रहीम हिंदुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
झाबुआ जिले के थान्दला मनुष्य प्राकृतिक आपदा से निजात पाने के लिये नित नये – नये तरीके ढूंढ रहा है !
लेकिन कई बार मनुष्य खुद ही समस्या पैदा कर लेता है। झाबुआ जिले के राणापुर, मेघनगर, पेटलावद, झाबुआ, थांदला, नगर में इन दिनों आवारा जानवरों की बाढ़ सी आई हुई है और यह समस्या मनुष्य स्वयं के द्वारा पैदा की हुई है।
शहर ओर नगर में आवारा घूम रहे पशु लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। आवारा पशुओं के आपस में लड़ने से कई लोग चोटिल हो चुके हैं तो वाहन भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। आवारा पशुओं का सड़को पर जमावड़ा लगा रहता है ! जिस वजहा से वाहनों का जाम लग जाता है ! जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहाँ एक और ये इंसानी मुसीबत तो है ही वही कई बार वाहनों से ये पशु भी चोटिल हो जाते है।
जगह-जगह गोबर गंदगी भी स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लगा रही है !
बेजुबान दीन हीन दशा में बीमार हालत में बाहर छोड़ दिए जाते है।
यह पशु मालिकों की क्रूरता ही कही जा सकती है ! भरी बारिश में दुधारू पशुओं से दूध निकाल कर उन्हें खुला छोड़ दिया जाता है। फिर दिन भर नगर के विभिन्न मोहल्लाें एवं गलियों में विचरण से लोगों की मुसीबत बढ़ जाती है। ऐसे क्रूर पशु मालिकों के खिलाफ पशु क्रूरता अधियनियम के अंतर्गत कार्यवाही होना चाहिये। देश मे अधिकांश राज्यों में भाजपा सरकार है तो प्रदेश में कांग्रेस सरकार। दोनों ही सरकारें गौवंश को बचाने, गौशाला बनाने व बूचड़खानों को बंद कराने की बात कह रही है ! नगर परिषद से नगर की जनता को बड़ी उम्मीदें है, नगरीय प्रशासन को सख्त नियम बनाते हुए कोई ठोस व स्थायी हल तलाशने होंगे तभी नगर की जनता सुरक्षित रह पाएगी।
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