खाकी वर्दी का कमाल: बदन पर खरोंच के निशान तक नहीं मगर बड़े दरोगा ने लगवा दी 307 की धारा | New India Times

गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT:

खाकी वर्दी का कमाल: बदन पर खरोंच के निशान तक नहीं मगर बड़े दरोगा ने लगवा दी 307 की धारा | New India Times

अंबेडकर नगर जिला के बेवाना थाने के थानेदार के आदेश पर आईपीसी की धारा 307 के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज करने का मामला सामने आया है। शरीर पर खरोंच के निशान नहीं मगर साहब ने बड़े ही गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर दिया। इसी को कहते हैं रस्सी को सांप बनाने में माहिर है यूपी पुलिस। इस संबंध में थाने के सबसे बड़े दरोगा राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि उसके हाथ में मैंने फौड़ा देखा था। इन्हीं कारणों से मुकदमा पंजीकृत करना पड़ा विवेचना निष्पक्ष होगी. साहब ने अभी निष्पक्ष कार्य नहीं किया और विवेचना निष्पक्ष होने की बात कहते हैं खैर लापरवाही मिलने पर जांच, हथियार या कारतूस की बरामदगी किए बिना ही धारा 307 यानि गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर ले रही है बेवाना पुलिस। साहब जबकि आपके थाने में कई केस में गैर इरादतन हत्या होने के बावजूद हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर देती है आपकी पुलिस।

खाकी वर्दी का कमाल: बदन पर खरोंच के निशान तक नहीं मगर बड़े दरोगा ने लगवा दी 307 की धारा | New India Times

आपको बताते चलें कि, पीड़ित दीपचंद्र सिंह पुत्र स्वर्गीय टीडी ग्राम कुंडा मोहम्मद गढ़ थाना बेवाना ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि उसके खेत के बगल से रोड का निर्माण हो रहा है जिसमें उसी गांव के विपक्षी और ठेकेदार के मिलीभगत से जबरन दीपचंद के खेतों में लगे हुए आम के 3 पेड़ चिलबिल के 2 पेड़ केवल रंजिश बस जेसीबी द्वारा खोद कर उखाड़ दिया. 5 जून जिस दिन पूरा देश पर्यावरण दिवस के रूप में मनाता है उसी दिन दबंगों ने हरे वृक्षों पर जेसीबी चलवा दी इसका विरोध करने पर विपक्षी आलोक, अमित, अशोक, पुत्र हरिशंकर ने उल्टा गाली गलौज पर भी उतारू हो गए, जब ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू किया तो विपक्षी आलोक, अमित, अशोक पुत्र गढ़ हरिशंकर ने जेसीबी में रखे हुए एक लोहे की रॉड लेकर मारने के लिए दौड़ाया दीपचंद्र अपनी जान बचाते हुए अपने घर की तरफ भागा मगर विपक्षियों ने दीपचंद के घर में घुसकर बुरी तरह से मारा पीटा और धमकाते हुए कहा कि कानपुर के बाद दूसरा विकास दुबे मैं हूं इसे सुनते ही ग्रामीणों के होश उड़ गए। उल्टा जाकर थाने पर 307 जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत करवा दिया. पीड़ित ने फर्जी मुकदमे की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है।


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