कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT; किसी भी जेल के अंदर मोबाइल ले जाने पर कड़े प्रतिबंध के बावजूद बुलढाणा जिला जेल की एक महिला कर्मी न सिर्फ जेल में मोबाइल लेकर दाखिल हुई बल्कि मोबाइल को महिला बैराक में रात भर रखा। इस घटना का सब से पहले “न्यू इंडिया टाइम्स” द्वारा भंडाफोड़ करने के बाद पूरे राज्य के जेल विभाग में खलबली मच गई थी। इस मामले में आखिर दोषी महिला कर्मी को डीआईजी योगेश देसाई ने एक आदेश के तहत सस्पेंड कर दिया है जबकि जेलर के भूमिका की जांच चल रही है।
दरअसल “NIT” ने 4 मई को “बुलढाणा जेल की महिला बैराक में मिला मोबाइल” शीर्षक से गुप्त सूत्रों के हवाले से ऑनलाइन खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद हलचल मच गई थी। घटना इस प्रकार थी कि 30 अप्रैल को अपनी नाईट ड्यूटी पर जेल में पहूंची महिला कर्मी वर्षा वानखेड़े अपने साथ मोबाइल लेकर अंदर दाखिल हुई और अपना मोबाइल और 1 हज़ार रुपए जेल के अंदरुनी भाग में मौजूद महिला बैराक में रख दिया और रात 9 बजे भोजन के लिए अपने घर गई और वापस ड्यूटी पर उपस्थित नही हुई। अगले दिन 1 मई को सुबह ड्यटी बदलने के बाद दीपिका वानखेड़े नामक महिला कर्मी ने मोबाइल और नकद राशी महिला बैराक से बरामद कर जेल के मेन गेट पर जमा कराया इस घटना की नोंद जेल के रजिस्टर में भी ली गई। उधर जेलर आशीष गोसावी को घटना पता चलने के बाद उन्होंने एक रिपोर्ट डीआईजी के नाम से तैयार की और एक कर्मी को सरकारी वारंट से नागपुर रवाना कर दिया। सूत्रों की मानें तो इधार जेलर द्वारा निलंबन की धमकी से डर कर आपसी लेन-देन हो जाने के कारण नागपुर भेजे गए कर्मी को जेलर गोसावी ने डीआईजी ऑफिस पहुंचने से पहले ही वापस बुला लिया था। इस घटना का भण्डाफोड़ होने के बाद जेल विभाग के नागपुर डीआईजी योगेश देसाई ने इसे गंभीरता से लेते हुए 2 सदस्यीय टीम को बुलढाणा भेजा। इस टीम में शामिल अधिकारी पी.आर.सांगले और कर्मी प्रशांत गज्जलवार ने बुलढाणा जेल में 7 मई को दाखिल हो कर 7 कर्मियों के बयान दर्ज किये और जेल के सिसिटीवी फुटेज भी देखे थे। अपनी जांच का ब्यूरा डीआईजी श्री.देसाई को सोमवार 9 मई को पेश किया गया। लोकमत समाचार में बताई गई बातें सभी खरी साबित होने के बाद डीआईजी श्री.देसाई ने सभी पहलुओं पर नज़र डालने के बाद महिला कर्मी वर्षा वानखेड़े को घटना का दोषी मानते हुए 9 मई की शाम में जारी किये आदेश के तहत निलंबित कर दिया है जिस से एक बार फिर बुलढाणा जेल प्रशासन थर्रा गया है।
- नागपुर में वर्षा वानखेड़े का लिया गया बयान
बुलढाणा जेल में मोबाइल ले जाने की घटना बेनकाब होने के बाद नागपुर से जांच के लिए टीम 7 मई को बुलढाणा जेल में पहूंची थी किन्तु उस दिन जेल में मोबाइल ले जानेवाली महिला कर्मी वर्षा वानखेड़े मौजूद नही थी इस लिए उसे अपना बयान देने के लिए नागपुर बुलाया गया था.9 मई को वर्षा वानखेड़े नागपुर डीआईजी कार्यालय पहूंची जहां जांच अधिकारी पी.आर.सांगले ने बयान दर्ज किया जिसमे वानखेड़े ने अपना मोबाइल जेल के महिला बैराक में ले जाने की बात मान्य की थी।
- जेलर गोसावी पर कौन है महेरबान?
बुलढाणा जेल का पदभार स्वीकारने के बाद से ही जेलर आशीष गोसावी चर्चा में छाए रहे हैं।ऑन ड्यूटी शराब के नशे में रहना उनके लिए कोई गंभीर बात नहीं है। इस दौरान जेल में कई घटनाएं भी घटीं जिनकी जांच का क्या हुआ अभी तक पता नहीं चल पाया है। जेल में बंदियों का अन्य त्याग आंदोलन, एक बंदी से मारपीट, एक जेल कर्मी के निजी कार्यक्रम में बंदियों से मंडप लगवाना, खामगांव के एक बंदी को डॉक्टर के मश्वेरे के बावजूद अधिक उपचार के लिए अकोला रेफर नहीं किया गया और इसी लापरवाही से उस बंदी की मौत हो गई थी और अब यह मोबाइल का मामला जिसे अपने वरिष्ठों के कान में नहीं डाला गया। इन सब मामलों के बावजूद भी जेलर गोसावी बचते रहे हैं, जिस से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर जेलर गोसावी का “गॉड फादर” कौन है जो उन्हें हर मामले में बचा लेता है?? अब देखना यह है कि इस मोबाइल मामले में उन्हें दोषी पाया जाता है या फिर “बीच” का रास्ता निकाल कर उन्हें “क्लीन चिट” दे दी जाती है।
- कोट
बुलढाणा जेल में मोबाइल का मामला सामने आने के बाद टीम को भेज कर जो तथ्य सामने आए हैं उसे देखते हुए जेल में मोबाइल ले जाने वाली महिला कर्मी वर्षा वानखेड़े को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है तथा जेलर के भूमिका की जांच चल रही है। आगे की जांच के बाद जो नतीजा सामने आएगा उसे देखते हुए कदम उठाएंगे: योगेश देसाई, डीआईजी, नागपूर कारागार।
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