नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
जलगांव जिले में सबसे कुपोषित बच्चो की संख्या जामनेर तहसील क्षेत्र में है। सरकार के महिला बालविकास विभाग की ओर से किए सर्वे के आंकड़ों की ब्लॉक निहाय जानकारी मराठी अखबार ने प्रकाशित की है। New India Time’s में हमने जिला परिषद के ग्रामीण आरोग्य इकाई के बदहाली से आपको अवगत कराया था। जिला परिषद का यह विभाग TMOs के लिए काला धन जमा करने का सिस्टम बन चुका है इसके बारे में रिपोर्ट को बाद में सबूत के साथ विस्तार देंगे। अब बात करेंगे सार्वजनिक आरोग्य मंत्रालय के सरकारी अस्पताल की, जामनेर उपजिला अस्पताल में डॉ आर के पाटील के इस्तीफे के बाद बीते छह महीने से प्रसूती विशेषज्ञ की सीट खाली पड़ी है।
अस्पताल प्रमुख डॉ विनय सोनवने ने बताया कि हमारा ऑपरेशन थिएटर बंद हि है। हर महीने कम से कम बीस कभी कभी तो तीस सिजेरियन ऑपरेशन यहां किए जाते थे। प्रसूती विशेषज्ञ नहीं होने के कारण हमें सिजेरियन केसेस को 40 किमी दूर जलगांव जिला अस्पताल रेफर करना पड़ रहा है। डॉ विनय बताते हैं कि मैंने हमारे वरिष्ठ अधिकारीयों को इस बाबत चार पत्र लिखे हैं। कोई जवाब नहीं, मोहाड़ी अस्पताल के डॉक्टर की जामनेर में आवश्यकता व्यक्त की तो उसे प्रशासन की ओर से नज़र अंदाज कर दिया गया।
अगले जुलाई में यहां की ओ टी में हम मात्र परिवार नियोजन के आपरेशन ऑपरेट कर सकते हैं। डॉ विनय ने सरकार से अपील की है कि उपजिला अस्पताल में जल्द से जल्द नए प्रसूती विशेषज्ञ की नियुक्ति करी जाए। ज्ञात हो कि नेत्र चिकित्सालय की इमारत फीता काटने का इंतजार कर रही है। विज्ञापन और पेड न्यूज से महिमामंडित आरोग्य सेवा का आदि बन चुके समाज को सत्तापक्ष में बैठे पक्ष की नाकामी नज़र नहीं आती। बल्की सत्ता पक्ष के विपक्ष में जाने के बाद उनकी ओर से जन सेवाओं के लिए किए जाने वाले आंदोलन और ड्रामेबाजी को देखकर प्रजा अचानक से नागरिक बनती है। अतीत का अंधियारा भाजपा के ऐसे कई आंदोलन अपनी आगोश में समाए हुए हैं जो आज किसी को याद नहीं आयेंगे।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.