शेरा मिश्रा/अविनाश द्विवेदी, कटनी (मप्र), NIT; कैमोर मध्यप्रदेश की उद्योगिक नगरी में से एक है जहाँ सीमेंट बनाने का कार्य एसीसी प्राईवेट लिमिटेड सीमेंट प्लांट कर रही है। मध्य प्रदेश शासन ने उद्योगों के लिए कुछ मापदंड बनाये हैं जिनका पालन करना हर प्लांट का कर्तव्य है। जिसमें प्रमुख निर्देश यह दिए जाते हैं की उद्योग अपने स्थापित प्लांट से 16 किलोमीटर की दूरी तक के रहवासियों के लिए स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा देगी। इन समाजीक कार्यो को अंजाम देने के लिए शासकीय नियमानुसार सीएसआर डिपार्टमेंट बनाया गया है जो शासकीय अधिकारीयों के निरीक्षण में रहता है। किन्तु कैमोर मे स्थापित सीमेंट प्लांट किसी नियम कानून को नहीं मानता, जिसकी वजह से आसपास के रहवासियों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है। यही वजह है की कैमोर से लगे हुए गांव बडारी, खलवारा गांव, बम्हनगवां मोहनटोला अमेंहटा के रहवासी एसीसी के प्रदूषण की वजह से टीबी जैसी बीमारियों की वजह से मौत की नींद सो रहे हैं। शासकीय डाक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार दो वर्षों में बडारी एंव खलवारा गांव के लगभग 70 लोग एसीसी प्लांट से उडने वाले प्रदूषण की वजह से टीबी के मरीज हैं जिनकी मृत्यु भी लगातार हो रही है। एसीसी न तो स्वास्थ्य सेवा दे रही है और न शिक्षा।
शासन ने नहीं दी अनुमति, भाजपा की सह से चल रहा है प्लांट
कैमोर एसीसी सीमेंट प्लांट ने जो 2002 में कन्वेयर बेल्ट लगाया है उसकी अनुमति शासन ने नहीं दी है। शासन की आख में धूल झोंक कर एसीसी सीमेंट प्लांट ने कन्वेयर बेल्ट लगा लिया, जबकि शासन ने रोप की अनुमति एसीसी सीमेंट प्लांट को दी थी। बैल्ट लगने से लेकर अभी तक इस मामले को एसीसी ने बखूबी दबाकर रखा था किन्तु जब मामला आम हुआ तो भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने एसीसी की सुरक्षा का बीडा उठा लिया और नियम को ताक पर रखकर भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने एसीसी से व्यक्तिगत सेवाएं लेना प्रारंभ कर दिया।
भाजपा को उखाड़ फेंकने की तैयारी
एसीसी सीमेंट प्लांट कैमोर ने अधिकांश कार्य भाजपा से जुड़े लोगों को दे रखे हैं जिससे आम जन में अच्छा खासा आक्रोश व्याप्त है। आम जनता का कहना है कि रोजगार के लिए सिर्फ भाजपा के लोगों का चुनाव कर रही है एसीसी, वही प्लांट से लगे हुए गावों को कोई सुविधा मुहैया नही की जाती जबकि दस्तावेज में एसीसी सीमेंट प्लांट कैमोर ने आठ गांव चिन्हित कर रखे हैं जिनकी सम्पूर्ण जवाबदारी एसीसी की बनती है किन्तु एसीसी अपनी जवाबदारी से पीछे हट चुकी है। भाजपा के जनप्रतिनिधियों की सेवा करना एसीसी ने अपनी जवाबदारी समझी है। जिससे अब कैमोर से लगे हुए गावों के मतदाता व युवा वर्ग ने यह निश्चित कर लिया है की भाजपा को उखाड़ फेंकने में कोई कसर नहीं छोडी जाएगी।
तरह तरह के विरोध आ रहे हैं सामने
एसीसी सीमेंट प्लांट कैमोर की गतिविधियों को लेकर तरह तरह का विरोध किया जा रहा है। मजदूर यूनियन एसीसी के गेट पर आए दिन धरना प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं, तो वही नगर में होने वाली मौतों के लिए भी एसीसी ही जवाबदारी मानी जा रही है। कहा जाता है कि प्रदूषण की वजह से आए दिन मौत हो रही है। मौत के बाद परिजनों द्वारा प्लांट का घेराव, अधिकारीयों के साथ मारपीट की घटना पुलिस की दामन को भी दागदार कर रही है।
कटनी जिला प्रशासन कार्यवाही की जगह ले रहा है सेवा का लाभ
जहां प्लांट शासकीय नियमों की धज्जियां उडा रहा है वही कटनी जिला प्रशासन एसीसी प्लांट पर अंकुश लगाने की बजाये मामले से अनभिज्ञ बन रहा है। कटनी जिला अधिकारियों की कार्रवाई देखकर ऐसा लग रहा है जैसे अब मध्यप्रदेश में कोई कानून व्यवस्था नहीं रह गई है। न किसी को न्याय मिल पा रहा है और न ही कालाबाजारियों पर अंकुश लग रहा है। चारों ओर भ्रष्टाचारी की वह घिनौनी तस्वीर नजर आ रही जिसमें भाजपा का पतन नजर आ रहा है।
