अशफाक कायमखानी, सीकर (राजस्थान), NIT; राजस्थान मे लाल टापू के नाम से मशहूर रहा राजस्थान के सीकर जिले का धोद विधानसभा सभा क्षेत्र एक मात्र प्रदेश मे ऐसा क्षेत्र बन गया है जहां पर प्रदेश कांग्रेस के आव्हान पर होने वाले “मेरा बूथ-मेरा गौरव” सम्मेलन की तारीखों में लगातार बदलाव हो रहा है। हनुमान बेनीवाल की सभा के बहाने भीड़ नही जूटने की सम्भावना के चलते पहले सात जून के बूथ सम्मेलन को ऐन मौके पर व फिर ग्यारह जुलाई के तय बूथ सम्मेलन को फिर ऐन मोके पर स्थगित करके अब अठाराह जुलाई को मेरा बूथ-मेरा गौरव सम्मेलन आयोजित करने का तय करने से सियासी हलको मे एक अजीब सी चर्चा को जन्म दे दिया है। बार बार बूथ सम्मेलन की तारीखों मे बदलाव करना धोद कांग्रेस व पूर्व मंत्री मोरदिया की मजबूरी या कोई खास रणनीति होगी। या फिर केन्द्रीय नेताओं की सम्मेलन मे शिरकत करने की उपलब्धता के समय का खास विषय आडे आ रहा होगा। लेकिन इससे धोद कांग्रेस कार्यकर्ताओं मे एक अजीब सा मायूसकुन संदेश जरूर जा रहा है। सूत्रोंनुसार धोद मेरा बूथ-मेरा गौरव सम्मेलन के बहाने अपनी दूकान को फिर से ठीक से जचाये रखने के लिये कांग्रेस इस सम्मेलन मे खासतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री अशोक गहलोत को हर हाल मे बूलाना चाहती है। अचानक राहुल गांधी द्वारा आज ग्यारह जुलाई को दिल्ली मे एक विशेष बेठक बूलाने की कारण गहलोत के उसमे व्यस्तता के कारण इस सम्मेलन को स्तगित करना पड़ा बताते है।
धोद विधानसभा के अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित होने के बाद कांग्रेस के दिग्गज दलित नेता व पूर्व मंत्री परशराम मोरदिया ने लक्ष्मनगढ से बजाय 2008 का विधानसभा चुनाव धोद से लड़ा लेकिन वो माकपा के पेमाराम के हाथो पराजित होने के बाद धोद छोड़ गये। एवं 2013 का चुनाव कांग्रेस को अपने एक डमी उम्मीदवार नोपाराम को धोद से मजबूरी मे उतारना पड़ा था। जो अपनी जमानत भी गवा बेठे थे। जिसके कारण धोद के इतिहास मे पहली दफा कमल खीला ओर भाजपा के गोरधन वर्मा विधायक बन गये। 2013 के विधानसभा चुनावों मे परशराम मोरदिया ने धोद की बजाय प्रदेश की अन्य आरक्षित सीट से टिकट पाने की भरपूर कोशिशें की लेकिन निराशा हाथ लगने के बाद अब वो पूर्व केन्द्रीय मंत्री व हाल ही कांग्रेस जोईन करने वाले सुभाष महरिया को साथ लेकर एक बार फिर से धोद से ही चुनाव लड़ने का मानस बनाकर विधानसभा क्षेत्र को फोकस करके गावं गाव-ढाणी ढाणी घूम कर अपना मजबूत जनाधार बना रहे है।
हालांकि धोद क्षेत्र मे महरिया परिवार का शुरूआत से ही खासा प्रभाव रहा है। ओर कमोबेश आज भी उनके इशारो पर किसी के भी पक्ष मे मतदान करने वाला एक निर्णायक वोटबेंक उनके पास सूरक्षित मोजूद है। महरिया परिवार के मरहुम रामदेव सिंह महरिया अनेकों दफा धोद से विधायक रह चुके है। महरिया परिवार के मरहुम रामदेव सिहं के बाद उनके बने सियासी वारीस पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया के कांग्रेस मे आने के बाद उनकी कड़ी मेहनत व दिन रात भागदौड़ के बाद जिले मे कांग्रेस को खासा बल मिला है। महरिया परिवार के पूरी तरह साथ होने व दिखने के चलते धोद विधानसभा क्षेत्र मे मोरदिया को खासी मजबूती मिल चुकी है।
कुल मिलाकर यह है कि भीड़ जुटाने के माहिर सुभाष महरिया व परशराम मोरदिया द्वारा गावं गावं-ढाणी ढाणी जाकर मेरा बूथ-मेरा गौरव सम्मेलन की तैयारी के सिलसिले मे सभाऐ करने के साथ उनके खाटे समर्थकों की ताकत के बल पर जब भी धोद बूथ सम्मेलन होगा उसमे अच्छी खासी भीड़ जुटना तय है। लेकिन सम्मेलन की बार बार तारीखो मे बदलाव होने कारण जिला कांग्रेस नेताओ की अंदरूनी कलह है या फिर कोई अन्य विशेष कारण। लेकिन तारीखो मे बदलाव होना आम जनता मे लगातार संसह पैदा जरूर कर रहा है।
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