रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
कोई का बेटा, कोई का भाई, कोई का पति, तो कोई का पिता… वह मजदूर जिसे “खूनी कारखाने” ने दर्दनाक मौत दे दी। मामला मेघनगर के औद्योगिक क्षेत्र का है, जहाँ एग्रोफॉस इंडिया लिमिटेड खाद फैक्ट्री में खाद से भरी बोरियों की थप्पी गिरने से एक मजदूर की मौत हो गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मृतक सुनील पिता रमेश बारदेव, निवासी केलूपाड़ा, थाना सातरुंडा, जिला रतलाम फैक्ट्री में अपने भाई के साथ मजदूरी का कार्य करता था। दुर्घटना के बाद घायल सुनील को कंपनी से मोटरसाइकिल पर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन ने तनिक भी मानवता नहीं दिखाई। न ही कोई एंबुलेंस या प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की गई, जिसके कारण मजदूर को मोटरसाइकिल से अस्पताल ले जाना पड़ा। घटना स्थल पर ही सुनील का काफी खून बह गया था और वहां का नज़ारा बेहद भयावह था।

मजदूरों ने बताया कि हादसे के बाद कंपनी से कोई भी ज़िम्मेदार व्यक्ति अस्पताल नहीं पहुँचा। जनचर्चाओं के अनुसार, फैक्ट्री मालिक और मैनेजर ने मामले को दबाने के लिए कुछ स्थानीय दलालों को लगा दिया, जो मीडिया कर्मियों से भी संपर्क कर रहे हैं ताकि मामला शांत किया जा सके।

जानकारी के अनुसार, मृतक के परिजनों को पाँच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। मेघनगर पुलिस ने मर्ग कायम कर शव परिजनों को सौंप दिया है। मामले की जाँच जारी है।

मजदूरों को नहीं मिलती सुरक्षा सुविधाएँ
औद्योगिक क्षेत्र मेघनगर में संचालित अधिकांश कारखानों में मजदूरों को किसी भी प्रकार की सुरक्षा सामग्री या सेफ्टी उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते। मजदूर मजबूरी में बिना सुरक्षा के काम करने को विवश हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मृतक मजदूर को सेफ्टी गियर उपलब्ध होता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।

यह बोले अधिकारी:
“कारखाने में हुए हादसे से मजदूर की मृत्यु की सूचना मिली थी। जिस पर प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।”
– के. एल. वरखड़े, टी.आई., मेघनगर