नियम विरुद्ध कार्य
कैमोर एसीसी सीमेंट प्लांट में अनेकों नियम विरुद्ध कार्य चल रहे हैं, जिसमें प्रमुख रूप से प्लांट में चल रहा कन्वेयर बेल्ट जिसकी अनुमति शासन ने नहीं दी थी जो रोप की अनुमति लेकर बिठा दिया कन्वेयर बेल्ट। वही एसीसी में लगी चिमनी जो प्लांट का प्रदूषण नगर में उगल रही है, प्लांट को चार चिमनी लगाने की अनुमति प्राप्त है किन्तु सात चिमनी लगा कर प्लांट का प्रदूषण बाहर किया जा रहा है, वहीं नियमानुसार इन चिमनियों की उचाई 85 फिट ऊची होनी चाहिए किन्तु प्रशासनिक मेलमिलाप की वजह से 45 फिट ऊंचाई की गयी है। शासन ने 85 फिट की उचाई इस बात को गौर करते हुए रखी थी की आसपास प्रदूषण न फैले क्योंकि सीमेंट प्लांट के प्रदूषण से जानलेवा बीमारियां होती हैं, किन्तु जिला प्रशासन को नियम कानून की कोई परवाह नहीं है, सभी अधिकारी व जनप्रतिनिधी अपने अपने स्तर पर लाभ लेकर एसीसी सीमेंट प्लांट गैरकानूनी काम करने का छूट दे रहे हैं।
स्वच्छ भारत का अपमान
एसीसी सीमेंट प्लांट स्वच्छ भारत अभियान का भी अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड रही है। एसीसी सीमेंट प्लांट मे सीमेंट पकाने के लिए किलन लगाया गया है। किलन की आग को कायम रखने के लिए तरह तरह के उपाय किए जाते हैं। कैमोर से लगे पहाड़ के हरे भरे वृक्ष भी इस किलन की भूख मिटाते हैं तो वहीं किलन की आग के लिए इन दिनों दुसरे शहरों का कचरा एसीसी खुले वाहनों से मंगा कर नगर को प्रदूषित कर रही है तथा प्रदूषित पानी भी पीला रही है, जबकि शासन ने प्लांट से हो रहे प्रदूषण को गौर करते हुए वाटर फिल्टर प्लांट लगाने के आदेश दिए थे ताकि नगर को प्रदूषित पानी से बचाया जा सके। प्लांट ने वाटर फिल्टर प्लांट लगाया तो किन्तु उसका स्वच्छ पानी सिर्फ एसीसी के अधिकारी कर्मचारियों तक सीमित है।
प्लांट को बंद करने की मांग
एसीसी सीमेंट प्लांट की करतूतों से परेशान होकर स्थानीय नागरिकों ने अब प्लांट को बंद कराने की मांग उठानी प्रारम्भ कर दी है। प्लांट न तो किसी स्थानीय लोगों को रोजगार दे रहा है न ही कोई सुविधा, इस बात से परेशान होकर अब प्लांट बंद कराने की आवाज बुलंद हो रही है। सभी क्षेत्र वासी यह भी जानते हैं कि भाजपा के राज में न्याय मिलना नामुमकिन है इस लिए अन्य पार्टी को लाने की चर्चा जोरों पर है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के राज में प्लांट जन सेवा में अग्रसर रहती थी किन्तु सत्ताधारियों ने अपने कमाई का जरिया बना लिया है। एसीसी सीमेंट प्लांट को और शोषण करा कर लाभ उठा रहे हैं।
गतिविधियां क्यो हुई डामाडोल?
प्लांट की कि वजह से जहां भाजपा असुरक्षित है तो वही प्लांट खुद कांटों से गुजर रहा है। प्लांट की जवाबदारी के लिए एसीसी प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी एक कर्मचारी सुनिश्चित करती है, जो प्लांट को सुरक्षित चला सके तथा प्रमुख रूप से प्लांट के दामन पर दाग न लगने दे। इसी लिए हर प्लांट में एक चैयरमैन रखा जाता है जिसका कर्तव्य है की प्लांट के आसपास के रहवासियों को किसी तरह की समस्या न हो, विरोध व्याप्त न हो, समस्याओं की वजह से शासन प्रशासन पर उंगलियां न उठे, किन्तु मैनेजमेंट ने कैमोर प्लांट को एक ऐसा अधिकारी दिया है जो अपने दफ्तर से बाहर निकलना उचित ही नही समझता तो क्षेत्र की समस्या कैसे देखेगा? प्लांट हैड की वजह से ही आज कैमोर एसीसी सीमेंट प्लांट विवादों के घेरे में रहती है और प्लांट हैड अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए एसीसी मैनेजमेंट का पैसा पानी की तरह बहाते हैं। प्लांट हैड से आम जनता ही नही अधिकारी कर्मचारी तथा एसीसी के अधिकारी मजदूर आदि भी नाखुश हैं।
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