बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र से ठाकुर सुरेन्द्र सिंह उर्फ शेरा भैया और नेपानगर विधानसभा क्षेत्र से श्रीमती सुमित्रा कास्डेकर (कांग्रेस) की हुई जीत | New India Times

मेहलक़ा अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र से ठाकुर सुरेन्द्र सिंह उर्फ शेरा भैया और नेपानगर विधानसभा क्षेत्र से श्रीमती सुमित्रा कास्डेकर (कांग्रेस) की हुई जीत | New India Times

मध्यप्रदेश में फ़ैसले की निर्णायक घड़ी में बुरहानपुर की जनता ने आज़ाद उम्मीदवार की हैसियत से क़िस्मत आज़मा रहे ठाकुर सुरेन्द्र सिंह उर्फ शेरा भैया की ताजपोशी की और नेपानगर से पहली बार क़िस्मत आज़मा रही श्रीमती सुमित्रा कास्डेकर (कांग्रेस) को अपना आशीर्वाद देकर उनकी भी ताजपोशी करके जनता ने अपना अंतिम फैसला आगामी 5 वर्षों के लिए दे दिया है। बुरहानपुर की हाइ प्रोफाइल सीट से भाजपा की उम्मीदवार और प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस दीदी और नेपानगर सीट से वर्तमान विधायिका मंजु दादू को जनता ने खारिज कर दिया है।

बुरहानपुर विधानसभा चुनाव का विश्लेषण किया जाए तो स्पष्ट होता है कि आज़ाद उम्मीदवार ठाकुर सुरेन्द्र सिंह शेरा भैया ने 98561 मत हासिल करके प्रथम स्थान, भाजपा प्रत्याशी श्रीमती अर्चना चिटनिस दीदी ने 93441 मत प्राप्त करके दूसरा स्थान और कांग्रेस प्रत्याशी रविन्द्र महाजन ने 14849 मत प्राप्त करके तीसरा स्थान हासिल किया है। कांग्रेस उम्मीदवार को जिस अनुपात में मत प्राप्त हुए हैं, उससे एक राष्ट्रीय पार्टी के एक कमज़ोर उम्मीदवार की निशानदेही होती है। कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को 15 हज़ार से कम मत प्राप्त होना और ज़मानत ज़प्त होना मंथन योग्य विषय है। वहीं बसपा के अंजान उम्मीदवार ने 3459 मत हासिल किया है। वहीं नोटा में 5557 मत पड़ना भी सोचने पर मजबूर करता है। नेपानगर सीट का विश्लेषण किया जाए तो वहां पर शिवसेना उम्मीदवार ने भाजपा उम्मीदवार का खेल बिगाड़ा है। कांग्रेस उम्मीदवार श्रीमती कास्डेकर को 82064 मत जबकि भाजपा उम्मीदवार मंजु दादू को 81651 मत मिले हैं अर्थात हार जीत का अंतर 413 या 1500 के आसपास बताया जा रहा है। जबकि शिवसेना उम्मीदवार को 3591 मत मिले हैं जो उन्होंने भाजपा के मतों को ही नुक़सान पहुंचाया है। जबकि नोटा में 2462 मत पड़े हैं। दरअसल कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने गुटबाज़ी के चलते प्रत्याशी चयन में प्रारंभ से ही चूक की है। कांग्रेस ने पहले जिस उम्मीदवार को टिकट दिया था उस पर भी पार्टी को गुमराह करने का आरोप है, वरना पार्टी टिकट देने में इतनी बड़ी चूक नहीं करती? दूसरा कारण टिकट लौटाने के बाद भी शेरा भैया को नज़रअंदाज़ करके रवींद्र महाजन को टिकट देना। आधुनिक टैक्नालाॅजी के साधन इस बात के गवाह हैं कि आमजन द्वारा (भले ही साज़िश के तहत) भैया रवींद्र महाजन को आगाह कर दिया था कि आप इलैक्शन ना लड़ें, हार जाओगे लेकिन उसके प्रति उत्तर में महाशय ने जो कुछ भी कहा वह अब इतिहास के पन्नों का एक हिस्सा बन गया है। रवींद्र महाजन के पिछले इलेक्शनों का संचालन आदर्श लाज से होता था, जिसको इस इलेक्शन में गुटबाजी के चलते नज़रअंदाज़ किया गया। वहीं आज़ाद उम्मीदवार की कमान संभालने और उन्हें विजयी बनाने में ऐजाज़ भाई आदर्श लाज के अलावा मोमिन जमाअत के अध्यक्ष शाह परवेज़ सलामत, डाक्टर एस एम तारिक़, एडवोकेट उबैद शेख, मलिक सेठ मालेगांव वाले, नफीस मंशा खान, शेख कलीम पहलवान क़ुरैशी, शेख गुलाब उर्फ गुल्लू भाई, हाजी आरिफ अंसारी अलीग, हाजी इब्राहिम पापा सेठ, एडवोकेट शाहिद अंसारी, मेहमुद अंसारी, एडवोकेट शकील खान, शेख मक़सूद ट्राली वाला आदि ने एहम भूमिका निभाई है। शेरा भैया को जो मत प्राप्त हुए हैं, वह इस बात के साक्षी हैं कि मुस्लिम मतदाताओं ने उन्हें विजयी बनाने में विशेष भूमिका निभाई है, जिसे फ़रामोश नहीं किया जा सकता।


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