गरीब मित्र को गले लगाया, चरणों में आसुओं की गंगा बही | New India Times

शेरा मिश्रा/अविनाश द्विवेदी, कटनी (मप्र), NIT; ​गरीब मित्र को गले लगाया, चरणों में आसुओं की गंगा बही | New India Timesविजयराघवगढ़ मुख्यालय से लगभग दो किलोमीटर दूर ग्राम सलैया बडगैया में चल रही सार्वजनिक साप्ताहिक संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में अंतिम दिन सुदामा चरित्र में मित्रता का संदेश दिया गया। ​गरीब मित्र को गले लगाया, चरणों में आसुओं की गंगा बही | New India Timesकथा व्यास लक्ष्मीकांत शास्त्री जी ने अपनी अमृतमय वाणी से कहा की मित्र वही जो बुरे वक्त में मित्र के साथ हो। आज के दौर में मित्र अपने मित्र के बुरे वक्त में सहयोग देने के बजाय पीठ पर छूरा घोंपता है। कथा व्यास जी ने बताया की श्रीकृष्ण अपने गरीब मित्र सुदामा के चरणों में आसुओं की गंगा बहा कर सब कुछ न्योछावर कर दिए थे। समय का परिवर्तन होना चाहिए किन्तु आत्मा और इंसान का नही। मित्र अगर रास्ता भटक जाए तो मित्र का ही कर्तव्य है की उसे रास्ते में लाना। दुष्ट मित्र के लिए भी कहा की जिस तरह होली पर रंग लगाने वाले पर रंग लगाया जाता है उसी तरह अगर मित्र विश्वास घात करे तो उसे भी रंग देना ही उचित होगा तभी उसे एहसास होगा की पीडा क्या होती है। दर्द सहन करना श्रीकृष् ने सुदामा से ही सिखा था। कथा के दौरान सुदामा पात्र बने जगन्नाथ तिवारी के सभी ग्रामवासियों ने भग्तीमय से पैर पखारे। कथा में मित्रता का दर्द सुनकर भक्तों की आँखें नम हो गईं। अंत में विदाई गीत के साथ भागवत कथा का समापन किया गया। 


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