वर्ष की वजीरा खाला ने कभी भी उम्र को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और आज भी वे अपना समय मरीजों के बीच ही बिताती हैं। सबसे हैरत की बात तो यह है कि वे बिना कोई फीस लिए मरीजों का इलाज करती हैं। अभी तक बीस हजार से भी अधिक महिलाओं की सामान्य प्रसव नि:शुल्क कराया है । लोगों की मानें तो वे सेवा औऱ तपस्या की जीती जागती प्रतिमा हैं धुलिया ज़िले की साक्री तहसील के पिपलनेर गाव निवासी वजीरा मूसा खान जिन्हें सब वजीरा ख़ाला के नाम से जानते हैं । बिना जातीय भेदभाव के साक्री तहसील में लोगो के घरों पर जाकर निशुल्क डिलीवरी सामन्य रुप से प्रसव कराने में आता है आनंद । तहसील के अनेक डॉक्टर प्रसव पीड़ा के जटील मामलों में लेते हैं नब्बे वर्षीय खाला का मश्विरा । पिछले 65 सालों से वजीरा मूसा खान मुफ्त में महिलाओं का प्रसव करा रही हैं । अब् तक हजारों महिलाओं की नॉर्मल डिलिवरी करा चुकी हैं और कभी किसी से फ़ीस का मुतालबा नही किया जिस ने जो खुशी से दिया वह अपने पास रख लिया।
पिपलनेर के एक बुज़र्ग महिला ने बताया कि एक मर्तबा गांव में जातीय हिंसा भड़क उठी, उस समय पूरा शहर बंद हो गया अस्पताल जाने के लिए वाहन की सुविधा उपलब्ध नहीं उस समय एक पारीट हिन्दू समाज के व्यक्ति ने वजीरा ख़ाला का दरवाजा खटखटाया और पत्नी की प्रसव पीड़ा का जिक्र किया, तुरंत प्रसव कराने वजीरा ख़ाला उसके घर चली गई। कर्तव्य पालन में भी वजीरा ख़ाला पीछे नहीं हटीं। उनके घर विवाह समारोह था बेटे की बारात निकलने ही वाली थी, एक वासाने नामक व्यक्ति ने उसकी पत्नी को लेकर ख़ाला के घर प्रसव करने ले आया, वजीरा ख़ाला ने आव देखा ना ताव तुरंत विवाह की बारात छोड़कर महिला को प्रसव पीड़ा से मुक्ति प्रदान करने में सहयोग किया।
अनपढ़ वजीरा मूसा खान के सेवा भावी कार्य को धुलिया के तत्कालीन ज़िलाधिकारी प्रकाश महाजन ने सत्कार कर समानित किया। साक्री तहसील क्षेत्र में विविध सामाजिक संगठनों द्वारा मातोश्री पुरस्कार शिवसेना , देश बंधु आदि पुरस्कारों से समानित किया गया है। पिपलनेर के निवासियों ने मांग की है कि वजीरा मूसा खान की सेवा भावी कार्ये की दख़ल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ले और खान्देश की कन्या को पद्म भूषण पुस्कार से समानित किया जाए ।
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