रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
मेघनगर का झाड़की टोड़ी गांव झाबुआ जिले से करीब 32 कि.मी. दूर सामुहिक बस्ती के रूप में बसा हुआ है। वर्तमान में जनसंख्या लगभग 600 होकर परिवारों की संख्या 100 है, जो मुख्यतः नायक बाहुल्य गांव है जो कि कृषि, दुध व्यवसाय एवं घरेलु उद्योग पर निर्भर है। ग्राम में 1 प्राथमिक शाला और आंगनवाड़ी है। गांव वालों में आपसी एकता परस्पर सहभागिता दिखाई देती है।
गांव में पेयजल संकट के समय का संघर्ष एवं स्थिति: पहले गांव वाले 3 कि.मी. दूर तक पानी लेने जाते थे खासकर महिलाओं के सामने ये चुनौतीपूर्ण विषय था। चुकि भौगोलिक स्थलाकृति ऐसी है, की गांव में जलस्तर की परेशानी हमेशा बनी रहती थी तालाब में भी जलस्तर गर्मी में कम हो जाता था।
सन् 2003 में गांव में अटल योजना के तहत 1100 मीटर की पाइप लाईन का विस्तार कर तालाब के पास एक कुआ एवं पंप हाउस बनाया गया। जिससे गांव वालों को पानी की आपूर्ति हो, पर समय के साथ गंव में जनसंख्या बढ़ गई और कुए के पानी से गांव वालों की पूर्ति होने में समस्या आने लगी। जिससे गर्मी में टेंकर पर ही निर्भर होना पड़ता था।
पेयजल संकट से निपटने हेतु गाँव के लोगो के प्रयासः पानी की समस्या से त्रस्त होकर गांव वालों ने ग्राम सभा में इस विषय पर गम्भीरता से चर्चा कर निर्णय लिया कि पूर्व से चली आ रही पेयजल समस्या को ठीक करना ही हैं। तत्पश्चात् विभाग के अधिकारियां से मिल कर उन्हें गांव की समस्या बतायी और विभाग द्वारा पूर्ण आश्वासन भी दिया गया।
ग्राम सभा फिर बुलाई गयी एवं विभाग में पदस्थ जिला एवं वि.ख. समन्वयक द्वारा उक्त सभा ने सर्वप्रथम एक पेयजल उपसमिति का गठन गांव वालों के बहुमत से कराया। उन्हें समिति के लाभ बताए गए। सभी सदस्य स्वयं अपनी इच्छा से समिति में शामिल हुए, जिसके अध्यक्ष जसवंत सिंह एवं सचिव यशवंत सिंह सर्वसहमति से चुने गए। बैठक में जल गुणवत्ता से संबंधित प्रशिक्षण भी दिया गया। जिससे समिति के सदस्य स्वयं जल परिक्षण कर परिणाम जान सके।
गांव में ग्राम सभा में प्रस्ताव भी पारित कराया गया जिसे विभाग में प्रस्तुत किया। गांव वालों को गर्मी में ही पानी की समस्या का सामना करना पड़ता था, अतः उन्हें ग्राम रसोड़ी की समुह जल प्रदाय योज जिसकी मेन पाईप लाईन गाँव के पास ही स्थित है, उससे पानी देने की सहमति दी गई। जिसमें 800 मीटर के पाईप विभाग द्वारा दिये और गाँव की समिति ने जनभागीदारी से 70,000 रूपये में उसे मेनरोड़ से कुएं तक डालने में तत्परता दिखाते हुए शत-प्रतिशत नल कनेक्शन करवाए गए, गांव वालों ने ही वॉल चेम्बर का भी निर्माण करवाया।
गांव के लोगों की ये एक बात बहुत निराली है वे कहते हैं- ‘‘सरकार ने तो हमको पानी दे दिया हम उनके बहुत आभारी है पर अब उपयोग हम गांव वालों को करना है, योजना गॉव की है यानि हमारे घर की और घर तो हमें ही चलाना है“ इसी सोच के साथ गॉव वाले आज पेयजल से निपटने में सक्षम हो पाये है।
वर्तमान में ग्राम की स्थिति: विभाग के जिला एवं विकासखण्ड समन्वयक द्वारा पेयजल उपसमिति को उनके दायित्व बताये एवं उन्हे प्रशिक्षित किया। जिससे समिति में प्रतिमाह 15 तारीख को बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया। बैठक में सर्वसहमति से प्रति परिवार जलकर 60 रूपये तय किए।
गांव में शत-प्रतिशत 100 नल कनेक्शन हैं जिससे 6000 रूपये की राशि जमा हो जाती है। जिसमें से सर्वसहमति से लगभग 3000 बिजली बिल, 1500 रूपये वॉलमेन लक्ष्मणसिंह को देते है। शेष राशि समिति के खाते में जमा कर दी जाती है। जिसकी आवश्यकता पड़ने पर मेन्टेनेंस कार्य हेतु उपयोग में ली जाती है। योजना में कुल छः वाल से एक दिन छोड़कर 20-25 मिनिट जल प्रदाय किया जाता है। गॉव में साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है एवं सभी घरो में शौचालय भी निर्मित है। योजना का संचालन एवं संधारण अब बेहतर तरीके से होता है, रसोड़ी समुह जल प्रदाय योजना से पानी मिलने के बाद किसी भी परेशानियां का सामना नही करना पड़ता।
आज गांव वाले पानी की परेशानी दुर हो जाने से बहुत खुश और विभाग का हर बार धन्यवाद देते है पर वास्तव में ये गाँव के लोगो के ही प्रयास रहे है उन्ही की एकता है कि उन्हें आज वर्षो से चली आ रही पेयजल की समस्या से मुक्ति मिल पायी है।
झाड़की टोड़ी गांव एक ऐसा गाँव है जिन्होंने स्वयं के प्रयास, समझदारी एवं आपसी समन्वय सहभागिता से आज पेयजल योजना को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी स्वयं उठायी है।
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