पीयूष मिश्रा, घंसौर/सिवनी (मप्र), NIT; राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के स्तर को बढाने के लिये नित्य नई योजनायें लागू की जा रही हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने सरकार द्वारा हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। शिक्षक समय पर स्कूल पहुंचें इसके लिये ई अटेंडेंस प्रक्रिया लागू की गई है परंतू सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार विकास खंड घंसौर के अंतर्गत आने वाले ग्राम गंगपुर जोकि मुख्यालय से 45 किमी की दूरी पर नर्मदा तट के किनारे पर बसा हुआ है जहां पर चौंकाने वाला ताजा मामला प्रकाश में आया है। प्राथमिक शाला गंगपुर मे पदस्थ नियमित शिक्षक डेलन बरकडे पिछले चार सालों से स्कूल नही जा रहे हैं और उन्होंने बच्चों को अपने बदले में पढाने के लिये 3000 रूपये प्रतिमाह में किराए पर नौकर रखा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इन महानुभाव को तनखाह भी हर माह समय पर सरकार द्वारा दी जा रही है। प्राथमिक शाला गंगपुर के वेतन पत्रक वहां के प्रधानाचार्य एवं पालक शिक्षक संध के अध्यक्ष के हस्ताक्षर से आते हैं, उसी आधार पर उक्त शिक्षक की वेतन का आहरण किया जाता है। बिना उनके हस्ताक्षर के वेतन आहरण नहीं की जा सकती है। संबंधित संकुल के जन शिक्षक अरविंद गुमास्ता ने बताया कि मैंने जनपद शिक्षा केंद्र कार्यालय घंसौर में अनेकों बार इसकी लिखित एवं मौखिक शिकायत पूर्व के सभी बी आर सी सी अधिकारियों से की है परंतू उक्त शिक्षक पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।हैरान करने वाली बात तो ये है कि इन सेठ जी नुमा शिक्षक की वेतन बेरोक ठोक हर माह निकाली जा रही है। जन चर्चा तो यही चल रही है कि उक्त शिक्षक के द्वारा ऊपर बैठे अधिकारियों को प्रतिमाह मोटी रकम दी जा रही है तभी तो आज तक इस शिक्षक पर उच्च अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की कोई भी कार्यवाही नही हो रही है।
इस सिलसिले मे जब किराये पर रखे गये शिक्षक अनिल मरावी से बात की तो उन्होनें आश्चर्य जनक बातें बतलाई और कहा कि मेरे को सन 2014-15 से शिक्षक डेलन बरकडे ने अपने बदले में नौकरी करने के लिये 3000 रूपये प्रतिमाह पर रखा है परंतू इन चार सालों में मुझे इनके द्वारा सिर्फ दस हजार रूपये ही दिये गये हैं। मैंने जब भी इनसे पैसे मांगे तो उन्होंने वेतन न मिलने की बात कहकर मुझे हर बार टाल देते थे जबकि इनके द्वारा प्रतिमाह वेतन निकाली जा रही है इसलिये यह बात मैंने लिखित एवं मौखिक रूप से पत्रकारों को बतलाई है ताकि खबर प्रकाशन के बाद उच्च अधिकारियों के सामने ये बात लाई जा सके।
डेलन बरकडे कभी कभार स्कूल आते हें और उपस्थिती रजिस्टर में पूरे माह की हाजरी भर कर चले जाते हें। अब सवाल यह उठता है कि आज तक ये बात उच्च अधिकारियों के संज्ञान में क्यों नहीं आई? अगर आई है तो आज तक उक्त शिक्षक पर कार्यवाही क्यों नही हुई कहीं इन सबकी मिली भगत तो नही ?
इनका कहना है…..
आप लोगों के द्वारा जो बात बताई गई है वह बहुत गंभीर और संगीन है अगर यह बात सच है तो अभी में सहायक आयुक्त आदिवासी जनजाति कार्य विभाग को फोन पर ही कहता हूं कि इसकी जांच कराएं और जांच में अगर शिकायत सही पाई जाती है तो सभी दोषियों पर कार्यवाही होगी।
मेरे संज्ञान में ये बात लाई गई है में इसकी जांच करवाकर उचित एवं बडी कार्यवाही करूंगी किसी भी दोषी को बख्सा नही जायेगा: ऊषा किरण गुप्ता ( विकास खंड अधिकारी जनपद पंचायत घंसौर )
डेलन बरकडे शिक्षक जोकि विगत चार सालों से स्कूल नही जा रहे हें इन पर तो कार्यवाही होगी और इनका वेतन कैसे निकल रहा है।
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