रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
जावरा को ज़िला बनाने की मुहिम तेज़ हो गई है।
प्रदर्शनों का दौर खत्म हुआ। अब वैधानिक रूप से दावे-आपत्तियां दर्ज करवाई जाएंगी।
नागदा को ज़िला बनाने के नोटिफिकेशन में ताल, आलोट और खाचरौद तहसील को शामिल किया था। इस नोटिफिकेशन पर दावे-आपत्तियों का समय 27 अगस्त तक है।
नागदा को छोड़कर सारी तहसीलें (ताल, आलोट, खाचरौद ) नागदा ज़िले में शामिल होने को राजी नहीं हैं। तीनों के लोग नागदा में शामिल होने का विरोध कर रहे। ताल के नागरिकों ने दावे-आपत्तियां स्पीड पोस्ट से राजस्व सचिव समेत संबंधित अफसरों को भेज दी हैं।
आलोट का प्रतिनिधिमंडल 21 अगस्त को भोपाल जाकर आपत्ति दस्तावेज देगा।
खाचरौद पहले ही मना कर चुका है। ऐसे में नागदा जिला खटाई में पड़ सकता है।
विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय भी भोपाल पहुंच रहे हैं जो सीएम से मिलेंगे
नागदा ज़िले की कार्रवाई उलझने और ताल, आलोट का झुकाव जावरा- रतलाम की तरफ होने से जावरा को ज़िला बनाने के दावे को मजबूती भी मिल गई है इसलिए अब जावरा में ज़िला बनाने के प्रयास में जुटे संगठन, प्रतिनिधिमंडल भी तथ्यात्मक रूप से दावे-आपत्ति पेश करने की तैयारी में जुटे हैं।
विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय भी भोपाल पहुंच रहे हैं जो सीएम से मिलकर जावरा को ज़िला बनाने की मांग को बल देंगे। वे पहले विधानसभा सत्र के दौरान ये मुद्दा उठा चुके और पत्राचार कर चुके हैं। अब चूंकि जावरा के पक्ष में बेहतर माहौल है तो फिर से सीएम को अवगत करवाएंगे। इधर जावरा जिला बनाओ युवा समिति एवं जनचेतना मंच के सदस्यों ने पिपलौदा नगर परिषद के साथ ही विभिन्न ग्राम पंचायतों से जावरा जिला बनाने के समर्थन में ठहराव प्रस्ताव एवं पत्र जुटाना शुरू कर दिए हैं। इन्हें लेकर भोपाल जाएंगे। वहां मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मुलाकात के साथ ही राजस्व सचिव के जावरा को ज़िला बनाने का दावा पेश करेंगे। वहीं ये आपत्ति लेंगे कि जब आलोट, ताल व खाचरौद नागदा ज़िले में शामिल होने को तैयार नहीं हैं तो जबरन इन्हें क्यों शामिल किया जा रहा है। इन्हें नागदा से अलग रखें।
उज्जैन ज़िले को क्रॉस करके नागदा मुख्यालय क्यों जाएं, विरोध करेंगे
आलोट को पृथक ज़िला बनाने की मांग चल रही है और यहां इसके लिए मंच गठित करके मुहिम भी शुरू हो गई है। इसी मुहिम से जुड़े पूर्व जनपद अध्यक्ष कालूसिंह परिहार का कहना है कि हमारी प्राथमिकता तो आलोट को ज़िला बनाने की है। यदि इसमें कोई तकनीकी या अन्य समस्या आती है तो फिर हम जावरा के साथ रहना चाहेंगे। नागदा ज़िले में शामिल होने का विरोध करेंगे क्योंकि आलोट की सीमा खत्म होते ही उज्जैन ज़िले की महिदपुर तहसील की सीमा शुरू होती है। महिदपुर नागदा का सबसे नज़दीकी होने के बावजूद उसे नागदा में शामिल नहीं किया। अब यदि आलोट नागदा में शामिल हो जाएगा तो हमें बीच में उज्जैन ज़िले की सीमा क्रॉस करके नागदा मुख्यालय जाना पड़ेगा। ये तकनीकी व भौगोलिक रूप से गलत है। इसीलिए नागदा में आलोट को शामिल करने का विरोध कर रहे हैं और 21 अगस्त को भोपाल जाकर राजस्व सचिव के समक्ष इस संबंधी दावे-आपत्तियां भी पेश करेंगे।
कमिश्नर को तो आपत्ति दर्ज भी करवा दी है
ताल तहसील नागदा ज़िले में शामिल होना नहीं चाहती है। विरोध एवं आपत्तियों संबंधित दस्तावेज़ ताल तहसील संघर्ष समिति ने स्पीड पोस्ट से राजस्व सचिव भोपाल, कमिश्नर उज्जैन और कलेक्टर उज्जैन को भेज दिए है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी अलग से भेजे हैं। समिति के श्याम माहेश्वरी, पूर्व पार्षद नवीन मेहता ने बताया कि पूरी तहसील के नागरिक जावरा-रतलाम के साथ रहना चाहते हैं क्योंकि हमारा व्यापारिक, राजनीतिक केंद्र यही है। दावे-आपत्तियां पोस्ट कर दी हैं। अब प्रत्यक्ष रूप से मिलने भी प्रतिनिधिमंडल जल्द भोपाल जाएगा।
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