नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
20 जून को जामनेर पुलिस स्टेशन पर हमला करने वाली हजारों की भीड़ को तिसरी आंख (CCTV) से सत्यापित करने के बाद पुलिस ने आरोपियों के गिरफ्तारी की मुहिम चलाई। पकड़े गए आरोपियों को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत के लिए धूलिया कारागृह भेज दिया। नाबालिक आदिवासी लड़की के साथ बलात्कार और हत्या करने वाले फरार आरोपी के पकड़े जाने की फैलाई गई ख़बर से आगबबूला हुए आदिवासी समुदाय के जमावड़े ने पुलिस से बच्ची के दोषी की रिमांड मांगी। अपनी मांग पर अड़े सैकड़ों आदिवासियों के हुजूम को अदृश्य उपद्रवियों ने हजारों की भीड़ में बदल दिया। किसी ज़िम्मेदार अंजान शख़्स ने हिंसा को रास्ता दिया और तीन घंटे तक सड़क पर खुले आम आतंक ने तांडव किया इस हिंसा में 10 पुलिस कर्मी घायल हुए। घटना के दो दिन बाद पुलिस ने CCTVs खंगाल खंगाल कर भीड़ में छुपे चेहरे हिरासत में लेने शुरू किए। हिंसा में शामिल संदिग्धों के खिलाफ़ IPC की संगीन धाराओं के तहत फौजदारी दायर की गई।
मानसून सत्र से पहले कानून का राज कायम करने का प्रयास:- पुलिस स्टेशन पर हमले की घटना सरकार में शामिल मंत्री गिरीश महाजन के गृह नगर में घटी है। आक्रोशित लोगों की ओर से थाने पर किया गया हमला यह एक किस्म से सरकार की नाकामी पर उठाया गया सवाल है। मानसून सत्र की राजकीय गंभीरता के मद्देनज़र जामनेर पुलिस ने युद्ध स्तर पर हालात को संभालने की कोशिश की। समाज में पुलिस की इमेज चमकाने के लिए दंगाइयों का कोर्ट तक पैदल जुलूस निकाला। थाने पर पथराव और हिंसा चार के मामले की जांच जामनेर पुलिस प्रमुख किरण शिंदे को सौंपा गया है। इस जांच में हिंसा का एक पक्ष परखा जाएगा दूसरे पक्ष की जांच कौन करेगा? इसका जवाब सरकार को मानसून सत्र के दौरान सदन में देना होगा। राज्य में कानून व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है विपक्ष ने इसे शुरू से मुद्दा बनाया है। सितंबर 2024 में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा आम चुनाव में राज्य की लाचार कानून व्यवस्था विपक्ष के प्रचार का महत्वपूर्ण एजेंडा होगा।
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