संदीप शुक्ला, भोपाल, NIT;
पिछले दिनों शासन ने सतना के 35 से अधिक अध्यापकों पर गैरजमानती धाराओं में इसलिए FIR दर्ज कर ली थी क्योंकि इन्होंने सरकार के शिक्षा को बर्बाद करने वाले युक्तियुक्तकरण का विरोध किया था और सोशल मीडिया की मदद से प्रदेश भर के अध्यापकों को एकजुट करना शुरू किया था।
अब ताजा मामला नरसिंहपुर से है जहां के अध्यापक नेता प्रशांत तिवारी को जिला पंचायत ने निलंबन का नोटिस इसलिए दिया है उन्होंने सतना के अध्यापकों पर दर्ज एफआईआर का विरोध करते हुए उसे वापस लेने की मांग की थी।
सतना के अध्यापकों के प्रति सोशल मीडिया पर एकजुटता व्यक्त करने की सजा प्रशांत को प्रशासन निलंबन के रूप में देना चाहता है जिसका विरोध सभी अध्यापकों को एकजुट होकर देना पड़ेगा. यदि ऐसा नहीं किया तब सरकार आपसे अपनी बात रखने का अधिकार छीन लेगी।
उक्त दोनों कार्रवाईयों से ऐसे संकेत मिल रहे है कि सरकार उन अध्यापक नेताओं को धमकाने की कोशिश कर रही है जो अध्यापकों के दूसरी पंक्ति के नेताओं को नेतृत्व में सामूहिक रूप से संविलियन की लडाई लडने की हिमायत कर रहे हैं।
सरकार के यह कदम सोशल मीडिया का गला घोंटने एवं अध्यापकों को धमकाने जैसे है. हम सरकार के इन कदमों का विरोध और अध्यापकों से लंबित मांगों के लिए संयुक्त आंदोलन खडा करने की अपील करते है।
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