दीपनगर कोयला संयंत्र से बिगड़ा इको सिस्टम, सैकड़ों एकड़ जमीन की खेती हो रही है बर्बाद, प्रोजेक्ट के करोड़ों रुपयों के ठेके जांच के दायरे में | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

दीपनगर कोयला संयंत्र से बिगड़ा इको सिस्टम, सैकड़ों एकड़ जमीन की खेती हो रही है बर्बाद, प्रोजेक्ट के करोड़ों रुपयों के ठेके जांच के दायरे में | New India Times

दीपनगर कोयला बिजली प्रोजेक्ट के जद में आने वाले वेल्हाला मन्यारखेड़ा गांवों के खेतों मे 5 से 7 फिट ऊंचाई तक राख के पहाड़ बने हुए हैं। राख पानी के तालाबों में घुलने से पेयजल दूषित हो रहा है, पर्यावरण की हानी हो रही है सो अलग से। मामले को लेकर प्रोजेक्ट के अधिकारियो ने भी इस समस्या में अपनी गलती मानी है। इस विषय को लेकर राज्य सरकार को अवगत कराऊंगा, ऐसी प्रतिक्रिया पूर्व मंत्री तथा NCP के नेता एकनाथ खडसे ने मीडिया में दी है। खडसे आज दीपनगर प्रोजेक्ट से बाधित गांवों के दौरे पर थे। उन्होंने कहा कि दीपनगर प्रोजेक्ट में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री और बीजेपी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के समर्थकों को करोड़ों रुपयों के ठेके दिए गए, उनमें गड़बड़ियां हुई हैं ऐसी शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इन शिकायतों की जांच होनी चाहिए। खडसे ने बिजली प्रोजेक्ट के कुप्रबंधन से पीड़ित कास्तकारों और आम लोगों से प्रत्यक्ष मुलाकातें कर वास्तविक स्थिति का जायजा लिया। ठेकों की बात निकली है तो भरोसेमंद सूत्रों से यह भी पता चल रहा है कि बीजेपी के एक वर्तमान विधायक ने हाल ही में दीपनगर में चार दोस्तों के साझेदारी के तहत 200 करोड़ रुपए के ठेके चटका दिए हैं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले भी खडसे ने जलगांव शहर के भीतर सड़कों का निरीक्षण किया था जिसके बाद मनपा को बुनियादी सुविधाओं के लिए 100 करोड़ 200 करोड़ का पैकेज की बात कहने वाले जुमलेबाज नेताओं की पोल खुल गई। जलगांव PWD डिवीजन के भीतर बैठे वरिष्ठ अधिकारियों के प्रशासनिक मनोनयन को लेकर भी काफी अनियमितताओं की बातें सामने आई है। 2014 से लेकर अब तक के आठ सालों में जलगांव जिले को विकास और रोजगार के नाम पर मात्र जुमले मिले हैं।


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