मो. मुजम्मिल, जुन्नारदेव/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:
पति की शिकायत थी की पत्नी जब चाहे जब मायके चली जाती है, हद तो तब हो गई जब वह गुस्से में बच्चे को छोड़ कर मायके चली गई, जिससे क्षुब्ध हो कर पति ने परामर्श केंद्र की शरण ली।पत्नी को जब पता चला की पति परामर्श केंद्र चले गए हैं तब वह खुद ही ससुराल चली आई तथा पति के साथ ही परामर्श केन्द्र में आयी। तब पति पत्नी दोनों को साथ बिठा कर सद्भावपूर्वक जीवन निर्वाह की समझाइश दी गई तथा आपस में बात कराई गई। पत्नी के कहने पर की सास ताने देती है पति ने अपनी मां को समझाने की रजामंदी दी जबकि पत्नी ने बिना बताए मायके न जाने का वचन दिया। दोनों राजी खुशी घर रवाना हुए।
इसी तरह एक अन्य मामले में भी जिसमे पत्नी की शिकायत की पति उसे बताते नहीं हैं की कहां जा रहे और न ही उसका फोन उठाते हैं, पति को बुलाकर पत्नी के सामने समझाइश दी गई जिसपर पति ने पत्नी को शिकायत का मोका नहीं देने का वचन दिया तथा राजी खुशी घर रवाना हुए।
अनुविभागीय अधि कारी पुलिस के के अवस्थी के मार्गदर्शन में अधिवक्ता प्रदीप कुमार शर्मा आहुति शर्मा व प्रीति श्रीवास्तव ने उक्त मामलों के अतिरिक्त तीन मामलों में समझौते की संभावना प्रतीत न होने पर पक्षकारों को न्यायालय की सलाह के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किए जबकि शेष चार प्रकरणों में समझौते के लिए प्रोत्साहित करते हुए पक्षकारों को समझाइश प्रदान कर विचार विमर्श करने के लिए समय प्रदान किया।
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