NIT की खबर का असर: रैन बसेरे का जायज़ा लेने पहुंचे एडीएम व एसडीएम | New India Times

फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ बहराइच (यूपी), NIT:

NIT की खबर का असर: रैन बसेरे का जायज़ा लेने पहुंचे एडीएम व एसडीएम | New India Times

27 दिसंबर 2018 को NIT ने शीतलहरी वाली ठिठुरन भरी सर्दी में रात गुजारने की समस्या से निजात दिलाने के लिये प्रशासन द्वारा बनाये गये रैन बसेरों की खबर प्रकाशित की थी जिसमें बताया गया था कि कैसे रैन बसेरों में कहीं गद्दा, रजाई कम पड़े मिले तो कहीं पर इंतजाम न होने से लोग ठण्डी फर्श पर ही रात गुजारने को मजबूर दिखे। हमने आपको बताया था कि डीएम साहिबा के निर्देश पर भी जिम्मेदारों ने बेघरों और मुसाफिरों को बचाने के लिए जो रैन बसेरे खोले हैं उनमें कोई समुचित इंतजाम नहीं किए गए। हमने जब अपनी टीम के साथ शहर के रैन बसेरों का जायजा लिया और यह जानने की कोशिश कि आखिर जाड़े में कैसे कट रही है लोगों की जिंदगी तो हमें जो नतीजे और हालात दिखे वह काफी चौंकाने वाले थे। हमने इस ठिठुरन भरी सर्दी में आधी रात को अपनी टीम संग रैन बसेरों की असल ज़मीनी हकीकत जानने के लिये जब रेलवे स्टेशन स्थित रैन बसेरे का जायज़ा लिया तो वहां हमें डीएम मैडम के निर्देशों और रैन बसेरे की असल हकीकत में ज़मीन आसमान का अंतर दिखा था जिसे हमने पूरी जिम्मेदारी से और आमजन की इस प्रशासनिक अनदेखी के खिलाफ कल 27 दिसंबर को इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था कि कैसे इस रेलवे स्टेशन स्थित रैन बसेरे में एक ही कम्बल में दो-दो राहगीरों को लेटने को कहा गया। जिसकी वजह जब हमने पूछी तो पता चला कि जिम्मेदारों ने यहां 10 कम्बल ही मुहैय्या कराए हैं। इस रैन बसेरे में इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात तो यह थी कि यहां महिलाएं और पुरुषों को एक ही जगह लेट कर रात गुजारने की व्यवस्था की गयी थी। हमने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था कि कैसे बीते शनिवार को जिलाधिकारी द्वारा रैन बसेरों में महिलाओं और पुरुषों के ठहरने के लिये अलग-अलग व्यव्यस्थाओं दिये जाने के निर्देश को उनके मातहत हवा में उड़ा रहे हैं। यही नहीं हमने आपको जिला अस्पताल में बनाये गये रैन बसेरे की भी खस्ताहाल व्यव्यस्था से भी रूबरू करवाया था कि किस तरह से जिला अस्पताल के रैन बसेरे में भी जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव के निर्देश बेमाने ही दिखे, यहां भी महिलाओं और पुरुषों के लिये ठहरने और इस सर्द भरी रात को गुज़ारने में लिये व्यवस्थाएं एक ही जगह दिखी थी और इस रैन बसेरे में भी व्यवस्थाएं अलग-अलग न होने के कारण महिलाएं और पुरुष एक साथ ही नज़र आये।

NIT की खबर का असर: रैन बसेरे का जायज़ा लेने पहुंचे एडीएम व एसडीएम | New India Timesजिलाधिकारी के निर्देशों के बावजूद भी रैन बसेरों की बदहाली के खिलाफ इस ठिठुरन भरी सर्दी में भी आधी रात को शहर की सड़कों पर घूम शुरू की गयी हमारी मुहिम आखिरकार रंग लाई और इस सर्द रात में बिना कम्बल ही फर्श पर सोने को मजबूर हो रहे आमजन को कुछ राहत तो मिल सकी। रैन बसेरों की बदहाल व्यव्यस्था पर हमारी खबर पढ़ने के बाद इसका बड़ा असर देखने को मिला है। बीती देर रात ही अपर जिलाधिकारी राम सुरेश वर्मा और तहसीलदार सदर सतीश कुमार वर्मा खुद ही रैन बसेरों की असल हकीकत से रूबरू होने के लिए रैन बसेरा जा पहुंचे। जहां हमारी खबर पर मुहर लगी। जिसके बाद रैन बसेरों में न सिर्फ कम्बल बढाए गये बल्कि महिलाओं और पुरुषों के ठहरने की व्यवस्थाएं अलग-अलग करायी गयीं। इस दौरान तहसीलदार महोदय ने रैन बसेरों में तैनात कर्मियों से व्यव्यस्थाओं के बाबत वार्ता की तथा उनके रजिस्टर भी जांचे जिसमें रैन बसेरों में ठहरने वालों के नाम पता किया जाता है। जिला अस्पताल में बनाये गये रैन बसेरे के निरीक्षण के दौरान जब हमने तहसीलदार साहब से बात की तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया लेकिन उन्होंने हमें बताया कि मैंने शहर के तीनों रैन बसेरों का दौरा किया है कमियां पूरी करा दी गयी हैं हालांकि उन्होंने माना कि रेलवे स्टेशन पर रैन बसेरे में और भी कम्बलों की ज़रूरत है। उन्होंने हमें आश्वस्त किया कि जल्द ही वहां और भी कम्बल बढ़ाये जायेंगे। इस दौरान जब हमने उनसे पूछा कि जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने रैन बसेरों में ठहरने वालों के लिये चाय और समाचार पत्रों की भी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिये हैं, क्या आपको रैन बसेरों में निरीक्षण के दौरान कहीं चाय या समाचार पत्र भी दिखे हैं तो हमारे इस सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली और फिर वह वहां से निकल गये।

सुधार के बावजूद भी रैन बसेरों में दिखी खामियां

NIT की खबर का असर: रैन बसेरे का जायज़ा लेने पहुंचे एडीएम व एसडीएम | New India Times

रेलवे स्टेशन पर बने रैन बसेरे में हमारे रियालिटी टेस्ट के दौरान 10 कम्बल पाये गये थे जबकि वहां 35 लोग ठहरे हुए थे। हमारी खबर के बाद रेलवे स्टेशन रैन बसेरे में न सिर्फ महिलाओं के ठहरने के लिये व्यव्यस्था अलग की गयी बल्कि 6 कम्बल और उपलब्ध कराये गये जबकि जिला अस्पताल में भी पहले 10 कम्बल ही थे जिसमें हमारी खबर के बाद 3 कम्बल और उपलब्ध कराये गये साथ ही यहां भी टेंट पर्दे का प्रयोग कर महिलाओं के ठहरने के लिये व्यवस्थायें अलग की गयीं। हमारे रियालिटी टेस्ट के दौरान मिली खामियों को प्रशासन ने गम्भीरता से लेते हुए महेज़ चन्द घण्टों में ही उसे दूर करने की कोशिश की लेकिन बावजूद इसके रैन बसेरों में अब भी काफी सुधार की ज़रूरत है। अब देखना यह है कि जिलाधिकारी महोदया के रैन बसेरों में ठहरने वालों के लिये चाय और समाचार पत्र उपलब्ध कराने के निर्देशों का पालन जिले के जिम्मेदार कब करते हैं???


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