ऐतिहासिक मंदिर व मज़ार को तोड़ने का नोटिस चस्पा करने को लेकर भानू सहाय अध्यक्ष बुन्देलखंड निर्माण मोर्चा ने यूपी के मुख्यमंत्री को लिखा पत्र | New India Times

अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ, झांसी (यूपी), NIT:

ऐतिहासिक मंदिर व मज़ार को तोड़ने का नोटिस चस्पा करने को लेकर भानू सहाय अध्यक्ष बुन्देलखंड निर्माण मोर्चा ने यूपी के मुख्यमंत्री को लिखा पत्र | New India Times

भानू सहाय अध्यक्ष बुन्देलखंड निर्माण मोर्चा ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को एक पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने मांग की है कि झाँसी में 7 मन्दिर एवं एक मज़ार को गलत नापाई कर तोड़े जाने से रोका जाए तथा नपाई व धन व्यय की जांच करवाई जाए। उन्होंने पत्र में लिखा है कि मैं आपका ध्यान महारानी लक्ष्मीबाई जी के समय में निर्मित लक्ष्मीताल की माप की ओर आकर्षित करवाना चाहते हैं। महारानी लक्ष्मीबाई जी के समय जब लक्ष्मीताल बनाया गया था उस समय नारायण बाग की ओर ताल के पानी को बांधने एवं निकालने की व्यवस्था के लिए बाँध एवं साइफन बनाया गया था जो आज भी निर्मित है। लक्ष्मीताल की नपाई करते समय ताल पर बने बांध के पार सड़क किनारे नपाई की जा रही है, ताल के भीतर की भूमि नहीं नापी जा रही है।
ताल पर बने बांध के पार मंदिर और मज़ार बना है जो ताल की भूमि से अलग है। 1339 फसली के बंदोबस्त एवं 1359 के रिकॉर्ड में सभी मन्दिर व मजार सरकारी दस्तावेजों में दर्ज कागजात हैं।
झाँसी सौहार्दपूर्ण नगरी है पर ताल की नपाई के नाम मन्दिर और मजार पर तोड़े जाने का नोटिस चस्पा कर सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

ऐतिहासिक मंदिर व मज़ार को तोड़ने का नोटिस चस्पा करने को लेकर भानू सहाय अध्यक्ष बुन्देलखंड निर्माण मोर्चा ने यूपी के मुख्यमंत्री को लिखा पत्र | New India Times

ताल से लगी हुई मज़ार की मरम्मत और पुताई का कार्य कुछ वर्ष पूर्व नगर निगम ने स्वयं की धनराशि से कराया था।
ताल की भूमि की नाप करने से पूर्व अधिकारियों ने करोड़ों रुपये व्यय कर लिए गए हैं। करोड़ों रूपये व्यय किये जाने की लापरवाही को छुपाने के लिए मंदिर औऱ मज़ार को बीच में लाया जा रहा है।
साबसे पहले तो इसकी जांच होनी चाहिए कि बिना नाप किये निर्माण कार्य प्रारंभ कैसे और क्यों किया गया।
पहले की गई लक्ष्मीताल कि नपाई में किसी भी प्रकार के अतिक्रमण की बात नही की गई। इस कार्यवाही की रिपोर्ट SDM कार्यालय एवं नगर निगम कार्यालय के पास है।
दूसरी बार नाप की रिपोर्ट 2021 में श्रीमान जिला अधिकारी जी ने NGT को भेजी जिसमे लक्ष्मीताल की भूमि के भीतर 2 अति प्राचीन मन्दिर एवं 2 बहुत छोटे मकान बने होने का जिक्र करते हुए कहा गया है कि चूंकि मन्दिर काफी प्राचीन है एवं लोगो की आस्था का केंद्र है तथा दोनों मकान के स्वामियो ने उच्च न्यायालय में रिट दाखिल कर रखी है।
तीसरी जांच रिपोर्ट श्रीमान मण्डल आयुक्त जी ने NGT को 2022 में भेजी जिसमे लक्ष्मीताल की भूमि के अंदर प्राचीन 7 मंदिर एवं के प्राचीन मज़ार का जिक्र किया है।
लक्ष्मीताल की भूमि की उसी सरकारी अमले ने जांच की है परंतु रिपोर्ट अलग अलग कैसे आ सकती है।
लक्ष्मीताल की नपाई में हर बार अन्तर आने से लोगो मे शंका है कि कही किसी की भूमि बचाने के लिए तो नपाई का रुख ताल पर बने बांध के पार जहां प्राचीन मन्दिर एवं मज़ार बने है उसकी ओर किया जा रहा है।
लक्ष्मीताल ताल के भीतर की नपाई की जानी चाहिए ना कि बांध के पार जाकर सड़क पर की ओर। कृपया उच्च स्तरीय जांच करवाने की कृपा की जाए।
मान्यवर, अगर गलत नाप के आधार पर 7 मन्दिर और मज़ार तोड़े जाने का प्रयास किया गया तो मोर्चा उच्च न्यायालय जाने को बाध्य होगा।

By nit

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading