जामनेर पत्रकार हमला मामले में सभी आरोपी शहर बदर, पीड़ित पत्रकार ने की आरोपियों के खिलाफ गैरजमानती धाराओं के साथ मामला दर्ज करने की मांग | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

जामनेर पत्रकार हमला मामले में सभी आरोपी शहर बदर, पीड़ित पत्रकार ने की आरोपियों के खिलाफ गैरजमानती धाराओं के साथ मामला दर्ज करने की मांग | New India Times

19 अक्तूबर के दुर्गा विसर्जन रैली में पनपे विवाद का आधिकारिक न्यूज कवरेज करने पर उपद्रवियों द्वारा 21 अक्तूबर को की गयी मौब लिंचिग के दौरान दिनदहाड़े गांधी चौक में बेरहमी से पीटे गए मराठी अखबार के पीड़ित पत्रकार सैय्यद लियाकत के समर्थन में लगभग पूरे सुबे का मिडीया जगत सडकों पर उतर आया है। इस घटना को लेकर कई जगहों पर अभी भी विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है। वारदात के बाद पीड़ित की तहरीर पर जामनेर कोतवाली में कुल 6 आरोपियों के खिलाफ़ IPC की धारा 143 , 147 , 148 , 149 , 324 , 323 , 504 , 507 के तहत मामला दर्ज किया गया था। 22 अक्तूबर को सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। कोर्ट में पेशी के बाद सभी अभियुक्तों को 15 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत बहाल करते हुए कोर्ट ने आरोपियों को LCB के हिरासत में दिया। LCB ने सभी आरोपियों को अगले 8 दिनों तक शहर बदर कर दिया है। इस बीच पनपते तनाव के कारण शहर की कानून व्यवस्था का हाल पुख्ता बंदोबस्त में फिल्हाल दुरुस्त है।

23 अक्तूबर को पीड़ित ने कोतवाली को सौंपे निवेदन में आरोपियों के खिलाफ़ गैरजमानती IPC की धाराए 120 (b), 307 को सूचीबद्ध कराने कि मांग की है। थाना प्रभारी श्री प्रताप इंगले ने इस मामले को लेकर जांच अधिकारी को सुचना दी है। यह हुयी औन रेकार्ड बातें, अब सवाल यह उठता है कि वारदात के CCTV फूटेज होने के बावजूद भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ़ दर्ज प्राथमिकी में गैरजमानती धाराएं आखिर क्यों नहीं लगाई? वैसे बढते विरोध प्रदर्शनों के चलते शायद गैरजमानती धाराएं सूचिबद्ध की भी जाएगी और मामला लंबा खिंचता जाएगा पर तब तक त्योहारों के मुहाने शहर में पनपती दो भिन्न भिन्न किस्म कि विपरीत परीस्थितीयों का निवारण किसके पास है? पत्रकार पिटाई की घटना से जुडा पहला अहम बिंदू जो भाजपा पार्षद बाबुराव हिवराले द्वारा दुर्गा विसर्जन के दौरान मचे हुडदंग पर उपद्रवियों पर दर्ज शिकायत में स्पष्ट है, इसी पहलु का न्यूज कवरेज लियाकत ने किया था जिसपर खुद की अलग सोच रखने वाले तत्वों ने आगबबुला होकर पत्रकार को पीटा था। बहरहाल 10 जुन 2018 को वाकडी में अनूजाति के नाबालिगों की पिटाई वाली शर्मनाक घटना के बाद यह दूसरा वाक्या है जिसमें किसी अल्पसंख्यांक समाज के व्यक्ति को निशानदेही कर पिटा गया हो और मीडिया की संवेदनशीलता से लोकतंत्र के हितैषियों ने संवैधानिक तरीकों से खुलकर सडकों पर जनमत की जोर आजमाईश की हो। इस दौरान कई वारदातें ऐसी भी सुनी गई जो दुर्भाग्य से सरकारी रेकार्ड का हिस्सा नहीं बनाई गई और वह अब बस कहानियां बन चुकी हैं। बुद्धिजीवियों तथा अमनपरस्त नागरिकों में यही उम्मीद की जा रही है कि इन मामलों की प्रशासनिक पारदर्शिता तथा पवित्रता को बरकरार रखते हुए जल्द ही कार्रवाइयों पर ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि कथित सियासत का गंदा खेल किसी भी पीड़ित को न्याय से वंचित रखने में प्रभावी साबित न हो सके।


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