फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ बहराइच (यूपी), NIT:
अपनी केले की खेती से जिले में सुर्खियां बंटोरने वाले गुलाम मोहम्मद अब मध्यप्रदेश से अपनी पोल्ट्री फार्म में लाये कड़कनाथ मुर्गे के कारण सुर्खियों में छा गये हैं। जरवल गांव के रहने वाले गुलाम मोहम्मद ने वर्ष 2001 में ढाई बीघा ज़मीन में केले की खेती से अपना कृषि व्यवसाय शुरू किया था। लेकिन अपनी मेहनत के बलबूते पर वर्तमान में गुलाम मोहम्मद 150 बीघे में केले की खेती कर रहे हैं। केला उत्पादन में उन्हें द्वतीय स्थान प्राप्त करने का गौरव भी प्राप्त है जिसने जिले की शान में चार चांद लगाया है। अपनी खेती को ऑर्गेनिक खाद्य देने के लिये उन्होंने पोल्ट्रीफार्म की भी शुरुआत की जो आज बडे पैमाने पर अण्डा उत्पादन कर रहा है। गुलाम मोहम्मद की मानें तो जब उन्हें कड़कनाथ मुर्गे के बारे में पता चला तो उन्होंने मध्यप्रदेश का रुख किया और उन्होंने पशुपालन विभाग की सहायता से अपने पोल्ट्री फार्म कड़कनाथ प्रजाति के 50 मुर्गों और 300 चूजों को लेकर उनका पालन शुरू कर दिया है। जरवल में आये कड़कनाथ मुर्गे की खबर जंगल मे आग की तरह फैल गयी और अब हर रोज़ उनके पोल्ट्रीफार्म में इन मुर्गों को देखने के लिये लोग पहुंच रहे हैं। आज हम आपको बतायेंगे की आखिर ये कड़कनाथ मुर्गा होता क्या है और इसके फायदे क्या हैं साथ ही हम आपको यह भी बतायेंगे की आखिर इस मुर्गे में ऐसी क्या खासियत है जो सुर्खियां बंटोर रही है।
आम तौर पर हमने और आपने चिकन खाने के नफे- नुकसान के बारे में बहुत सुना और पढा है लेकिन कड़कनाथ चिकन की एक ऐसी वैरायटी है जिसका मांस खाने से आपको कोई नुकसान नहीं बल्कि आपको फायदा होगा। औषधीय गुण, कम फैट और लजीज स्वाद के लिये हमेशा याद रहने वाला कड़कनाथ से बेहतर और कुछ हो ही नहीं सकता है और यही वजह है कि ठण्ड के दिनों में इसकी मांग बढ़ जाती है। बताते चलें कि मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्र झाबुआ और धार जिले का यह काफी लोकप्रिय मुर्गा है। इसके फायदे के कारण ही इसकी मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। इसका चिकन शक्तिवर्धक है। इस मुर्गे को मध्यप्रदेश के झाबुआ और धार जिले की स्थानीय भाषा में कड़कनाथ को कालीमासी भी कहा जाता है। क्योंकि इसका मांस, चोंच, जुबान, टांगे, चमड़ी आदि सब कुछ काला होता है। यह प्रोटीनयुक्त होता है और इसमें वसा नाममात्र रहता है। कहते हैं कि दिल और डायबिटीज के रोगियों के लिए कड़कनाथ बेहतरीन दवा है। इसके अलावा कड़कनाथ को सेक्स वर्धक भी माना जाता है। साथ ही इसमें विटामिन बी1 बी2, बी6 और बी12 भरपूर मात्रा में मिलता है। इतना ही नहीं इसका मांस खाने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति के तीन रूप हैं। पहला जेड ब्लैक, इसके पंख पूरी तरह काले होते हैं। दूसरा इस मुर्गे का आकार पेंसिल की तरह होता है। यह पेंसिड शेड मुर्गे के पंख पर नजर आते हैं। जबकि तीसरी और आखिरी प्रजाति गोल्डन कड़कनाथ की होती है। इस प्रजाति के मुर्गे के पंख पर गोल्ड छींटे दिखायी देती हैं। कड़कनाथ मध्यप्रदेश के झाबुआ और धार इलाके में बहुतायत में पाया जाता है जबकि छत्तीसगढ़, राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में भी यह मिलता है। हालांकि इसकी मांग अब देश के कोने-कोने से आ रही है। भारत-पाकिस्तान की सीमा से लगे श्रीगंगानगर, दक्षिणी छोर कर्नाटक, हैदराबाद, केरल से लेकर गोरखपुर तक इस प्रजाति के मुर्गे की मांग है। यही नहीं कई एनजीओ भी झाबुआ क्षेत्र से मुर्गे व चूजे लेकर बाहर जाते हैं। अधिक डिमांड की हालत यह है कि इस सीजन में कृषि विज्ञान केंद्र स्थित हैचरी में हर महीने तीन से पांच हजार चूजे निकलने के बाद भी मांग से कम ही आपूर्ति हो पा रही है और कड़कनाथ के चूजे लेने के लिये महीनों की वेटिंग चल रही है।
भारत नेपाल बार्डर पर बसे बहराइच जिले में अण्डे का सेवन लोग बड़े पैमाने पर करते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां प्रति दिन तकरीबन पौने तीन लाख अंडे के साथ ही 50 क्विंटल से ज्यादा चिकेन की खपत हो रही है, जबकि जिले में महज एक लाख अण्डे का उत्पादन व खपत का पचास फीसदी मीट की उपलब्धता हो रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की मानें तो यह आमदनी का एक बेहतर विकल्प साबित होगा। उनकी मानें तो वातावरण व आमदनी को देखते हुए कड़कनाथ मुर्गा के पालन की शुरुआत जनपद में की गयी है। आपको इन मुर्गों और उनके अण्डों की कीमत बताते हैं जो आपके होश उड़ा देगा। कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गी के अण्डे काफी महंगे होते हैं जिसका एक अण्डा करीब 50 रुपये में बिकता है। जबिक एक कड़कनाथ मुर्गे की कीमत 1000 से 1500 प्रतिकिलो रुपये तक होती है। वहीं कड़कनाथ मुर्गी की कीमत 3000 से लेकर 4000 के बीच होती है।
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