तारिक खान, रायसेन ( मप्र ), NIT; किसान प्रधान देश भारत के किसानों को अन्नदाता के नाम से जाना जाता है लेकिन उसी अन्नदाता की हालत यह है कि वह बेमौसम बारिश, सूखा, पाला और फसलों के सही दाम न मिलने के कारण बर्बदी की कगार पर पहुंच गया है। बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया है।
आज जब गेहूं और चने इत्यादि की फसलें पकने को तैयार हैं तब बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचा दिया है। तेज हवाओं, ओलावृष्टि व बेेमौसम वर्षा के कारण खेतों में गेंहू फसल धराशाई हो गई है। अन्नदाता किसानों को अपने दुख की गाथा सुनाते हुए यह कहता पाया गया कि इस बेमौसमी वर्षा व तेज हवाओं ने उसकी फसल को बर्बाद कर दिया है, धरती पुत्र का दुर्भाग्य है कि जब फसल तैयार होने को होती है तो इस प्रकार मौसम के बदले तेवरो से वह समय की मार का शिकार हो जाता है। किसान को उम्मीद थी कि गेंहू की फसल पकने के बाद वह उसे मंडी में बेच कर बैंक तथा साहूकार के कर्ज से कुछ हद तक मुक्त हो पाएगा लेकिन लगभग पूरे दिन हुई बेमौसमी बारिश से उसे अपने सपने टूटते हुए नजर आ रहे हैं।शनिवार की सुबह क्षेत्र में आम लोगों के लिए काफी सुहावना मौसम लेकर आई यहां हल्की बारिश ने लोगों के चेहरे पर खुशी तो ला दी लेकिन किसानों के लिए बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि ने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया। ओलावृष्टि तथा बारिश से क्षेत्र के किसानों की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। तेज हवा, ओलों और बारिश ने क्षेत्र की फसलों को भारी नुक्सान पहुंचाया है। बेमौसम हुई बारिश और ओलों ने क्षेत्र के किसानों को बेहाल कर दिया है जिससे किसान के सभी अरमान बारिश के पानी के साथ बह गए हैं।
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